Independence Day: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का समर्थन करने के लिए पीएम मोदी ने सशस्त्र बलों को सराहा
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के 75 साल बाद जिस आवाज को सुनने के लिए हमारे कान तरस रहे थे 75 साल बाद वो आवाज सुनाई दी है। 75 साल बाद लाल किले पर से तिरंगे को सलामी देने का काम पहली बार भारत निर्मित तोप ने किया है।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'आत्मनिर्भर भारत' के उनके आह्वान को साकार करने के लिए सोमवार को लाल किले की प्राचीर से सशस्त्र बलों को सलाम किया और ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के निर्यात का भी उल्लेख किया।
राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने तिरंगे को 21 तोपों की सलामी के लिए पहली बार स्वदेश में विकसित तोप के इस्तेमाल का भी जिक्र किया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत 'एडवांस्ड टो आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) विकसित किया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'आजादी के 75 साल बाद जिस आवाज को सुनने के लिए हमारे कान तरस रहे थे, 75 साल बाद वो आवाज सुनाई दी है। 75 साल बाद लाल किले पर से तिरंगे को सलामी देने का काम पहली बार भारत निर्मित तोप ने किया है। कौन हिंदुस्तानी होगा, जिसको यह बात और यह आवाज नई प्रेरणा और ताकत नहीं देगी। मैं अपने देश के सैनिकों को दिल से बधाई देना चाहता हूं। जिस तरह से सेना के जवानों ने आत्मनिर्भरता की इस जिम्मेदारी को संगठित तरीके और साहस के साथ निभाया है, उसे मैं सलाम करता हूं। क्योंकि सेना का जवान मौत को मुट्ठी में लेकर चलता है। मौत और जिंदगी के बीच में कोई फासला नहीं होता और तब बीच में वह डटकर खड़ा होता है।'
पीएम मोदी ने कहा, मेरे सेना के अधिकारियों को प्रणाम
प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों द्वारा एक सूची बनाने और करीब 300 उत्पादों का आयात नहीं करने के फैसले के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, 'मैं इस संकल्प में आत्मनिर्भर भारत के उज्ज्वल भविष्य के वो बीज देख रहा हूं जो इस सपने को वट वृक्ष में परिवर्तित करने वाले हैं। मेरे सेना के अधिकारियों को प्रणाम।'
भारत बन रहा उत्पादन का केंद्र
प्रधानमंत्री ने कहा, 'भारत उत्पादन का केंद्र बन रहा है। चाहे इलेक्ट्रानिक उत्पादों का विनिर्माण हो या मोबाइल फोन का विनिर्माण, आज देश बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। जब हमारी ब्रह्मोस दुनिया में जाएगी तो किस भारतीय का मस्तक गर्व से ऊंचा नहीं होगा। आज वंदे भारत ट्रेन और हमारे मेट्रो कोच दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं।'