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PM Modi Exclusive : दैनिक जागरण से खास बातचीत में बोले पीएम नरेन्‍द्र मोदी- पंजाब में भाजपा को मिलेगा स्‍पष्‍ट बहुमत, लोगों को कांग्रेस और अन्‍य पार्टियों पर नहीं भरोसा

PM Modi Exclusive Interview on Vidhan Sabha Election 2022 पीएम नरेन्‍द्र मोदी का कहना है कि सरकार ने किसानों की आमदनी से लेकर देश की सुरक्षा को मजबूत करने और लोगों को रोजगार के अवसर बढ़ाने तक के लिए पूरा काम किया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 13 Feb 2022 08:17 AM (IST)Updated: Sun, 13 Feb 2022 08:36 AM (IST)
पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने दैनिक जागरण को दिया खास इंटरव्‍यू

नई दिल्‍ली (आशुतोष झा)। पांच राज्यों के विधानसभा के दौरान समूचे विपक्ष का मुकाबला केवल भाजपा से ही है। चुनाव के दौरान भाजपा को लेकर विपक्ष कई तरह के सवाल उठा रहा है। वहीं इर सवालों का जवाब देने की तैयारी भी पूरी है। पीएम नरेन्‍द्र मोदी के पास विपक्ष के हर सवाल का जवाब है। पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने अपनी जनसभाओं से लेकर दूसरे मंचों पर भी इन सवालों का पहले भी कई बार जवाब दिया है। वे हमेशा से ही परिवारवाद को लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा बताते आए हैं। वहीं इस बार के पांच राज्‍यों के विधानसभा चुनावों में उनके और उनकी पार्टी के पास विकास का सबसे बड़ा मुद्दा है जिसको दूसरी सभी पार्टियों ने तवज्‍जो नहीं दी है। दैनिक जागरण को दिए अपने एक्‍सक्‍लूसिव इंटरव्‍यू में उन्‍होंने इन चुनावों और अपनी नीतियों के अलावा भी कई दूसरे मुद्दों पर उठे सवालों के बड़ी बेबाकी से जवाब दिए हैं। 

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- पंजाब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है। ऐसे में अगर वहां त्रिशंकु विधानसभा आई तो भाजपा का क्या कदम होगा?

मुझे इस बात का विश्वास है कि पंजाब में त्रिशंकु विधानसभा नहीं होगी। लोग हमें स्पष्ट बहुमत देंगे। अभी चंडीगढ के स्थानीय निकाय चुनाव के परिणाम आपने देखे होंगे। वहां भारतीय जनता पार्टी ने अपनी जीत दर्ज कराई है। यह स्पष्ट करता है कि वहां हमारी स्वीकृति कितनी ज्यादा है। आपने ये भी ठीक ही कहा है कि रणनीतिक नजरिये से पंजाब एक महत्वपूर्ण राज्य है। पंजाब के लोग इस बात को बखूबी समझते हैं। पंजाब एक बार्डर स्टेट है, जहां मजबूत और स्थायी सरकार जरूरी है।

अंदरूनी लड़ाई में उलझी कांग्रेस से स्थायी सरकार की उम्मीद नहीं है। कुछ और नए लोग भी हैं, जिनपर लोगों को भरोसा नहीं है। जिनकी वाणी और व्यवहार में जमीन और आसमान का अंतर हो, जो अपनी ही बात से हर दिन पलटने में जरा भी शर्म न करते हों, बातों से पलटकर लोगों को गुमराह करना ही जिनका तरीका है, वो लोग भी पंजाब चुनाव में अपना नसीब आजमा रहे हैं।पंजाब का मतदाता भूतकाल में बहुत मुसीबतें देख चुका है, खूनी खेल देख चुका है।

पंजाब के सामान्य जन शांति से अपनी खेती-बाड़ी करना चाहते हैं, कारोबार करना चाहते हें। पंजाब के लोगों को अगर थोड़ी सी भी गड़बड़ लगती है, कुछ गलत प्रयास लगते हैं तो वे उसे कभी स्वीकार नहीं करते हैं और ना ही कभी स्वीकार करेंगे। हमारी सरकार ने गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहेब के खुले दर्शन की सिखों की वषरें पुरानी मांग को पूरा कर दिखाया। हमारी सरकार ने पूरी प्रतिबद्धता के साथ 1984 दंगों के पीडि़त सिख परिवारों को न्याय दिलवाने का काम किया। जो केस पड़े हुए थे, उनकी एसआइटी के जरिये जांच करवाई। दोषियों को कानून के दायरे में लाकर उन्हें सजा दिलवाई।

श्री गुरुनाननक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व तथा श्री गुरुगोविंद सिंह जी के 350वें प्रकाशपर्व, श्री गुरुतेग बहादुर जी के 400वें प्रकाशोत्सव के आयोजन का सौभाग्य भी हमें प्राप्त हुआ। अफगानिस्तान में मुश्किलों के बीच भी पूरे सम्मान के साथ पवित्र श्री गुरुग्रंथ साहिब जी को भारत लाया गया। अफगानिस्तान से अल्पसंख्यक समुदाय के जितने लोगों को सुरक्षित भारत लाया गया, उनमें अधिकतर सिख भाई-बहन थे। हमारे इस ट्रैक रेकार्ड के साथ हमारे साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह जी और ढींडसा जी जैसे सहयोगी भी हैं, जिनका एक लंबा अनुभव रहा है। हमारी नीति और नीयत दोनों साफ है और यह पूरे पंजाबवासियों को भी दिख रहा है।

- रोजगार के मुद्दे पर बार-बार घेरने की कोशिश हो रही है। कुछ कहेंगे?

रोजगार के बारे में बात करें तो सही मायने में इसे आप व्यापक स्तर पर चल रहे हमारे इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स से समझ सकते हैं। क्या आपको पता है कि आजादी से लेकर 2014 तक देश में 90 हजार किलोमीटर नेशनल हाइवे थे और पिछले सात-आठ सालों में ही हमने और 50 हजार किलोमीटर नेशनल हाइवे बना दिए। अब जो इतने हाइवे बने हैं, इससे कितना रोजगार उत्पन्न हुआ होगा। उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों ने भी हाइवे का जाल बिछाया है। इससे भी रोजगार की असीम संभावनाएं पैदा हुई हैं।ग्रामीण सड़कों को ही ले लीजिए।

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में हमने अब तक 90 प्रतिशत से ज्यादा गांवों और बस्तियों को जोड़ा है। क्या आप सोच सकते हैं कि इन सड़कों के निर्माण से कितना रोजगार उत्पन्न हुआ होगा। आज देश में 60 हजार से अधिक स्टार्ट अप काम कर रहे हैं। जरा सोचिए कि इससे डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप में किस पैमाने पर रोजगार पैदा हुए होंगे। आइटी सेक्टर की भी हमने खबरें देखी हैं। उससे भी पता चलता है कि देश में रिकार्ड संख्या में नौकरियां मिल रही हैं।अब जरा इस आंकड़े को भी देखिए, कोरोना से पहले देश में सालभर में एक करोड़ से अधिक टूरिस्ट आ रहे थे।

2014 से पहले के आंकड़ों को देखा जाए तो उसमें ये 50 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी है। क्या ये आंकड़े रोजगार की तस्वीर नहीं पेश करते हैं। ठीक इसी प्रकार उत्तराखंड की बात कीजिए तो यहां सभी समस्याओं की जड़ में एक ही वजह थी, कनेक्टिविटी का अभाव। इसी के चलते राज्य से युवा पलायन कर जाते थे। इसलिए हमने इस बात पर जोर दिया कि मैं उत्तराखंड की कनेक्टिविटी पर विशेष कार्य करूंगा। रेल, रोड वायु मार्ग पर तो काम किया ही, साथ ही इसमें रोपवे को भी जोड़ दिया।

उत्तराखंड में पहली बार चारों धामों को जोड़ने के लिए आल वेदर रोड का काम चल रहा है। इसके अलावा पहाड़ों में कई दुर्गम जगहों पर भी रेल लाइन का सपना पूरा होने वाला है।इपीएफओ के आंकड़ों को भी जरूर देखना चाहिए। पिछले साल इसमें 1 करोड़ 20 लाख से अधिक नए उपभोक्ता जुड़े हैं। आप यह भी देखिए कि इन आंकड़ों में 60 से 65 लाख ऐसे युवा हैं, जिनकी उम्र 18 से 25 साल के बीच है। ये वो आयु वर्ग होता है, जिसमें ज्यादातर लोग अपनी पहली नौकरी पाते हैं।

- आप अक्सर वन नेशन, वन इलेक्शन की बात करते हैं। क्या राजनीतिक दलों के साथ संवाद हो रहा है?  वन नेशन,वन इलेक्शन सिर्फ चर्चा का विषय नहीं है, बल्कि ये देश की जरूरत है। भारत जैसे बड़े देश में लोकसभा चुनाव, विधानसभा के चुनाव, फिर महानगर पालिका के चुनाव, नगर पालिका के चुनाव, पंचायत के चुनाव। आप कल्पना कर सकते हैं कि हर महीने कहीं ना कहीं किसी ना किसी तरह के चुनाव होते रहते हैं। इतने बड़े देश में चुनाव का ही चक्र चलता रहेगा तो फिर विकास का चक्र कब चलेगा। सरकारी मशीनरी अपनी पूरी शक्ति इन चुनावों को कराने में लगाती रहती है। एक और महत्वपूर्ण बात, बार-बार चुनाव होने की वजह से देश में कई ऐसे सुधार नहीं हो पाते हैं जिन्हें लेकर राजनीतिक दलों में एक आम सहमति है। लेकिन सामने चुनाव होता है तो वो झिझक जाते हैं संकोच कर जाते हैं। इस वजह से भी देश का बहुत बड़ा नुकसान होता है।

- आप जब केंद्र सरकार में आए थे, उसके बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाए तो उच्च स्तर पर इसका असर दिखा। लेकिन नीचे के स्तर पर यह जारी है, जो राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है। वहां यह कम नहीं हुआ है। यह कैसे खत्म होगा?

देखिए, किसी भी व्यवस्था के लिए यह जरूरी है कि जहां पालिसी डिसीजन हों, वहां भ्रष्टाचार ना हो। ये देश की बहुत बड़ी सफलता है कि अब उच्चतम स्तर पर जहां भी ऐसे फैसले होते हैं, वहां पर स्वार्थी तत्व फटक भी नहीं सकते। ऐसी जगहें अब उनकी पहुंच से बाहर है। यह भी सही है कि आज देश का शीर्ष नेतृत्व भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की सोच के साथ काम कर रहा है और इसका प्रभाव नीचे की तरफ भी नजर आ रहा है।हमने बहुत दूर की सोच के साथ ऐसे कदम उठाए हैं, कि भ्रष्टाचार की संभावना न रहे।

जब नीति और नियम स्पष्ट होते हैं, ब्लैक एंड व्हाइट में होते हैं, कुछ भी ग्रे नहीं होता, तो नीचे की व्यवस्था द्वारा मनमाने इंटरप्रेटेशन की आशंका कम रहती है। अब मैं आपको गोवा का एक उदाहरण देता हूं, गोवा में हम शत प्रतिशत संपूर्ण गोवा का एक अभियान चला रहे हैं। वहां पर हम शत प्रतिशत सफलता हासिल कर रहे हैं। मैंने लालकिले से भी कहा था कि देशवासियों की मूल सुविधाओं से जुड़ी जितनी भी बड़ी योजनाएं हमने शुरू की हैं, उनमें तेजी से शत-प्रतिशत कवरेज तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।

जब हर योजना शत-प्रतिशत स्तर तक पहुंचती है, तो लोगों को ये उम्मीद उम्मीद बंधती है कि जो चीज आज मुझे नहीं मिली वो कल मिल जाएगी। सरकार का ये प्रयास होता है कि हर योजना का लाभ समाज में आखिरी पंक्ति पर खड़े व्यक्ति तक भी पहुंचे। जब सैचुरेशन होता है तो भेदभाव की आशंका नहीं रहती। एक बात और है भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में टेक्नालाजी बहुत महत्वपूर्ण शस्त्र है। हम इस पर बहुत जोर दे रहे हैं ताकि भ्रष्टाचार कम हो सके और परदर्शिता बढ़े।

- आपने बताया कि कोरोना के बाद की दुनिया पहले जैसी नहीं रहेगी और पूरा व‌र्ल्ड आर्डर बदल जाएगा। आपने इसके संकेत मिलने की भी बात कही है, वो संकेत क्या हैं और बदले हुए व‌र्ल्ड आर्डर में भारत की स्थिति क्या होगी?

कोरोना के कारण हेल्थ सेक्टर ने बहुत बड़ी चुनौती देखी है। पुरानी व्यवस्थाओं के जरिये पूरा विश्व इस चुनौती का मुकाबला नहीं कर सकता था। तो नई व्यवस्थाएं बनीं। ये भारत के लिए गौरव की बात है कि इन व्यवस्थाओं में हम आत्मनिर्भरता और विश्वस्तरीय श्रेष्ठता ला पाए। अब जैसे नई व्यवस्था बनी है-वन अर्थ, वन हेल्थ। इसे हम नया व‌र्ल्ड आर्डर कह सकते हैं।आज देश और दुनिया एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहां से सिर्फ बदलाव ही निश्चित है। दो साल से चल रही कोरोना महामारी के कारण दो बातें स्पष्ट हुई है।

पहली इसने पूरी दुनिया की व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया और दूसरी लोगों ने यह भी देखा के पिछले दो साल से वो कौन सा देश है, जिसने इस महामारी में वो किया जो मानवता के हित में था, वैश्विक व्यवस्थाओं के हित में था। चाहे वो महामारी प्रबंधन में हो, चाहे वो आर्थिक रूप से हो या फिर दूसरे देशों की सहायता करने में हो। हमारा देश वैक्सीन भी बना रहा है, टीकाकरण के सारे रिकार्ड तोड़ भी रहा है और दूसरे देशों को भी वैक्सीन भेज रहा है। बहुत कम देशों ने इससे लड़ने में इस प्रकार की क्षमता दिखाई है।

2020 से पहले दुनिया के बहुत सारे देशों और उनके विशेषज्ञों को यह विश्वास नहीं था कि भारत इतने सारे मोचरें पर एक साथ काम कर सकता है और उन सभी पर खरा उतर सकता है।लेकिन आज लोग देख रहे हैं कि भारत ने यह सब करके दिखाया है और सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के लिए भी। दुनिया के विकसित देशों के बीच में जो प्रतिस्पर्धा है, आपस में जो खींचातानी चल रही है और फेरबदल हो रहे हैं, इसके कारण 2020 से पूर्व जो विश्व व्यवस्था थी, वो अब बदलती हुई दिखती है।

जो नई विश्व व्यवस्था है, वो अभी बनने की प्रक्रिया में है। आम तौर पर ऐसे अवसर बहुत ही कम आते हैं, और हमारे कार्यकाल में ऐसा हुआ है। आवश्यकता है कि हम इस परिस्थिति को पहचानें। हम इस बात को समझें कि हमारा देश सक्षम है। आर्थिक मार झेलने के बाद भी विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था भी भारत ही है। पीएलआइ स्कीम के चलते मैन्युफैक्चरिंग में वृद्धि और निर्यात में छलांग, इससे दुनिया को स्पष्ट संदेश मिला है कि नई वैश्विक व्यवस्था में भारत सिर्फ एक मूकदर्शक बनकर खड़ा नहीं रहेगा, बल्कि एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाएगा।


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