NIIO Seminar: पीएम मोदी ने उठाए सवाल- आखिर ऐसा क्या हुआ कि भारत बन गया दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश...?
PM Modi at the Navy NIIO Seminar Swavlamban प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारतीय सेनाओं में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य 21वीं सदी के भारत के लिए बहुत जरूरी है। नौसेना के लिए 75 स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का निर्माण इसकी ओर बढ़ाया गया पहला कदम है।
नई दिल्ली, एजेंसियां। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारतीय सेनाओं में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य, 21वीं सदी के भारत के लिए बहुत जरूरी है। नौसेना के लिए 75 स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का निर्माण इसकी ओर बढ़ाया गया पहला कदम है। हमें स्वदेशी प्रोद्योगिकियों की संख्या को लगातार बढ़ाने के लिए काम करना है। भारतीय नौसेना की ओर से आयोजित सेमिनार 'स्वावलंबन' को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि भारत जब अपनी आजादी के 100 वर्ष का पर्व मनाए, उस समय हमारी नौसेना एक अभूतपूर्व ऊंचाई पर हो।
#WATCH| Many people don't know that India's defence sector was very strong even before independence. We had 18 ordinance factories that used to export artillery to the world, we were an imp supplier during WWII...but then what happened that we became the largest importer?:PM Modi pic.twitter.com/iPKUDBHQj1
— ANI (@ANI) July 18, 2022
पीएम मोदी ने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान रक्षा उपकरणों के हम एक अहम आपूर्तिकर्ता थे। हमारी होवित्जर तोपों और इशापुर राइफल फैक्ट्री में बनी मशीनगनों को श्रेष्ठ माना जाता था। हम बड़ी संख्या में एक्सपोर्ट किया करते थे लेकिन बाद में ऐसा क्या हुआ कि हम इस क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े आयातकर्ता बन गए...? बीते 8 वर्षों में हमने सिर्फ रक्षा बजट ही नहीं बढ़ाया है वरन यह बजट देश के ही रक्षा उत्पादन तंत्र के विकास में काम आए, यह भी सुनिश्चित किया है।
#WATCH | Delhi: We have the talent. It's not smart to let my soldiers go to the field with the same 10 weapons that the world has... I can't take the risk. My jawan will have what the opponent won't even think of...: Prime Minister Narendra Modi pic.twitter.com/4sXKEeUH1L
— ANI (@ANI) July 18, 2022
पीएम मोदी ने कहा कि मौजूदा वक्त में रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए तय बजट का बड़ा हिस्सा भारतीय कंपनियों से खरीद में ही लग रहा है। बीते 4-5 वर्षों में हमारा डिफेंस आयात लगभग 21 फीसद कम हुआ है। इतने कम समय में ये सब हुआ है। अब हम सबसे बड़े डिफेंस इम्पोर्टर की बजाय एक बड़े एक्सपोर्टर की तरह तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। बीते वर्षों में हमारा रक्षा निर्यात सात गुना बढ़ा है। पिछले साल हमनें 13 हजार करोड़ रुपये का डिफेंस एक्सपोर्ट किया है। इसमें 70 फीसद हिस्सेदारी हमारे प्राइवेट सेक्टर की है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मौजूदा वक्त में चुनौतियां भी बढ़ी हैं। आज राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे भी व्यापक हो गए हैं। पहले हम सिर्फ भूमि, समुद्र और हवाई क्षेत्र तक ही अपने डिफेंस की कल्पना करते थे। अब दायरा आर्थिक, सामाजिक, अंतरिक्ष और साइबर स्पेस की तरफ बढ़ रहा है। भारत जैसे-जैसे वैश्विक मंच पर खुद को स्थापित कर रहा है, वैसे-वैसे गलत, भ्रामक जानकारियों और अपप्रचार के माध्यम से लगातार हमले भी हो रहे हैं। भारत को नुकसान पहुंचाने वाली ताकतें चाहे देश में हों या फिर विदेश में, हमें उनकी हर कोशिश को नाकाम करना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बीते दशकों की अप्रोच से सीखते हुए आज हम सबके प्रयास की ताकत से नए रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का विकास कर रहे हैं। आज रक्षा अनुसंधान एवं विकास को निजी क्षेत्र, शिक्षाविद, एमएसएमई और स्टार्ट-अप के लिए खोल दिया गया है। हम अपनी पब्लिक सेक्टर डिफेंस कंपनियों को अलग-अलग सेक्टर में संगठित कर के उन्हें नई ताकत दी है। मौजूदा वक्त में हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि IIT जैसे प्रमुख संस्थानों को भी हम रक्षा अनुसंधान और नवाचार से कैसे जोड़ें...
प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi at the Navy NIIO Seminar 'Swavlamban') ने कहा कि मौजूदा वक्त में जब हम रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भविष्य की चर्चा कर रहे हैं, तब यह भी जरूरी है कि बीते दशकों में जो हुआ, उससे हम सबक भी लेते रहें। इससे हमें भविष्य का रास्ता बनाने में मदद मिलेगी। भारत का रक्षा क्षेत्र आजादी से पहले भी काफी मजबूत हुआ करता था। आजादी के समय देश में 18 आयुध निर्माता फैक्टरियां थीं, जहां कई तरह के सैनिक साजो सामान बना करते थे।
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