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    पीएम मोदी और किशिदा के बीच बैठक में चीन छोड़ रही जापानी कंपनियों को भारत लाने की जमीन हुई तैयार

    भारत और जापान के बीच कूटनीतिक रिश्ते के साथ ही आर्थिक संबंध भी परवान चढ़ने लगा है। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच शनिवार को हुई शिखर बैठक में कई बड़े समझौतों पर मुहर लगी। इसमें आर्थिक सहयोग एक बड़ा एजेंडा रहा...

    By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sun, 20 Mar 2022 06:59 AM (IST)
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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी प्रधानमंत्री किशिदा ने शनिवार को बैठक की। (PM Modi Twitter Handle)

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जिस तरह से भारत और जापान के बीच कूटनीतिक रिश्ते मजबूत हो रहे हैं उसी हिसाब से दोनों देशों के आर्थिक रिश्ते भी धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगा है। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच शनिवार को हुई शिखर बैठक में आर्थिक सहयोग एक बड़ा एजेंडा रहा है। आने वाले दिनों में जापान की बड़ी, मझोली, छोटी हर तरह की कंपनियां को भारत में मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाने के लिए जमीन भी मिलेगी और श्रमिक भी। इसका रोडमैप हाल ही में गठित भारत जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धी साझेदारी (आइजेआइसीपी) के तहत तैयार किया जा रहा है।

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    ढांचागत विकास में बढेगी जापान की भूमिका

    अब पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक व ढांचागत विकास में जापान की भूमिका और बढ़ जाएगी। जापान की मदद से पूर्वोत्तर राज्यों में बांस से निर्मित उत्पादों के बाजार को बड़े पैमाने पर विकसित करने को लेकर सहमति बनी है। शिखर सम्मेलन के बाद भारत सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक पूर्वोत्तर राज्यों में सतत विकास के लिए एक कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है। इसके अलावा पूर्वोत्तर राज्यों में बांस के वैल्यू चेन को स्थापित करने के लिए भी एक कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी।

    पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास का खाका तैयार

    जापान की सरकारी एजेंसियां और निजी कंपनियां बांस के उत्पादों की डिजाइन से लेकर उनकी मार्केटिंग तक में मदद करेंगी। बांस की इकोनमी पर अध्ययन के लिए एक खास कैरीकुलम बनाया जाएगा। इसके जरिये प्रशिक्षित कामगारों को तैयार किया जाएगा। जीका और जेट्रो जैसे जापानी संगठन इसमें मदद करेंगे। जापान की मदद से पूर्वोत्तर राज्यों कृषि, कृषि आधारित उद्योगों, पर्यटन, छोटी पनबिजली परियोजनाओं और अन्य रिन्यूएबल ऊर्जा स्त्रोतों के साथ ही पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में सड़क मार्ग के विकास का खाका तैयार किया जा रहा है।

    जापान की छोटी व मझोली कंपनियों की तरफ से बढ़ेगा निवेश

    गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों के विकास, शहरी विकास और साइबर सिक्योरिटी तीन अन्य क्षेत्र हैं जहां दोनों देशों के बीच सहयोग की अपार संभावनाएं बताई गई हैं। भारत ने जापान की कंपनियों के निवेश को बढ़ाने के लिए दोनों देशों के बीच औद्योगिक प्रतिस्पर्धा पार्टनरशिप पर हस्ताक्षर हुए हैं। इससे खास तौर पर जापान की छोटी व मझोली कंपनियों की तरफ से भारत में होने वाला निवेश बढ़ेगा। इस काम को जमीन पर उतारने के लिए भारत में जापान की कंपनियों के मुताबकि प्रशिक्षित श्रम तैयार किया जाएगा।

    भारत के लिए अपना बाजार खोलेगा जापान 

    जापान के हिसाब से भारत में श्रम तैयार करने का काम शुरू भी हो गया है। जापान इंडिया इंस्टीट्यूट फॉर मैन्यूफैक्चरिंग के तहत पिछले साल 3700 भारतीयों को प्रशिक्षित किया गया है। विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने कहा कि अब हमने विस्तृत भारत जापान आर्थिक साझेदारी समझौते (सीपा) में संशोधन करने का भी फैसला किया है। यह संशोधन भारतीय मछलियों के लिए भी जापान का बाजार खोलेगा।

    इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन को भी माना अहम

    इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को भी दोनों देशों ने भावी सहयोग के लिए काफी अहम माना है। भारत जापान क्लीन एनर्जी पार्टनरशिप के तहत कई कदम उठाए जाएंगे जिसमें यह भी शामिल होगा। दोनों देशों के बीच आगामी ऊर्जा वार्ता में बिजली से चलने वाले वाहनों, इन वाहनों में इस्तेमाल होने वाली बैट्रियों के निर्माण, साफ व क्लीन हाइड्रोडन, सोलर पीवी सेल्स के निर्माण कार्बन कैप्चर, कैप्टलाइजेशन व स्टोरेज, बायो फ्यूल्स, कोयला के पर्यावरण के अनुकूल इस्तेमाल आदि जैसे नए क्षेत्र शामिल किये जाएंगे। सनद रहे कि भारत ने वर्ष 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य रखा है जबकि जापान ने ऐसा वर्ष 2050 तक ही करने का लक्ष्य रखा है।