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    Pmc Bank Scam: पीएमसी बैंक के एक और खाताधारक की मौत, अब तक सात लोगों की जा चुकी है जान

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Sun, 03 Nov 2019 06:44 AM (IST)

    पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (पीएमसी) बैंक के एक और खाताधारक की मंगलवार रात नवी मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।

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    Pmc Bank Scam: पीएमसी बैंक के एक और खाताधारक की मौत, अब तक सात लोगों की जा चुकी है जान

     मुंबई, प्रेट्र। पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (पीएमसी) बैंक के एक और खाताधारक की मंगलवार रात नवी मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। बैंक में 4355 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद और आरबीआइ द्वारा पाबंदियां लगाने के बाद कुलदीप कौर विज (64) सातवीं खाताधारक हैं, जिनकी मौत हुई है। 

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    उनके पति वरिंदर सिंह विज ने बताया कि बैंक में जमा अपने धन और टीवी पर खाताधारकों के प्रदर्शन संबंधी खबरों से कुलदीप परेशान थीं। नवी मुंबई के खारघर इलाके के सेक्टर 10 की निवासी कौर का मंगलवार रात एक अस्पताल में निधन हो गया। वरिंदर ने बताया कि कुलदीप गुरु तेग बहादुर स्कूल में कोच थीं और उनका बैंक में सैलरी अकाउंट था। इसके साथ ही पिछले 15 सालों से उनके कई खाते बैंक में हैं। कुछ फिक्सड डिपॉजिट को अभी हाल ही में रीन्यू कराया था। अब हमारे पास स्वास्थ्य बीमा को रीन्यू कराने तक के पैसे नहीं हैं।

    पीएमसी बैंक से नकदी निकासी पर रोक के खिलाफ याचिका 

    नई दिल्ली। पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के खातों से नकदी निकासी पर लगी रोक हटाने की मांग को लेकर शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। इस पर मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने मामले में केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 22 जनवरी 2020 को होगी।

    अधिवक्ता शशांक देव सुधि और अधिवक्ता बिजॉन कुमार मिश्रा की ओर से दायर की गई जनहित याचिका में पीएमसी बैंक के खातों से कैश निकासी पर लगे प्रतिबंध को हटाने का आदेश देने की मांग की गई है। साथ ही उन्होंने इस बाबत दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश देने की मांग की है।

    आरबीआइ ने पीएमसी बैंक के खातों से कैश निकासी पर प्रतिबंध लगा दिया था। पहले ग्राहकों को छह महीने में अधिकतम 1 हजार रुपये निकालने की अनुमति दी गई थी। बाद में इसे बढ़ाकर 40 हजार रुपये कर दिया गया था। इससे पहले यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने की सलाह दी थी।