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    पीएम मोदी अगले माह जा सकते हैं अमेरिका, दौरा क्यों है अहम; भारत को क्या होंगे 6 बड़े फायदे? पढ़िए डिटेल

    PM Modi likely to visit America in February ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार पीएम मोदी ने ट्रंप से फोन पर बातचीत की। अब वे अगले महीने यानी फरवरी में अमेरिका के दौरे पर जा सकते हैं। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद यह दौरा क्यों अहम रहेगा? कूटनीति से कारोबार तक भारत को क्या 6 बड़े फायदे होंगे यहां पढ़िए पूरी डिटेल।

    By Jagran News Edited By: Deepak Vyas Updated: Wed, 29 Jan 2025 05:11 PM (IST)
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    पीएम मोदी फरवरी में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कर सकते हैं। फोटो: पीटीआई

     डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। PM Modi to visit US in Feb अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शपथ लेते ही एक्शन के मोड में आ गए हैं। उन्होंने नागरिकता से लेकर मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदलने तक कई ऐसे निर्णय ले डाले, जिससे दुनिया हैरान है। इसी बीच ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच फोन पर बात हुई।

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    इस बातचीत के बाद अब खबर है कि पीएम मोदी अगले माह यानी फरवरी में अमेरिका की यात्रा कर सकते हैं। ऐसे समय में जब प्रवासी भारतीयों के वापस भारत आने को लेकर कवायदें चल रही है, पीएम मोदी का का अगले महीने अमेरिका के दौरे से भारत को कूटनीतिक से लेकर कारोबार तक कई क्षेत्रों में लाभ होगा। पढ़िए पूरी डिटेल।

    ट्रंप और पीएम मोदी की फोन पर बातचीत में छिपा है बड़ा संदेश

    डोनाल्ड ट्रंप के शप​थ ग्रहण में पीएम मोदी शामिल हुए थे। उनकी जगह विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ​शपथ समारोह में शिरकत की थी। इसके बाद फोन पर चर्चा से दोनों ने एक बार फिर जता दिया कि न सिर्फ ट्रंप और पीएम मोदी अच्छे मित्र हैं, बल्कि दो बड़े लोकतांत्रिक देश एकदूसरे के प्रति मित्रता की प्रतिबद्धता से भी बंधे हुए हैं। पीएम मोदी ने फोन पर ट्रंप को बधाई दी। इस बात का जिक्र उन्होंने 'एक्स' पर भी किया। उन्होंने कहा

    'प्रिय मित्र, ट्रंप से बात कर अति प्रसन्नता हुई। उन्हें दोबारा राष्ट्रपति बनने पर शुभकामनाएं दीं। परस्पर लाभ और विश्वासपूर्ण साझेदारी के लिए दोनों देश प्रतिबद्ध हैं। हम वैश्विक शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए साथ काम करेंगे।'

    अवैध प्रवासियों को भारत भेजने पर बातचीत

    18 हजार भारतीयों को वापस भेजने को लेकर अमेरिका ने अपना पक्ष भारत के समक्ष रख दिया है। जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने इस मुद्दे पर चर्चा भी की। हालांकि ‘व्हाइट हाउस’ ट्रंप की मोदी की बातचीत को सार्थक बताते हुए कहा है कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों समेत भारत-अमेरिका सहयोग को और अधिक गहरा करने की दिशा में काम करने पर जोर दिया है।

    चिनफिंग के साथ ट्रंप की 'फोन' कूटनीति

    चीन पर शत प्रतिशत टैरिफ लगाने की ट्रंप की धमकी ने एक बार फिर यह जता दिया है कि ट्रंप की चीन के प्रति सख्ती पिछले कार्यकाल की तरह बनी रहेगी। हालांकि उन्होंने कूटनीति का परिचय देते हुए राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से फोन पर बात जरूर की। लेकिन पुतिन और किम जोंग के प्रति चिनफिंग की नजदीकियां ट्रंप भी अच्छी तरह जानते हैं।

    1. क्वाड के बहाने भारत-अमेरिका की दिखेगी करीबी

    ऐसे समय में इस साल के अंत में भारत में क्वाड सम्मेलन होगा। भारत की मेजबानी में होने वाले इस आयोजन के बहाने अमेरिका और भारत की करीबी भी देखने को मिलेगी, जिसे चीन बिल्कुल पसंद नहीं करता है। वहीं इंडो पैसिफिक रीजन में भी ट्रंप और पीएम मोदी की दोस्ती खासा प्रभाव दिखा सकती है।

    2. टैरिफ को लेकर भी हो सकती है सार्थक चर्चा

    अपनी टैरिफ नीति के लिए ट्रंप खासे चर्चा में हैं। ट्रंप ने चीन और ब्राजील के साथ भारत पर के लिए भी कहा कि जो देश अमेरिकी वस्तुओं पर ज्यादा टैरिफ लगाते हैं, उनके खिलाफ अमेरिका भी टैरिफ लगाएगा। इन सबके बीच पीएम मोदी अमेरिका की यात्रा पर जाते हैं तो भारत को लेकर टैरिफ के मामले पर ट्रंप शिथिल पड़ सकते हैं। ट्रंप वैसे भी पीएम मोदी को 'अच्छी डील' करने वाले नेता के रूप में उनकी तारीफ पिछले कार्यकाल में मुलाकात के दौरान कर चुके हैं। इसी बीच भारत स्टील, महंगी बाइक्स और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं पर पहले से ही टैरिफ कम करने पर विचार कर रहा है। इसका घरेलू कारोबार पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। बजट में इसकी पुष्टि हो सकती है।

    3. हिंद प्रशांत क्षेत्र में कम करेंगे चीन की 'दादागिरी'

    भारत और अमेरिका के बीच न सिर्फ कूटनीतिक संबंध सुदृढ़ हैं, बल्कि रक्षा संबंध भी अच्छे हैं। ऐसे समय में जब चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा में अपना 'कब्जा' जमा रखा है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में 'घुसपैठ' करता है। दक्षिण चीन सागर के दायरे में आने वाले देशों पर अपनी 'दादागिरी जमाता है। ऐसे में ट्रंप और पीएम मोदी के बीच बातचीत खासतौर पर हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती 'दादागिरी' को कम करने की दिशा में बेहद सार्थक होगी। यही नहीं, पश्चिम एशिया और यूरोप में सुरक्षा के मसले पर भी अमेरिका और भारत के 'सुर' एक ही हैं।

    4. डिफेंस सेक्टर में भारत को मिलेगी मजबूती

    भारत ने अपने डिफेंस को मजबूत करने के लिए हाल के वर्षों में अमेरिका से ताकतवर रक्षा उपकरण खरीदे हैं। ‘व्हाइट हाउस’ ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिका में निर्मित सुरक्षा उपकरणों की भारत द्वारा खरीद बढ़ाने और उचित द्विपक्षीय व्यापार संबंधों की दिशा में आगे बढ़ने के महत्व पर जोर दिया है। पीएम मोदी के दौरे से भारतीय लड़ाकू विमान तेजस के लिए इंजन आपूर्ति में हो रही देरी भी खत्म हो सकती है।

    5. तकनीक के क्षेत्र में साथ काम करेंगे भारत-अमेरिका

    ऐसे समय में जब चीन ने सस्ता 'डीपसीक' बनाकर दुनिया को हैरान कर दिया। ऐसे में चीन को काउंटर करने में अमेरिका के लिए भारत अहम हो जाता है। चीन कई तकनीकी मामलों में अमेरिका से आगे है। खासकर सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में चीन का प्रभुत्व है। भारत भी सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। ऐसे में भारत और अमेरिका दोनों देशों के लिए यह बेहतर है कि वे तकनीक में चीन के दबदबे को खत्म करने के लिए साथ मिलकर काम करें, जिससे चीनी प्रभुत्व को काफी कम किया जा सकता है। पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा से इस क्षेत्र में भी भारत को लाभ मिल सकता है।

    6. और बढ़ सकती है स्ट्रैटेजिक पा​र्टनरशिप

    भारत और अमेरिका के बीच दो साल पहले यानी साल 2022 में आपसी कारोबार 191.8 अरब डॉलर था। इस हिसाब से भारत ने 118 अरब डॉलर का 'एक्सपोर्ट' किया था। यानी भारत का अमेरिका को निर्यात ज्यादा है। 2022 में भारत ने 45.7 अरब डॉलर का सरप्लस कारोबार किया था। यही नहीं, भारत और अमेरिका दोनों बड़े स्ट्रै​टेजिक पार्टनर हैं।