'हम पाकिस्तान पर फिर हमला करेंगे अगर...', G7 के मंच से आतंकवाद को लेकर PM मोदी का दुनिया को सख्त संदेश
पीएम मोदी ने पश्चिमी देशों को आतंकवाद पर दोहरा रवैया अपनाने के लिए फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को पुरस्कृत किया जा र ...और पढ़ें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आतंकवाद पर दोहरा रवैया अपनाने वाले पश्चिमी देशों को पीएम नरेन्द्र मोदी ने उनके ही मंच से आईना दिखाने में कोई कोताही नहीं की। पीएम मोदी ने अमेरिका व पश्चिमी देशों की तरफ इशारा किया कि कुछ मामलों में मनमर्जी तरीके से प्रतिबंध लगा दिया जाता है लेकिन कुछ देश खुलेआम आतंकवाद का समर्थन करते हैं तो उन्हें पुरस्कृत किया जाता है।
पीएम मोदी ने यह बात कही उसके कुछ ही घंटे बाद वॉशिंगटन में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान सेना के प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के बीच मुलाकात होने वाली है। भारतीय पीएम ने वैश्विक मंच से इस बात के फिर संकेत दिये कि पाकिस्तान अगर आतंकवाद को समर्थन देना अगर बंद नहीं करता है तो भारत ऑपरेशन सिंदूर जैसा कदम फिर उठा सकता है। मोदी ने आतंकवाद के अलावा एआइ व डीपफेक के बढ़ते खतरे को भी उठाया।
वैश्विक शांति के लिए हमारी सोच स्पष्ट होनी चाहिए: पीएम मोदी
जी-7 के सदस्य देशों और इस बैठक में विशेष तौर पर आमंत्रित देशों के नेताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि “वैश्विक शांति व समृद्धि के लिए हमारी सोच व नीति स्पष्ट होनी चाहिए। यदि कोई भी देश आतंकवाद का समर्थन करता है तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी।
आतंकवाद पर दोहरे मानदंड का कोई स्थान नहीं होन'' आगे उन्होंने कहा कि, “एक तरफ तो हम अपनी पसंद-नापसंद के आधार पर भांति-भांति के प्रतिबंध लगाने में देर नहीं लगाते। दूसरी ओर, जो देश खुलेआम आतंकवाद का समर्थन करते हैं हम उन्हें पुरस्कृत करते हैं।''
साफ है कि उनका इशारा हाल ही में पाकिस्तान को आइएमएफ व विश्व बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से मिले आर्थिक मदद की तरफ है। 22 अप्रैल, 2025 को पाक समर्थिक आतंकवादियों की तरफ से पहलगाम में हमला करने के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था।
इसके तहत पाकिस्तान स्थित आतंकवादी ठिकानों और सैन्य ठिकानो पर निशाना साधा गया था।डीप फेक के खतरों के बारे में भारतीय पीएम ने कहा कि, डीप फेक एक बहुत बड़ी चिंता का कारण है। इसलिए एआइ जेनेरेटेड कंटेट पर वाटर मार्किंग या उसको लेकर स्पष्ट घोषणा की व्यवस्था होनी चाहिए। एआइ खुद एक बहुत ही ऊर्जा खपत करने वाली प्रौद्योगिकी है। प्रौद्योगिकी आधारित समाज की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अगर कोई उपाय है तो वह रिनीवेबल इनर्जी ही है।

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