'संस्कृति, प्रकृति और समाज के बीच गहरी एकता का प्रतिबिंब है छठ ', मन की बात में बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में छठ पूजा का महत्व बताते हुए इसे संस्कृति, प्रकृति और समाज की एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने 'वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ का उल्लेख करते हुए राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया। पीएम मोदी ने कोमारम भीम और भगवान बिरसा मुंडा जैसे महापुरुषों को भी याद किया और संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की।

'मन की बात' में बिहार से दिल जोड़ते दिखाई दिए पीएम
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जनता से जुड़ाव का संदेश देने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के माध्यम से भी खास तौर पर चुनावी राज्य बिहार से दिल जोड़ते दिखाई दिए। पूरे देश में त्योहारों के उल्लास का उल्लेख करते हुए उन्होंने दीपावली के साथ ही छठ पूजा की चर्चा की।
ध्यान रहे कि रविवार को खरना का अवसर जिस शाम से छठ व्रती पूजा समाप्त होने तक जल भी ग्रहण नहीं करते हैं। उन्होंने कहा- छठ का महापर्व संस्कृति, प्रकृति और समाज के बीच की गहरी एकता का प्रतिबिंब है। छठ के घाटों पर समाज का हर वर्ग एक साथ खड़ा होता है। ये दृश्य भारत की सामाजिक एकता का सबसे सुंदर उदाहरण है।
'वंदे मातरम के 150वें वर्ष का उल्लेख किया'
पीएम ने राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150वें वर्ष का उल्लेख करते हुए इसके माध्यम से भी समाज व राष्ट्र की एकता का संदेश दिया। रविवार को मन की बात के 127वें एपिसोड में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूरे देश में इस समय त्योहारों का उल्लास है। हम सबने कुछ दिन पहले दीपावली मनाई है और अभी बड़ी संख्या में लोग छठ पूजा में व्यस्त हैं। घरों में ठेकुआ बनाया जा रहा है। जगह-जगह घाट सज रहे हैं। बाजारों में रौनक है।
हर तरफ श्रद्धा, अपनापन और परंपरा का संगम दिख रहा है। छठ का व्रत रखने वाली महिलाएं जिस समर्पण और निष्ठा से इस पर्व की तैयारी करती हैं, वो अपने आप में बहुत प्रेरणादायक है। छठ की महत्ता के बखान के साथ उन्होंने देशवासियों से अपील करते हुए कहा- 'आप देश और दुनिया के किसी भी कोने में हों, यदि मौका मिले तो छठ उत्सव में जरूर हिस्सा लें। एक अनोखे अनुभव को खुद महसूस करें। मैं छठी मैया को नमन करता हूं। सभी देशवासियों को, विशेषकर बिहार, झारखंड और पूर्वांचल के लोगों को छठ महापर्व की शुभकामनाएं देता हूं।'
सामाजिक एकता का संदेश छठ पर्व के माध्यम से देने के बाद पीएम मोदी ने वंदे मातरम पर अपने भाव व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय एकता का भी संदेश दिया। कहा कि भारत का राष्ट्र गीत 'वंदे मातरम' एक ऐसा गीत है, जिसका पहला शब्द ही हमारे हृदय में भावनाओं का उफान ला देता है। सहज भाव में ये हमें मां भारती के वात्सल्य का अनुभव कराता है। अगर कठिनाई का समय होता है तो वंदे मातरम का उद्घोष 140 करोड़ भारतीयों को एकता की ऊर्जा से भर देता है। उन्होंने कहा कि सात नवंबर को हम वंदे मातरम के 150वें वर्ष के उत्सव में प्रवेश करने वाले हैं। हमें वंदे मातरम के 150वें वर्ष को भी यादगार बनाना है। इसके लिए पीएम ने वंदे मातरम हैशटैग पर देशवासियों से सुझाव भी मांगे।
पीएम ने याद किए पटेल, कोमारम भीम और भगवान बिरसा मुंडा
संस्कृति और राष्ट्रीय एकता की बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसे महापुरुषों को भी याद किया, जिन्होंने देश की एकता-अखंडता के लिए विशेष योगदान दिया। पीएम ने 20वीं सदी की शुरुआत के कालखंड में अंग्रेजों और हैदराबाद के निजाम के अत्याचार का उल्लेख करते हुए उनके विरुद्ध संघर्ष करने वाले आदिवासी वर्ग के महापुरुष कोमारम भीम को नमन किया। युवाओं से आग्रह किया कि उनके बारे में अधिक से अधिक जानने का प्रयास करें।
अगले महीने की 15 तारीख को मनाए जाने वाले जनजातीय गौरव दिवस का ध्यान दिलाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा जी और कोमारम भीम जी की तरह ही हमारे आदिवासी समुदायों में कई और विभूतियां हुई हैं। उनके बारे में अवश्य पढ़ें। पीएम ने सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर होने जा रही रन फार यूनिटी में भी सभी देशवासियों से भाग लेने की अपील की।
'सोशल मीडिया ने संस्कृत को दी नई प्राणवायु'
वायु प्रधानमंत्री मोदी ने भाषाओं को सभ्यता के मूल्यों और परंपराओं का वाहक बताते हुए संस्कृत के लिए युवाओं द्वारा किए जा रहे विशेष प्रयासों की सराहना की। कुछ उदाहण साझा करते हुए कहा कि अब समय बदल रहा है तो संस्कृत का भी समय बदल रहा है। संस्कृति और सोशल मीडिया की दुनिया ने संस्कृत को नई प्राणवायु दे दी है।

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