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    पीएम-श्री स्कूलों में निखर रहा बच्चों का टैलेंट, शैक्षणिक प्रदर्शन को किया जा रहा ट्रैक; जानिए कैसे शिक्षा में आ रही क्रांति

    Updated: Sun, 06 Jul 2025 11:30 PM (IST)

    पीएम-श्री स्कूल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन स्कूलों में बच्चों को रुचिकर तरीकों से पढ़ाया जा रहा है और नवाचार व नेतृत्व क्षमता विकसित की जा रही है। बच्चों को चंद्रयान मिशन और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला जैसे उदाहरणों से प्रेरणा मिल रही है।

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    इन स्कूलों में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति जमीन पर उतरते साफ दिख रही है (फोटो: पीटीआई/प्रतीकात्मक)

    अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। देश में पीएम-श्री स्कूलों (प्रधानमंत्री स्कूल ऑफ राइजिंग इंडिया) को खुले हुए अभी भले दो साल ही हुए हैं लेकिन इन स्कूलों में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) जमीन पर उतरते साफ दिख रही है। जहां बच्चों को पढ़ने-पढ़ाने के रुचिकर तरीकों के साथ ही उनमें नवाचार और नेतृत्व से जोड़ा जा रहा है।

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    स्कूली बच्चों में अपनाए जाने वाले इन नवाचारों को लेकर न सिर्फ ललक है बल्कि अब वह स्कूल स्तर से ही अपने सपने भी बुनने लगे है। उन्हें चंद्रयान मिशन के सफलता की कहानी से लेकर हाल ही में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का नाम जुबानी याद है।

    सेवापुरी ब्लॉक को पीएम मोदी ने गोद ले रखा है

    एनईपी के बाद स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए किए जा रहे प्रयासों का असर वैसे तो सभी स्कूलों में देखने को मिल रहा है इनमें पीएम-श्री स्कूल सबसे खास है क्योंकि इन स्कूलों को केंद्र सरकार एक मॉडल स्कूलों के रूप में तैयार कर रही है। हाल ही में वाराणसी के सेवापुरी, काशी विद्यापीठ व चिरईगांव ब्लॉक के करीब आधा दर्जन पीएम-श्री स्कूलों में इन बदलावों को पास से जाकर देखने को मिला।

    इनमें सेवापुरी ब्लॉक, जिसे पीएम मोदी ने गोद ले रखा है। सेवापुरी ब्लॉक के बेसहूपुर स्थित पीएम-श्री स्कूल के हेडमास्टर संतोष कुमार दूबे बताते है कि पीएम-श्री बनने के बाद स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति और उनके शैक्षणिक प्रदर्शन को लगातार ट्रैक किया जा रहा है। यदि कोई बच्चा लगातार तीन दिन स्कूल नहीं आता तो चौथे दिन उसके अभिभावक को फोन कर बच्चे के स्कूल नहीं आने का कारण पूछा जाता है।

    बच्चों का प्रदर्शन हो रहा ट्रैक

    • कोई बच्चा तीस दिनों तक स्कूल नहीं आता है तो उनके आने पर उसके लिए अलग से कक्षाएं लगायी जाती हैं। कोई बच्चा किसी विषय में कमजोर और निपुण लक्ष्य को हासिल नहीं कर पा रहा है, उसे उन सभी विषयों की अलग से पढ़ाई करायी जाती है। पीएम-श्री स्कूलों में बाल संसद, मीना मंच और स्टार ऑफ द मंच जैसे नवाचार भी बच्चों के बीच नेतृत्व के बीज रोप रहे हैं।
    • एनईपी में बच्चों को स्कूल स्तर से ही कौशल विकास से जोड़ने की सिफारिश का भी असर इन पीएम-श्री स्कूलों में देखने को मिला। जहां कौशल विकास के लिए स्मार्ट लैब से लेकर उनके कौशल के निखारने के लिए उपकरण भी मुहैया कराए जा रहे है।
    • बच्चों में कौशल में कक्ष में बनाने के लिए स्कूलों में पॉलीटेक्निक पास एक अनुदेशक तैनाती दी गई है। जो महीने में प्रत्येक स्कूलों में जाकर निर्धारित दिनों में प्रशिक्षण देता है। इसके साथ ही स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन पर सख्ती निगाह भी रखी जा रही है।

    खेल, कला-संगीत से जुड़ी प्रतिभाओं की पहचान

    खेल, कला, संगीत आदि क्षेत्रों से जुड़ी प्रतिभाओं को स्कूली स्तर से खोजकर उन्हें उनकी रुचि के आधार पर बेहतर प्रशिक्षण देने की भी मुहिम इन स्कूलों में शुरू की गई है। शिक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के अनुसार सभी राज्य सरकारों को इसके लिए जिला स्तर पर ही प्रतिस्पर्धा आयोजित कराने के लिए कहा गया है।

    वाराणसी में इन प्रतिस्पर्धा का भी आयोजन प्रमुखता से किया जा रहा है। हाल ही में संगीत व टूरिस्ट गाइड प्रतिस्पर्धा आयोजित की गई थी। इनमें ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें स्कूल स्तर पर प्रशिक्षित करने की पहल की गई है।

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