पीएम मोदी ने भूटान के राजा 'जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक' से की मुलाकात, NSA अजीत डोभाल के साथ भी होगी बैठक
भारत-भूटान द्विपक्षीय संबंधों का मूल ढांचा दोनों देशों के बीच 1949 में हस्ताक्षरित मैत्री और सहयोग की संधि थी। इसने दोनों देशों के बीच एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का आह्वान है। सन् 2007 में संधि को संशोधित किया गया था।

नई दिल्ली, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक (Jigme Khesar Namgyel Wangchuck) से मुलाकात की। वांगचुक ने विदेश सचिव विनय क्वात्रा से भी मुलाकात की और आज राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी मुलाकात करेंगे। यह जानकारी समाचार एजेंसी एएनआई ने दी।
भूटान ने मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन रूपरेखा समझौते की पुष्टि की थी। इस बीच, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट किया कि भारत में भूटान के राजदूत मेजर जनरल वेटसॉप नामग्याल ने डीजी इंटरनेशनल सोलर अलायंस की मौजूदगी में सचिव ईआर दम्मू रवि को अनुसमर्थन का दस्तावेज सौंपा है।
Prime Minister @narendramodi meets Bhutan King, H.M. Wangchuk.@PMOIndia @ianuragthakur @Murugan_MoS @MEAIndia @DrSJaishankar @PIB_India @DDNewslive @airnewsalerts pic.twitter.com/cVIFJgMr4e
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) September 14, 2022
दोनों देशों की संधि में 2007 में किया गया था संशोधन
भारत-भूटान द्विपक्षीय संबंधों का मूल ढांचा दोनों देशों के बीच 1949 में हस्ताक्षरित मैत्री और सहयोग की संधि थी। इसने दोनों देशों के बीच एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का आह्वान है। सन् 2007 में संधि को संशोधित किया गया था।
हालांकि, भूटान भारत को अपनी विदेश नीति का मार्गदर्शन करने देने के लिए सहमत हो गया और दोनों देश विदेश और रक्षा मामलों पर एक-दूसरे से निकटता से परामर्श करेंगे।
दोनों देशों के बीच 1968 में स्थापित हुए राजनयिक संबंध
बता दें कि राजनयिक संबंध 1968 में थिम्पू में भारत के एक विशेष कार्यालय की स्थापना के साथ स्थापित किए गए थे। भारत और भूटान के बीच सुरक्षा, सीमा प्रबंधन, व्यापार, पारगमन, आर्थिक, जल विद्युत, विकास सहयोग, जल संसाधन आदि जैसे क्षेत्रों में कई संस्थागत और राजनयिक तंत्र हैं।
गौरतलब है कि भूटान चार भारतीय राज्यों- असम, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के साथ 699 किलोमीटर की लंबाई के साथ अपनी सीमा साझा करता है और भारत और चीन के बीच एक बफर के रूप में कार्य करता है। भूटान भारत के लिए एक बफर राज्य के रूप में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चिकन नेक कॉरिडोर की रक्षा करके चीन के खिलाफ रक्षा के रूप में कार्य करता है।

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