ज्ञान भारतम् मिशन सम्मेलन को पीएम मोदी ने किया संबोधित, भारतीय पांडुलिपियों को लेकर कही ये बात
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ज्ञान भारतम् मिशन सिर्फ पांडुलिपियों को संरक्षित करने का एक अभियान नहीं बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक साहित्य और चेतना का उदघोष भी है। जिसके जरिए न सिर्फ देश की नई पीढ़ी बल्कि पूरी दुनिया भारतीय ज्ञान की चमक को भी देखेगी। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देश आज भारतीय धरोहरों को लौटा रहे है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ज्ञान भारतम् मिशन सिर्फ पांडुलिपियों को संरक्षित करने का एक अभियान नहीं बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक, साहित्य और चेतना का उदघोष भी है। जिसके जरिए न सिर्फ देश की नई पीढ़ी बल्कि पूरी दुनिया भारतीय ज्ञान की चमक को भी देखेगी।
पांडुलिपियों के डिजिटलाइज होने व दुनिया के सामने लाने से रुकेगी पाइरेसी
उन्होंने इस दौरान देश की प्राचीन धरोहरों की तरह दुनिया भर में बिखरी पांडुलिपियों को भी वापस लाने का ऐलान किया और कहा इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। मंगोलिया, रुस, जापान जैसे देश इस पहल में मदद कर रहे है।
पीएम मोदी शुक्रवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित तीन दिवसीय ज्ञान भारतम् मिशन सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देश आज भारतीय धरोहरों को लौटा रहे है। वे किसी डर या दबाव से इन्हें नहीं लौटा रहे है बल्कि उन्हें भरोसा है कि वह इन्हें एक सुरक्षित हाथों में दे रहे है। जहां उन्हें ठीक तरीके से संरक्षित किया जाएगा।
अकेले अमेरिका से ही 559 धरोहरों को वापस लाया गया
गौरतलब है कि अब तक दुनिया भर से चोरी या फिर तस्करी के जरिए देश से बाहर गई 600 से अधिक धरोहरों को वापस लाया गया गया है। इनमें अकेले अमेरिका से ही 559 धरोहरों को वापस लाया गया है।
पीएम ने कहा कि पांडुलिपियों के संरक्षण से इनकी पायरेसी रूकेगी। साथ ही दुनिया भी यह जान सकेगी कि किसी ज्ञान का स्त्रोत क्या है।
पीएम मोदी ने कहा कि इतिहास के क्रूर थपेड़ों में लाखों पांडुलिपियां जला दी गई या फिर वे लुप्त हो गईं। इसके बाद भी देश में अभी भी एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियां मौजूद है। जो बची हैं वो इस बात की साक्षी है कि ज्ञान, विज्ञान, पठन, पाठन के लिए हमारे पूर्वजों की निष्ठा कितना व्यापक थी।
भारत का इतिहास सिर्फ सल्तनतों की जीत-हार का नहीं
उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास सिर्फ सल्तनतों की जीत-हार का नहीं है। हमारे यहां रियासतों और राज्यों के भूगोल बदलते रहे, लेकिन हिमालय से हिंद महासागर तक भारत अक्षुण्ण है,क्योंकि भारत स्वयं में एक जीवंत प्रवाह है।
इसका निर्माण उसके विचारों, आदर्शों व मूल्यों में हुआ है। भारत की पांडुलिपियां समूची मानवता की विकास यात्रा के एक पदचिन्ह है। जिसमें दर्शन, खगोल, विज्ञान, ज्ञान, संस्कृति, नाट्य, संगीत, चिकित्सा सब है।
भारत की ज्ञान परंपरा प्राचीन काल से समृद्ध
इस मौके पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिह शेखावत ने भी संबोधित किया और कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा प्राचीन काल से इतनी समृद्धि है, जिसको पांडुलिपियों में दर्ज ज्ञान से देखा जा सकता है। पांडुलिपियों के संरक्षण में तकनीक और एआई के इस्तेमाल की जानकारी दी।
इसके संरक्षण में युवाओं की रुचि को उन्होंने सहारा। साथ ही पीएम को भी इसकी जानकारी दी। ज्ञान भारतम मिशन सम्मेलन 11 से 13 सितंबर तक चलेगा।
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