कोलगेट: गुम फाइलों पर गोलमोल जवाब
कोयला घोटाले की लापता फाइलों पर पहले ही अपना पल्ला झाड़ चुके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस मामले पर सरकार की सफाई में भी इतना ही कहा कि फाइलें ढूंढ़ी जा रही हैं और अगर दस्तावेज नहीं मिले तो दोषियों को सजा मिलेगी। संसद के दोनों सदनों में दिए बयान में पीएम ने कहा, यह निष्कर्ष निकालना गलत है कि मामले में कुछ गड़बड़ है और सरकार कुछ छुपा रही है। हालांकि प्रधानमंत्री के गोलमोल जवाब से विपक्ष शांत होने के बजाय और बिफर पड़ा।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कोयला घोटाले की लापता फाइलों पर पहले ही अपना पल्ला झाड़ चुके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस मामले पर सरकार की सफाई में भी इतना ही कहा कि फाइलें ढूंढ़ी जा रही हैं और अगर दस्तावेज नहीं मिले तो दोषियों को सजा मिलेगी। संसद के दोनों सदनों में दिए बयान में पीएम ने कहा, यह निष्कर्ष निकालना गलत है कि मामले में कुछ गड़बड़ है और सरकार कुछ छुपा रही है। हालांकि प्रधानमंत्री के गोलमोल जवाब से विपक्ष शांत होने के बजाय और बिफर पड़ा। इससे पहले 23 अगस्त को कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने संसद में कहा था कि किसी फाइल को इस समय गायब बताना सही नहीं होगा क्योंकि समिति इन दस्तावेजों को तलाशने में जुटी है।
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विपक्षी हंगामे के बाद पहले राज्यसभा और फिर लोकसभा में प्रधानमंत्री ने लिखित बयान पढ़कर लापता फाइलों पर हो रही कार्रवाई को लेकर सरकार का पक्ष रखा। इस मामले में कोयला मंत्री की ओर से रखे पिछले बयान पर हस्तक्षेप करते हुए पीएम ने कहा कि सरकार के पास मामले में छिपाने को कुछ नहीं है। सीबीआइ को पहले ही डेढ़ लाख से ज्यादा पन्नों के दस्तावेज दिए जा चुके हैं।
अगर मांगे गए दस्तावेज वास्तव में गायब पाए जाते हैं तो सरकार गहराई से जांच कर सुनिश्चित करेगी कि दोषियों को सजा मिले। राज्यसभा में नेता विपक्ष अरुण जेटली ने कोयला घोटाले संबंधी फाइलों के गुम होने को सरकार के खराब प्रशासन का नमूना करार दिया।
कहा और चल दिए
हालांकि संसद के दोनों ही सदनों में मामले पर दिए बयान में प्रधानमंत्री का अंदाजे-बयां काफी सपाट था। बयान के बाद विपक्ष की ओर से स्पष्टीकरण मांगने की कोशिशों को सिरे से दरकिनार कर मनमोहन सिंह सदन से उठकर बाहर चले गए। इसने सरकार और विपक्ष के बीच इस मसले पर पहले से जरी तल्खी को भी बढ़ा दिया। प्रधानमंत्री के बयान के बाद राज्यसभा और लोकसभा में कोई कामकाज नहीं हो सका और कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि पीएम ने किसी सवाल का माकूल जवाब नहीं दिया। उल्लेखनीय है कि इससे पहले प्रधानमंत्री राज्यसभा में ही लापता फाइलों पर हुए एक सवाल पर यह भी कह चुके हैं कि मैं फाइलों का रखवाला नहीं हूं।
अदालती आदेश का अक्षरश: पालन
प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि 29 अगस्त को कोयला ब्लाक आवंटन संबंधी फाइलों पर मिले सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सरकार अक्षरश: पालन करेगी। पूरी कोशिश होगी कि अदालत द्वारा निर्धारित समय-सीमा में सभी जरूरी दस्तावेज ढूंढ़कर सीबीआइ को दे दिए जाएं। जांच की निगरानी कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ से पांच दिनों के भीतर सभी बकाया दस्तावेजों की सूची सौंपने को कहा था। साथ ही सरकार को दो हफ्तों के भीतर सभी वांछित कागजात जांच एजेंसी को देने के लिए कहा था।
विपक्ष के सवाल
राज्यसभा में मामले को उठाते हुए अरुण जेटली ने कई सवाल दागे। उनका कहना था कि लापता फाइलें एक ऐसे घोटाले से जुड़ी हैं, जिसमें सरकारी राजस्व को हानि हुई है। लिहाजा फाइलें अहम सुबूत हैं। सरकार बताए कि दोषियों का पता लगाने के लिए क्या कोई जांच हो रही है?
जेटली ने कहा, कोयला घोटाले में ज्यादातर गायब हुई फाइलें वर्ष 2006 से 2009 के बीच की हैं। जबकि सरकार इसपर भ्रमित करने का प्रयास कर रही है। माकपा सांसद सीताराम येचुरी और अन्नाद्रमुक नेता वी मैत्रेयन ने मामले के करीब 200 दस्तावेजों के न मिल पाने को चिंताजनक मसला बताया।
लोकसभा में सदन की कार्यवाही शुरू होने पर नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने सरकार से जवाब की मांग की थी। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री बुधवार को जी20 की बैठक में हिस्सा लेने विदेश जा रहे हैं, जिसका मतलब ये हुआ कि वह इसके बाद संसद में बयान देने के लिए उपलब्ध नहीं होंगे।
किसने, क्या कहा
'यह कहना जल्दबाजी होगी कि फाइलें गायब हैं। अगर सरकार इन्हें ढूंढ़ने में नाकाम रहती है तो विस्तृत जांच के लिए मामले को सीबीआइ को सौंपा जाएगा।'
-मनमोहन सिंह
'यह सुबूतों को नष्ट करने का मामला बनता है। सरकार ने अभी तक इसके बारे में एफआइआर क्यों नहीं दर्ज की?'
-अरुण जेटली
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