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    बढ़ेगा पीएम फसल बीमा का दायरा, पहले बिहार-झारखंड समेत कई राज्यों ने नहीं की लागू; अब बातचीत पटरी पर

    प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से बिहार-झारखंड समेत कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेश बाहर हैं लेकिन योजना में हाल में हुए व्यापक सुधार के बाद इसकी स्वीकार्यता बढ़ गई है। जिन राज्यों ने तकनीकी दिक्कतों एवं किसानों से ज्यादा बीमा एजेंसियों को फायदा पहुंचाने वाली योजना बताकर इसे खारिज कर दिया था अब वे भी इसे स्वीकार करने के पक्ष में हैं।

    By Arvind Sharma Edited By: Jeet Kumar Updated: Fri, 04 Jul 2025 07:59 AM (IST)
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    बढ़ेगा पीएम फसल बीमा का दायरा, पहले कई राज्यों ने नहीं की लागू (सांकेतिक तस्वीर)

    अरविंद शर्मा, जागरण, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से बिहार-झारखंड समेत कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेश बाहर हैं, लेकिन योजना में हाल में हुए व्यापक सुधार के बाद इसकी स्वीकार्यता बढ़ गई है। जिन राज्यों ने तकनीकी दिक्कतों एवं किसानों से ज्यादा बीमा एजेंसियों को फायदा पहुंचाने वाली योजना बताकर इसे खारिज कर दिया था, अब वे भी इसे स्वीकार करने के पक्ष में हैं।

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    झारखंड से बातचीत पटरी पर है

    केंद्र सरकार के साथ बिहार की तीन दौर की बात हो चुकी है। कृषि एवं किसान कल्याण सचिव देवेश चतुर्वेदी का कहना है कि बिहार के साथ बात सकारात्मक दिशा में चल रही है। अगले फसल मौसम से राज्य इस योजना को अपना लेगा। झारखंड से बातचीत पटरी पर है। बोआई से लेकर कटाई तक फसलों के नुकसान के आधार पर उन्हीं किसानों को क्षतिपूर्ति मिलती है, जिन्होंने पहले से फसलों का बीमा करा लिया है।

    अभी 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश योजना का लाभ उठा रहे

    अभी 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश योजना का लाभ उठा रहे हैं। पीएम फसल बीमा योजना के माध्यम से छोटे एवं सीमांत किसानों को वित्तीय सुरक्षा मिलती है। इससे प्राकृतिक आपदा में नष्ट हुई फसलों की क्षतिपूर्ति की जाती है। क्षति का आकलन उपज के आंकड़ों के आधार पर होता है।

    केंद्र ने 2025-26 के लिए 69,515.71 करोड़ रुपये का प्रबंध किया है। बिहार ने केंद्र सरकार की इस योजना को 2018 में बंद कर उसकी जगह मुख्यमंत्री फसल सहायता योजना शुरू की थी, जिसमें किसानों से कोई प्रीमियम नहीं लिया जाता है।

    बीमा एजेंसियों को तीन सप्ताह में करना होगा भुगतान

    अब केंद्र सरकार ने योजना को प्रभावी बनाने के लिए कई सुधार किए हैं। फसल क्षति के दावे से लेकर भुगतान मिलने तक की प्रक्रिया को आसान किया है। प्रभावित किसानों के दावे एवं सरकारी सर्वे के आंकड़े मिलते ही बीमा एजेंसियों को तीन हफ्ते के भीतर भुगतान करना जरूरी कर दिया गया है। पहले इसमें कम से कम दो महीने लग जाते थे। अब इसे और भी कम करने की तैयारी है।

    बीमा कंपनियों पर भी नकेल कसी गई है

    भुगतान प्रक्रिया में सबसे बड़ी रुकावट सर्वे में लेटलतीफी है। कुछ राज्य अपने हिस्से की राशि देने में देरी करते थे। इसके चलते भुगतान का मामला लटका रहता था। केंद्र ने अब अपने हिस्से का पैसा पहले जारी करना शुरू कर दिया है। बीमा कंपनियों पर भी नकेल कसी गई है। सर्वे के आंकड़े प्राप्त होने के एक महीने के भीतर भुगतान नहीं करने पर 12 प्रतिशत ब्याज सहित राशि देनी होगी।

    टोल फ्री नंबर (14447) भी जारी किया गया

    किसानों की सुविधा के लिए टोल फ्री नंबर (14447) भी जारी किया गया है, जहां क्लेम से संबंधित समस्याओं का समाधान मिलता है। निबंधित किसान वाट्सएप चैट नंबर 7065514447 पर भी मैसेज भेजकर समाधान प्राप्त कर सकते हैं।