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    'मैं भी आम इंसान हूं, भगवान नहीं; मुझसे भी गलतियां हुईं' सोशल मीडिया की ताकत को लेकर क्या बोले PM मोदी

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पॉडकास्ट में डेब्यू कर लिया है। उन्होंने जेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ पॉडकास्ट पर अपनी जीवन से जुड़ी कई बातों पर चर्चा की। पॉडकास्टर और जीरोधा कंपनी के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया को लोकतंत्र को मजबूत करने वाला बताया। उन्होंने अपने लंबे राजनीतिक जीवन के अनुभवों को भी साझा किया।

    By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Fri, 10 Jan 2025 10:19 PM (IST)
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    पीएम नरेंद्र मोदी ने जीरोधा कंपनी के सह-संस्थापक निखिल कामथ से बातचीत की।(फोटो सोर्स: सोशल मीडिया)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पॉस्टकास्ट पर दिये अपने पहले साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जीवन, राजनीति, कूटनीति समेत सामाजिक क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बोला। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में सरकार के प्रमुख के तौर पर अपने लंबे कार्यकाल के दौरान लिए गए फैसलों का हवाला देते हुए उन्होंने साफ किया कि उनसे भी गलतियां हुई है, वे भी एक आम इंसान हैं, भगवान नहीं हैं।

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    लोकतंत्र को मजबूत कर रहा सोशल मीडिया: पीएम मोदी 

    प्रधानमंत्री ने युवाओं से राजनीति में आने की अपील करते हुए कहा कि इसे एंबिशन नहीं, मिशन के रूप में लेना चाहिए। पॉडकास्टर और जीरोधा कंपनी के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया को लोकतंत्र को मजबूत करने वाला बताया। अपने लंबे राजनीतिक जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मोदी आज भी वही है, जो पहले थे।

    साक्षात्कार के दौरान कामथ ने प्रधानमंत्री को एक फोटो दिखाया, जिसमें वे मंच से नीचे बैठे थे। यह फोटो 2001 में उनके मुख्यमंत्री बनने के पहले का था। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सालों में पद, परिस्थितियां और व्यवस्थाएं जरूर बदली होगी, लेकिन मोदी वही है, जो नीचे बैठा है।

    23 साल के शासन में हमेशा गरीबों को केंद्र में रखा: पीएम मोदी  

    प्रधानमंत्री ने बताया कि पहले मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री के रूप में अपने 23 साल के लंबे कार्यकाल के दौरान उन्होंने हमेशा आम लोगों और गरीबों को अपने शासन के केंद्र में रखा और नौकरशाही को भी इसके लिए तैयार किया।

    उन्होंने बताया कि किस तरह से गोधरा कांड के बाद उन्होंने सिक्यूरिटी प्रोटोकाल तोड़कर सिंगल इंजन के हेलीकाप्टर से घटनास्थल पर पहुंचे थे। इसी तरह से भुज में भूकंप की विभीषिका के बाद पुनर्निर्माण के लिए नौकरशाही को अपने ही बनाए नियम-कायदे को बदलने के लिए प्रेरित किया था।

    प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार सरकार के प्रमुख के रूप में फैसला लेते हुए गलती होना स्वाभाविक प्रक्रिया है। लेकिन इसके पीछे नीयत गलत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इंसान होने के कारण उनसे भी फैसला लेने में गलतियां हुई, लेकिन उनकी नीयत कभी गलत नहीं रही।

    'राजनीति को गंदा नहीं मानना चाहिए'

    प्रधानमंत्री के रूप में अपने पहले और दूसरे कार्यकाल से तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि तीसरे कार्यकाल में वे ज्यादा आत्मविश्वास से भरे हैं और 2047 तक विकसित भारत बनाने की ओर तेजी से काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि युवाओं को राजनीति को गंदा नहीं मानना चाहिए।

    राजनीति में अच्छे और प्रतिभावान युवाओं की जरूरत है, जो देश और समाज को सही दिशा दे सके। उन्होंने साफ किया कि राजनीति सिर्फ विधायक और सांसद बनना नहीं है। देश भर में मुश्किल से 10 हजार विधायक और 1000 से भी कम सांसद होंगे। राजनीति का कैनवास इससे बहुत बड़ा है।

    'सभी राजनीतिक दलों को युवा शक्ति की दरकार है'

    उन्होंने कहा कि चुनाव ही राजनीति नहीं है। सार्वजनिक जीवन में आकर लोगों की सेवा करना और उनकी समस्याओं को दूर करना भी इसका अहम हिस्सा है। उन्होंने कहा कि देश के सभी राजनीतिक दलों को युवा शक्ति की दरकार है। राजनीति करने और चुनाव लड़ने के लिए अधिक धन की जरूरत को भी प्रधानमंत्री ने खारिज कर दिया। इसके लिए उन्होंने अपने बचपन में एक डॉक्टर का उदाहरण दिया, जिन्होंने जनता से एक-एक रुपया चंदा कर चुनाव लड़ा और जीता था।

    सोशल मीडिया के दुरूपयोग और फेक न्यूज को लेकर चल रही बहस के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने इसे लोकतंत्र को मजबूत करने वाला बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया के पहले लोगों के लिए जानकारी के लिए अखबारों और चैनलों पर निर्भर रहना पड़ता था और उसकी सत्यता का पता लगाने के लिए कोई तरीका नहीं था।

    भारतवंशी देश के राष्ट्रदूत: पीएम मोदी 

    सोशल मीडिया ने लोगों का जानकारी साझा करने की शक्ति दी है और कोई भी व्यक्ति थोड़ी सी मेहनत से सच्चाई जान सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया में भारतीय कूटनीतिक बढ़ती धाक और भारतवंशियों के सम्मान पर भी विस्तार से चर्चा की।

    उन्होंने भारतवंशियों को भारत का राष्ट्रदूत बताया। इसी तरह से कूटनीतिक मोर्च पर उन्होंने साफ किया कि भारत अब किसी भी मामले में निरपेक्ष नहीं, बल्कि शांति के पक्ष में है। रूस-यूक्रेन और फिलिस्तीन-इसरायल संघर्ष का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारत सभी पक्षकारों से शांति की बात करता है। यही कारण है कि रूस, यूक्रेन, इरान, इजरायल और फिलिस्तीन सभी भारत की बात ध्यान से सुनते हैं।

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