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    महेंद्र शर्मा हत्याकांड में अब आया नया मोड़

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    Updated: Wed, 22 Feb 2012 08:57 PM (IST)

    एनआरएचएम घोटाले से जोड़कर देखे जा रहे लिपिक हत्याकांड में बुधवार को नया मोड़ आ गया। पुलिस ने मृतक महेंद्र शर्मा के कथित सुसाइड नोट होने का भी राज खोल दि ...और पढ़ें

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    लखीमपुर। एनआरएचएम घोटाले से जोड़कर देखे जा रहे लिपिक हत्याकांड में बुधवार को नया मोड़ आ गया। पुलिस ने मृतक महेंद्र शर्मा के कथित सुसाइड नोट होने का भी राज खोल दिया। सुसाइड नोट ने फिलहाल सनसनी फैला दी है। इसमें सीएमओ समेत चार लोगों को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।

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    एसपी अमित चंद्रा ने बुधवार को पत्रकार वार्ता में सुसाइड नोट में लिखे गए वाक्यों को सिलसिलेवार बताया। उन्होंने कहा कि इस सुसाइड नोट का परीक्षण कराने के लिए लैब में भेजा जा रहा है। परीक्षण के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। महेंद्र शर्मा के अन्य पत्रों से भी इसका मिलान कर पुष्टि की जाएगी कि सुसाइड नोट महेंद्र शर्मा का ही है या नहीं? फिलहाल जो सुसाइड नोट मिला है, उसके मुताबिक महेंद्र शर्मा ने सात फरवरी को पत्र जिलाधिकारी के नाम लिखा है। इसमें नीचे महेंद्र शर्मा के हस्ताक्षर हैं।

    नोट कहा गया है कि मैं 2009 में पसगवां में तैनात था। यहां से मैंने अधीक्षक को 2 नवंबर 2011 से 26 नवंबर 2011 तक के अर्जित अवकाश के लिए अर्जी दी थी। पहले अर्जी को अधीक्षक ने मौखिक स्वीकृति दे दी थी मगर बाद में अवकाश निरस्त कर दिया। महेंद्र के कथित सुसाइड नोट में लिखा है कि एसीएमओ डा. बलबीर सिंह, राजेश बाबू, सीएचसी के अधीक्षक डा. एचसी गुप्ता और सीएमओ डा. जेपी भार्गव उसका लगातार उत्पीड़न कर रहे थे। इन अधिकारियों पर यह भी आरोप लगाया कि ये रिश्वत लेकर स्थानांतरण भी करते रहे हैं। स्थानांतरण रुकवाने के भी रिश्वत ली जाती है।

    सुसाइड नोट के मुताबिक बकौल महेंद्र मुझसे बीस हजार रुपये लेकर एक बार स्थानांतरण किए जाने की बात हुई। मैंने बीस हजार रुपये दिए भी। इसके बाद पचास हजार रुपये रिश्वत की मांग की गई। जब मैंने यह देने से मना कर दिया तो डा. बलबीर सिंह ने मेरा उत्पीड़न शुरू कर दिया। सुसाइड नोट के मुताबिक महेंद्र का कार्यालय तोड़कर डा. बलबीर सिंह ने राजेश बाबू को कार्यभार सौंपा था जिसमें कागजात व आरसीएचएम के चेक थे। महेंद्र के पास जो भी चार्ज था, वह उसने 21 जनवरी 2012 और 2 फरवरी 2012 को दे दिया था। बकौल महेंद्र मेरी आत्महत्या के लिए डा. बलबीर सिंह, डा. एचसी गुप्ता, राजेश बाबू और डा. जेपी भार्गव जिम्मेदार हैं।

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