'कांग्रेस ने वंदे मातरम् के किए टुकड़े-टुकड़े', संसद में विपक्ष पर बरसे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने 'वंदे मातरम्' को लेकर कांग्रेस पर आरोप लगाए और कहा कि कांग्रेस ने ...और पढ़ें
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नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री। (फोटो- एएनआई)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर सोमवार को लोकसभा में विशेष चर्चा का आरंभ करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐतिहासिक तथ्यों के सहारे कांग्रेस को एक फिर से कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया।
राष्ट्रगीत की पावन भावना का अपने शब्दों में विस्तार से उल्लेख करने के साथ ही उन्होंने कहा, 'उन परिस्थितियों को भी हमारी नई पीढ़ी को जरूर बताना हमारा दायित्व है, जिसकी वजह से वंदे मातरम् के साथ विश्वासघात किया गया।'
उन्होंने आरोप लगाया कि तुष्टीकरण की राजनीति के दबाव में कांग्रेस ने वंदे मातरम् के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। कांग्रेस वंदे मातरम् के बंटवारे के लिए झुकी, इसलिए कांग्रेस को एक दिन भारत के बंटवारे के लिए झुकना पड़ा। दुर्भाग्य से कांग्रेस की नीतियां वैसी की वैसी ही हैं। आज भी जिन-जिन के नाम के साथ कांग्रेस जुड़ा हुआ है, वे सब वंदे मातरम् पर विवाद खड़ा करने की कोशिश करते हैं।
उन्होंने कहा, ''संसद में गंभीर चर्चा चल रही है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सदन में मौजूद नहीं हैं। पहले नेहरू और अब राहुल गांधी ने वंदे मातरम् का अपमान किया है।''
प्रधानमंत्री ने चर्चा के दौरान दावा किया कि वंदे मातरम् के प्रति मुस्लिम लीग की विरोध की राजनीति तेज होती जा रही थी। मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से 15 अक्टूबर, 1937 को वंदे मातरम् के विरुद्ध नारा बुलंद किया था। फिर कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा। नेहरू जी ने मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों को तगड़ा जवाब देने और उसके बयानों की निंदा करने के बजाय वंदे मातरम् की ही पड़ताल शुरू कर दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन्ना के विरोध के पांच दिन बाद ही 20 अक्टूबर को नेहरू जी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को चिट्ठी लिखी। उस चिट्ठी में जिन्ना की भावना से नेहरू जी ने अपनी सहमति जताते हुए लिखा कि वंदे मातरम् की आनंद मठ वाली पृष्ठभूमि मुसलमानों को इरिटेट कर सकती है।
प्रधानमंत्री ने पंडित नेहरू का बयान पढ़ा, 'मैंने वंदे मातरम् गीत की पृष्ठभूमि पढ़ी है। मुझे लगता है कि यह जो पृष्ठभूमि है, इससे मुस्लिम भड़केंगे।' प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए कहा, इसके बाद कांग्रेस की तरफ से बयान आया कि 26 अक्टूबर से कांग्रेस कार्यसमिति की एक बैठक कोलकाता में होगी, जिसमें वंदे मातरम् के उपयोग की समीक्षा की जाएगी। पूरा देश हतप्रभ और हैरान था।
देशभक्तों ने इस प्रस्ताव के विरोध में देश के कोने-कोने में प्रभात फेरियां निकालीं, वंदे मातरम् गीत गाया, लेकिन देश का दुर्भाग्य कि 26 अक्टूबर को कांग्रेस ने वंदे मातरम् पर समझौता कर लिया और वंदे मातरम् के टुकड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि उस फैसले के पीछे नकाब यह पहना गया कि यह तो सामाजिक सद्भाव का काम है, लेकिन इतिहास गवाह है कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिए और यह काम मुस्लिम लीग के दबाव में किया। कांग्रेस का यह तुष्टीकरण की राजनीति को साधने का एक तरीका था।
प्रधानमंत्री ने आपातकाल की भी दिलाई याद
प्रधानमंत्री मोदी ने चर्चा के दौरान आपातकाल की भी याद दिलाई। कहा कि वंदे मातरम् को जब 50 वर्ष हुए, तब देश गुलामी में जीने को मजबूर था और जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। तब भारत के संविधान का गला घोंट दिया गया था। देशभक्ति के लिए जीने-मरने वाले लोगों को जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया गया था। जिस वंदे मातरम् ने देश को आजादी की ऊर्जा दी थी, जब उसके 100 वर्ष हुए तो दुर्भाग्य से एक काला कालखंड हमारे इतिहास में उजागर हो गया। उन्होंने इसकी तुलना संविधान के 75 वर्ष और वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के मौजूदा जश्न से की।
'बंकिम दा' पर एतराज के बाद 'बंकिम बाबू' कहा
प्रधानमंत्री मोदी के बंकिम चंद्र चटर्जी को 'बंकिम दा' कहने पर तृणमूल कांग्रेस ने एतराज जताया। चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस सदस्य सौगत राय ने प्रधानमंत्री से बंकिम चंद्र का जिक्र करते समय 'बाबू' शब्द का इस्तेमाल करने को कहा। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा, ''मैं बंकिम बाबू कहूंगा। धन्यवाद, मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं।'' इसके बाद उन्होंने मजाक करते हुए पूछा, ''मैं आपको दादा कह सकता हूं, है ना? या आपको इस पर भी एतराज है।''
'अब बंगाल की बारी' के नारे से पीएम का स्वागत
प्रधानमंत्री मोदी जैसे ही चर्चा शुरू करने के लिए सदन में आए तो सत्तारूढ़ भाजपा के सदस्यों ने ''बिहार की जीत हमारी है, अब बंगाल की बारी है'' के नारे से उनका स्वागत किया। अपनी सीटों से उठकर उन्होंने वंदे मातरम् के नारे भी लगाए।

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