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पीएम मोदी ने बसव जयंती पर बसवेश्वर को दी श्रद्धांजलि, कहा- उनके विचार मानवता की सेवा के लिए करते प्रेरित

बसव जयंती के मौके पर पीएम मोदी ने समाज सुधारक बसवेश्वर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने कहा कि उनके विचार और आदर्श मानवता की सेवा के लिए प्रेरणा देता है। उन्हें लिंगायतवाद के उदय का मुख्य प्रेरक शक्ति माना जाता है।

By AgencyEdited By: Shalini KumariPublished: Sun, 23 Apr 2023 10:26 AM (IST)Updated: Sun, 23 Apr 2023 10:26 AM (IST)
पीएम मोदी ने बसव जयंती पर बसवेश्वर को दी श्रद्धांजलि, कहा- उनके विचार मानवता की सेवा के लिए करते प्रेरित
पीएम मोदी ने बसवेश्वर को श्रद्धांजलि अर्पित की

नई दिल्ली, पीटीआई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राजनेता, कवि और समाज सुधारक बसवेश्वर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनके विचार और आदर्श मानवता की सेवा करने की प्रेरणा देते हैं।

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पीएम मोदी ने किया ट्वीट

पीएम मोदी ने ट्वीट किया, "आज बसवा जयंती के पावन अवसर पर, मैं जगद्गुरु बसवेश्वर को नमन करता हूं, जिनके विचार और आदर्श हमें मानवता की सेवा करने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने दलितों को सशक्त बनाने और एक मजबूत तथा समृद्ध समाज के निर्माण पर काफी जोर दिया।"

राज्य में भाजपा और कांग्रेस मनाएगी जयंती

कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार के बीच सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस दोनों ही राज्य में 12वीं शताब्दी के श्रद्धेय कन्नडिगा की जयंती मनाएगी। दरअसल, कर्नाटक को वह जगह है, जहां लिंगायत सबसे बड़ा समुदाय है।

ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे बसवेश्वर

संत बसवेश्वर का जन्म 1131 ईसवी में बागेवाडी के ब्राह्मण परिवार में हुआ था। हालांकि, उन्होंने कुछ समय बाद अपना घर त्याग दिया और बसवेश्वरा यहां से कुदालसंगम (लिंगायतों का प्रमुख तीर्थ स्थल) पहुंचे, जहां उन्होंने सर्वांगीण शिक्षा हासिल की। बसवेश्वर को समाज की बिगड़ी हुई सामाजिक-आर्थिक दशा की चिंता थी। छुआछूत का व्यापक असर था और लैंगिक भेदभाव वाले समाज में महिलाओं का जीवन नारकीय बना हुआ था।

सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ थे बसवेश्वर

बसवेश्वर ने वीरशैव लिंगायत समाज बनाया, जिसमें सभी धर्म के प्राणियों को लिंग धारण कर एक करने की कोशिश की।  बसवेश्वर को 'भक्ति भंडार बसवन्न', 'विश्वगुरु बसवण्ण' और 'जगज्योति बसवण्ण' के नाम से भी जाना जाता है। बसवेश्वरा, लिंग और जातिगत भेदभाव के खिलाफ खड़े थे। उन्हें लिंगायत वाद के उदय का मुख्य प्रेरक शक्ति माना जाता है।


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