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    फेक न्यूज में आधी होती हैं राजनीतिक खबरों की हिस्सेदारी, भ्रामक सूचना के ज्यादातर मामलों में सोशल मीडिया जिम्मेदार

    Updated: Sat, 21 Dec 2024 06:35 AM (IST)

    इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आइएसबी) और साइबरपीस की एक स्टडी के मुताबिक फेक न्यूज में राजनीतिक खबरों की हिस्सेदारी सबसे अधिक 46 प्रतिशत है। सामान्य मुद्दों से जुड़ी खबरों की हिस्सेदारी 33.6 प्रतिशत और धार्मिक मुद्दों का फेक न्यूज में योगदान 16.8 प्रतिशत है। कुल फेक न्यूज में अकेले इन तीन कटेगरी का हिस्सा 94 प्रतिशत है। फेक न्यूज पर अंकुश लगाने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है।

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    भ्रामक सूचना के 77.4 प्रतिशत मामलों के लिए सोशल मीडिया जिम्मेदार (सांकेतिक तस्वीर)

    जेएनएन, नई दिल्ली। भारत में लोग राजनीति से जुड़ी खबरें पढ़ना और देखना पसंद करते हैं। राजनीतिक घटनाओं पर हर चौक चौराहों और पार्कों में गरमा गरम बहस भी होती है। शायद यही वजह है कि करीब आधी फेक न्यूज राजनीतिक घटनाओं से जुड़ी होती हैं।

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    भारत में फेक न्यूज और डीपफेक कंटेंट का प्रसार तेजी से बढ़ा

    इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आइएसबी) और साइबरपीस की एक स्टडी के मुताबिक फेक न्यूज में राजनीतिक खबरों की हिस्सेदारी सबसे अधिक 46 प्रतिशत है। सामान्य मुद्दों से जुड़ी खबरों की हिस्सेदारी 33.6 प्रतिशत और धार्मिक मुद्दों का फेक न्यूज में योगदान 16.8 प्रतिशत है। कुल फेक न्यूज में अकेले इन तीन कटेगरी का हिस्सा 94 प्रतिशत है।

    स्टडी में कहा गया है कि भारत में फेक न्यूज और डीपफेक कंटेंट का प्रसार तेजी से बढ़ा है। इंटरनेट मीडिया भ्रामक सूचना का सबसे बड़ा स्त्रोत है और यह 77.4 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है। इसकी तुलना में मुख्यधारा की मीडिया से भ्रामक सूचनाओं के सिर्फ 23 प्रतिशत मामले सामने आ रहे हैं। एक्स और फेसबुक भ्रामक सूचनाएं फैलाने में सबसे आगे हैं। एक्स 61 प्रतिशत और फेसबुक 34 प्रतिशत ऐसी सूचनाएं फैला रहा है।

    फेक न्यूज पर अंकुश लगाने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत

    साइबरपीस के फाउंडर और ग्लोबल प्रेसिडेंट मेजर विनीत कुमार का कहना है कि फेक न्यूज पर अंकुश लगाने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है। एक सुरक्षित इकोसिस्टम बनाने के लिए सरकारों और संस्थानों को अग्रणी भूमिका निभानी होगी, लेकिन यहां व्यक्ति विशेष की जिम्मेदारी भी अहम है।

    आइएसबी इंस्टीट्यूट आफ डाटा साइंस के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रोफेसर मनीष गंगवार ने कहा है कि स्टडी भ्रा फेक न्यूज की समस्या से निपटने के लिए व्यापक दृष्टिकोण की जरूरत पर जोर देती है। हमें इसके लिए तकनीकी समाधान के साथ मीडिया साक्षरता बढ़ाने, रिपोर्टिंग तंत्र को बेहतर बनाने पर काम करना होगा। ऑनलाइन मीडिया के काम में जिम्मेदारी को बढ़ावा देना भी एक अहम कदम होगा।

    इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म पर जवाबदेही तय करने की दिशा में भी प्रयास जारी

    केंद्रीय मंत्री, इलेक्ट्रानिक्स और इन्फार्मेशन टेक्नोलाजी, अश्विनी वैष्णव ने हाल में संसद में कहा था कि सरकार व्यापक बहस नवाचार के जरिये फेक न्यूज और डीपफेक की समस्या का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर जवाबदेही तय करने की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं।

    उन्होंने उभरते एआइ परिदृश्य, इंटरनेट मीडिया की जवाबदेही और मजबूत कानूनी ढांचे की जरूरत से जुड़ी गंभीर चुनौतियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने फेक न्यूज पर अंकुश लगाने और डिजिटल युग में सही नरेटिव सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी के साथ अपनी बात कहने की स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाने को भी अहम बताया था।

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