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    नीति आयोग के उपाध्यक्ष-सदस्यों के पर कतरे

    By Bhupendra SinghEdited By:
    Updated: Sun, 19 Apr 2015 08:40 AM (IST)

    केंद्र सरकार ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष व सदस्यों के अधिकार में ब़$डी कटौती की है। नवगठित आयोग के उपाध्यक्ष को वैसे तो कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली [ब्यूरो]। केंद्र सरकार ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष व सदस्यों के अधिकार में ब़$डी कटौती की है। नवगठित आयोग के उपाध्यक्ष को वैसे तो कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होगा, लेकिन उन्हें कैबिनेट सचिव स्तर की सुविधाएं और अधिकार मिलेंगे। आयोग के सदस्यों को उसी प्रकार महंगाई भत्ता और अन्य भत्ते मिलेंगे, जिस तरह भारत सरकार के सचिव को मिलते हैं।

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    आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनग़ि$ढया का रैंक 'वॉरंट ऑफ प्रेसीडेंस[पदानुक्रम] के हिसाब से कैबिनेट मंत्री का होगा, जबकि उन्हें अधिकार कैबिनेट सचिव के ही प्राप्त होंगे। इसी तरह आयोग के दोनों पूर्णकालिक सदस्यों वीके सारस्वत व बिबेक देबरॉय की रैंक राज्य मंत्री की होगी, लेकिन उन्हें अधिकार और सुविधाएं सचिव स्तर के प्राप्त होंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस संबंध में आदेश जारी करके स्थिति स्पष्ट कर दी है।

    सरकार के आदेश का असर

    पीएमओ के इस आदेश का असर यह होगा कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष और सदस्यों को वे सुविधाएं नहीं मिल पाएंगी, जो कैबिनेट और राज्य मंत्रियों को मिलती हैं। इन्हें न तो मुफ्त बिजली, पानी और आवास की सुविधा होगी और न ही वे अधिक निजी स्टाफ रख पाएंगे। हालांकि उपाध्यक्ष और पूर्णकालिक सदस्यों के स्टाफ के बारे में कहा गया है कि इस संबंध में फैसला डीओपीटी के साथ विचार--विमर्श के बाद किया जाएगा।

    योजना आयोग से कम सुविधा

    नीति आयोग के उपाध्यक्ष और सदस्यों की हैसियत पूर्ववर्ती योजना आयोग की तुलना में कम होगी। योजना आयोग की तुलना में नीति आयोग के सदस्यों को बेहद कम सुविधाएं मिलेंगी। योजना आयोग के उपाध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त था, जबकि सदस्यों को राज्य मंत्री का। तत्कालीन योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया कैबिनेट की बैठकों में भी विशेषष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल होते थे। वहीं योजना आयोग के सदस्यों को भी अपनी पसंद का स्टाफ रखने का अधिकार था।