प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ये मेगा प्रोजेक्ट्स बदल देंगे भारत की तस्वीर
PM Modi Mega Projects सरकारी योजनाओं के देरी से पूरे होने के दाग को भी धोने का प्रयास करते हुए इन्हें समय से पहले ही पूरा करने की तैयारी है। कौन-कौन से मेगा प्रोजेक्ट हैं? इस पर चर्चा

नई दिल्ली, नेशनल डेस्क। PM Modi Mega Projects प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वादा किया था कि देश में चल रही विकास परियोजनाओं से आने वाले समय में भारत की तस्वीर बदल जाएगी। रविवार को जम्मू के पल्ली गांव में कई बड़ी परियोजनाओं का उद्घाटन कर उन्होंने इसकी झलक दिखा दी है। वैसे ही कई मेगा प्रोजेक्ट्स हैं, जिनके वर्ष 2025-2026 तक पूरे होने के दावे किए जा रहे हैं।
बुलेट ट्रेन: दो वाणिज्यिक केंद्रों अहमदाबाद से मुंबई के बीच जापानी तकनीक से बुलेट ट्रेन चलाने की परियोजना पर काम शुरू हो गया है। बुलेट ट्रेन के लिए पिलर का काम शुरू हो गया है। ट्रेन की रफ्तार औसतन 350 किमी प्रति घंटे होगी, जो नियमित ट्रेनों की तुलना में दस गुना तेज होगी। 25 हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना के 2023 तक तैयार होने की उम्मीद है।
नई दिल्ली से वाराणसी के बीच हाईस्पीड रेल कारिडोर का काम शुरू होना है। नई दिल्ली से वाराणसी की कुल दूरी 865 किलोमीटर है। इस रूट पर 300 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से बुलेट ट्रेन दौड़ाने की योजना है। इससे नई दिल्ली से वाराणसी तक पहुंचने का समय काफी घट जाएगा।
गगनयान: गगनयान अंतरिक्ष यान को 2021 में लान्च किया जाना था, लेकिन कोविड संक्रमण के कारण इस परियोजना में देरी हुई। गगनयान इसरो द्वारा डिजाइन किया गया यह पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष यान है। इन तीन मिशनों में से 2 मानवरहित होंगे, जबकि एक मानव युक्त मिशन होगा। यह मिशन 5-7 दिनों के लिए पृथ्वी से 300-400 किमी. की ऊंचाई पर निम्न भू-कक्षा में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा। योजना के अनुसार चीजें होती हैं, तो भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद अंतरिक्ष में मानव भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा। तीन अंतरिक्ष मिशनों को कक्षा में भेजा जाएगा। इसके अलावा आने वाले समय में चंद्रयान 3 और शुक्रयान मिशन पर काम चल रहा है।
आसान होगी चार धाम यात्रा, लाखों यात्रियों की प्रोजेक्ट पर नजर : मोदी सरकार के चार-धाम प्रोजेक्ट पर लाखों नजर टिकी हुई हैं। प्रोजेक्ट के तहत केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को आपस में जोड़ा जा रहा है। इसके लिए 889 किलोमीटर का हाईवे बन रहा है। ऋषिकेश से धारासु होते हुए गंगोत्री, यमुनोत्री, रुद्रप्रयाग होते हुए केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ने वाली इस हाईवे परियोजना की लागत 12,000 करोड़ रुपए है।
मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक : मुंबई को नवी मुंबई से जोड़ने के लिए 22 किलोमीटर लंबा पुल बनाने का काम तेजी से चल रहा है। यह देश का सबसे लंबा सी लिंक ब्रिज (समुद्र पर ब्रिज ) है। इस पुल को मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक का नाम दिया गया है। इसका 16.5 किलोमीटर हिस्सा समुद्र में और 5.5 किलोमीटर जमीन पर होगा। 2200 पिलर खड़े किए जा रहे हैं। ये शिवाजी मेमोरियल प्रोजेक्ट का एक हिस्सा है। यह परियोजना वर्ष 2023 तक पूरी होने की उम्मीद है।
वाटर एयरपोर्टस को हरी झंडी : भारत में 10 वाटर एयरपोर्ट्स को हरी झंडी मिल गई है। अहमदाबाद से केवड़िया स्थित स्टैच्यू आफ यूनिटी के बीच सी-प्लेन सेवा शुरू होने के बाद सरदार सरोवर डैम, साबरमती रिवर फ्रंट, ओडिशा के चिल्का लेक, अंडमान निकोबार के लान्ग, स्वराज व शहीद आइलैंड में वाटर एयरपोर्टस बन रहे हैं।
ग्लेशियरों के बीच से सड़क : वर्ष 1985 में शुरू की गई परियोजना हिमांक के तहत सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) दुनिया की पहली सड़क बनाने के लिए काम कर रहा है। यह सड़क 19,300 फीट ऊंचाई पर स्थित उमलिंगला टाप से होकर गुजरती है। पूर्वी लद्दाख में ससोमा से सासेर ला तक बनने वाली इस सड़क का काम लगातार चल रहा है।
मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेस वे : मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेस वे एक 1250 किमी लंबा निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग है। यह पांच राज्यों मप्र, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और हरियाणा से होकर गुजरेगा। इससे दिल्ली से मुंबई के बीच का सफर 24 घंटे से घटकर 12 घंटे का हो जाएगा।
696 फीट ऊंचा शिवाजी स्मारक : अरब सागर में करीब 15 एकड़ में टापू पर लगभग 696 फीट ऊंचा शिवाजी स्मारक बनाया जा रहा है। मुंबई के गिरगांव चौपाटी से सटे समुद्र में करीब डेढ़ किलोमीटर अंदर टापू पर 1900 करोड़ की लागत से बन रहे स्मारक को देखने के लिए एक समय में 10 हजार लोग तक जा सकते हैं। एक हादसे के बाद इस स्मारक पर जाने के लिए टनल बनाने पर विचार किया जा रहा है।
75 साल पूरे होने पर नया संसद भवन : नए संसद भवन का निर्माण सेंट्रल विस्टा री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है। इसमें संसद भवन के अलावा केंद्रीय मंत्रलयों के लिए सरकारी बिल्डिंग, उपराष्ट्रपति के लिए नए एनक्लेव, पीएमओ आवास में कई निर्माण होंगे। 13,450 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इस नए भवन में आजादी के 75 साल पूरे होने पर संसदीय सत्र चलने की उम्मीद जताई जा रही है।
इलेक्टिक वाहन का उत्पादन : परिवहन उद्देश्यों के लिए ईंधन के उपयोग के बारे में बढ़ती चिंताओं के साथ, इलेक्टिक वाहन उद्योग तलाशने के लिए एक बढ़िया विकल्प है। देश में इलेक्टिक वाहन उद्योग को बढ़ावा देने के साथ, भारत इलेक्टिक वाहनों का एक विशाल उत्पादक बनने की योजना बना रहा है। आने वाले समय में यह महत्वपूर्ण परियोजना होगी।
(स्रोत: नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआइपी)
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