INS Vikrant: पीएम मोदी ने साझा की वीडियो, लिखा- इस भावना को शब्दों में बयां नहीं कर सकता
आइएनएस विक्रांत को भारतीय नौसेना को सौंपते हुए पीएम मोदी ने कहा विक्रांत विशाल है विराट है विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम प्रतिभा प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। भारत के पहले स्वदेशी युद्धपोत आइएनएस विक्रांत (INS Vikrant) पर हर भारतीय को गर्व महसूस होना लाजिमी है। पीएम मोदी ने आइएनएस विक्रांत को भारतीय नौसेना को सौंप दिया है। इस युद्धपोत पर पीएम मोदी कुछ समय रहे, लेकिन इन पलों को वह शब्दों में बयां नहीं कर पा रहे हैं। पीएम मोदी ने इस दिन को ऐतिहासिक बताते हुए एक वीडियो साझा किया है, जो तेजी से वायरल हो रहा है।
पीएम मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल पर आइएनएस विक्रांत का वीडियो शेयर करते हुए लिखा- भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन! मैं कल जब आइएनएस विक्रांत पर सवार था, तब उस गर्व की भावना को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।
आइएनएस विक्रांत को भारतीय नौसेना को सौंपते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।'
A historic day for India!
Words will not be able to describe the feeling of pride when I was on board INS Vikrant yesterday. pic.twitter.com/vBRCl308C9
— Narendra Modi (@narendramodi) September 3, 2022
विक्रांत की विशेषषताएं
- 262 मीटर लंबा, 62 मीटर चौड़ा व 'टावर' या 'आइलैंड' सहित 59 मीटर ऊंचा है। यह 18 मंजिला इमारत व फुटबाल के दो मैदान के बराबर है
- युद्धपोत पर मिग 29के समेत 30 ल़़डाकू विमानों के अलावा स्वदेशी हल्के हेलीकाप्टर ([एएलएच)] तैनात हो सकते हैं
- निर्माण पर करीब 20,000 करोड़ रुपये की लागत आई है। इसमें लगभग 2300 कंपार्टमेंट हैं।
- सर्वाधिक रफ्तार 28 समुद्री मील (लगभग 53 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा) और क्रूजिंग गति 18 समुद्री मील है। यह एक बार में करीब 75,000 समुद्री मील तय करने में सक्षम है।
- कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने निर्माण किया है और इसमें 76 प्रतिशत स्वदेशी सामान का इस्तेमाल हुआ है।
- वर्ष 2009 में शुरू हुआ था निर्माण, निर्माण के दौरान जहाज पर प्रतिदिन लगभग 2,000 लोग काम करते थे।
देश के पहले स्वदेशी एयर क्राफ्ट कैरियर आइएनएस विक्रांत में भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) के विशेष ग्रेड के स्टील का भी उपयोग किया गया है। इसके निर्माण के लिए करीब 30 हजार टन डीएमआर ग्रेड स्पेशियलिटी स्टील की जरूरत थी। इसे पूरा करने देश की सार्वजनिक क्षेत्र की महारत्न स्टील उत्पादक कंपनी स्टील अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के भिलाई इस्पात संयंत्र, बोकारो इस्पात संयंत्र व राउरकेला इस्पात संयंत्र को जिम्मेदारी दी गई थी।
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