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प्लास्टिक प्रदूषण उसके 'डीएनए' से किया जा सकता है नियंत्रित, बन चुका है विश्वव्यापी समस्या

प्लास्टिक कचरा अब विश्वव्यापी समस्या है। यहां तक कि अंटार्कटिक भी इससे अछूता नहीं है। गहरे समुद्र में भी लाखों टन प्लास्टिक कचरा है जो विज्ञानियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करने का रास्‍ता उसके ‘डीएनए’ से निकल सकता है

By Jagran NewsEdited By: TilakrajPublished: Tue, 29 Nov 2022 07:47 AM (IST)Updated: Tue, 29 Nov 2022 07:47 AM (IST)
प्लास्टिक प्रदूषण उसके 'डीएनए' से किया जा सकता है नियंत्रित, बन चुका है विश्वव्यापी समस्या
गहरे समुद्र में भी लाखों टन प्लास्टिक कचरा

ब्रिस्बेन (आस्ट्रेलिया), एएनआइ। प्लास्टिक प्रदूषण पिछले कुछ दशकों में गंभीर चिंता का विषय बन गया है। इससे मिट्टी और जल प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। साथा ही जगह-जगह प्लास्टिक को जलाने से वायु प्रदूषण में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। हाल के दिनों में मीठे और खारे दोनों प्रकार के पानी में मौजूद जलीय जीवों में प्लास्टिक के केमिकल से होने वाले दुष्प्रभाव नजर आने लगे हैं। विज्ञानियों ने जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों में प्लास्टिक प्रदूषण को भी बड़ा कारण माना है।

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विश्व के लिए प्लास्टिक से दूरी बेहतर

क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी आफ टेक्नोलाजी की रिसर्च टीम ने हाल में ही पालिमर केमेस्ट्री को लेकर समग्र अध्ययन प्रकाशित किया। अध्ययन में शामिल शोधकर्ता डा. होप जानसन, डा. लुईस चेम्बर्स, डा. जोशुआ होलोवे, अनास्तासिया बूसगैस, प्रोफेसर अफशीन अख्तर-खावरी, एसोसिएट प्रोफेसर जेम्स ब्लिंको और एआरसी लारेट फेलो प्रोफेसर क्रिस्टोफर बार्नर-कौवलिक ने अपशिष्ट मुक्त विश्व के लिए प्लास्टिक से दूरी बनाने पर जोर दिया।

प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने में सबसे बड़ी चुनौती

प्रोफेसर बार्नर-कौवलिक ने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने में सबसे बड़ी चुनौती यूज्ड प्लास्टिक को वापस रीसाइकल होने के लिए फैक्ट्री तक पहुंचाना है। प्लास्टिक कचरा अगर रिसाइकिल होने के लिए वापस फैक्ट्री तक पहुंच जाए तो बहुत हद तक इसका समाधान संभव है। अगर ऐसी तकनीक का इस्तेमाल हो कि उत्पादित प्लास्टिक के प्रत्येक बैच को यूनिक ‘डीएनए’ देने में सक्षम हो तो प्लास्टिक कचरे को निर्माता को वापस करने में मदद मिल सकती है। इस ‘डीएनए’ के जरिये संग्रहित कचरा का आसानी से निस्तारण किया जा सकेगा। प्रोफेसर बार्नर-कौवलिक ने कहा कि पालिमर केमेस्ट्री में कई ऐसे आधुनिक तकनीक हैं जो प्लास्टिक की पहचान करने में भूमिका निभा सकते हैं।

प्लास्टिक में एम्बेडेड कर पालिमर से जानकारी...

उन्होंने कहा कि एक समाधान रासायनिक रूप से अनुक्रम-परिभाषित पालिमर का उपयोग करके प्लास्टिक उत्पादन के बैचों को लेबल करना हो सकता है, जिसे डीएनए के समान तरीके से डिकोड किया जा सकता है। इस अनुक्रम-परिभाषित पालिमर से जानकारी हासिल करना चुनौतीपूर्ण है। हालांकि, प्लास्टिक में एम्बेडेड ऐसे अनुक्रम परिभाषित पालिमर से जानकारी हासिल करने के लिए नई और सरल प्रौद्योगिकियां उभर रही हैं।

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प्लास्टिक कचरा अब विश्वव्यापी समस्या

प्रोफेसर अफशीन अख्तर खवरी ने कहा कि प्लास्टिक कचरा अब विश्वव्यापी समस्या है। यहां तक कि अंटार्कटिक भी इससे अछूता नहीं है। गहरे समुद्र में भी लाखों टन प्लास्टिक कचरा है, जो विज्ञानियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। इसके साथ ही एक बड़ी चुनौती अंतरराष्ट्रीय ढांचे में कार्यान्वयन है।

विज्ञानियों ने अपने इस शोधपत्र को चर्चा की शुरुआत (डिस्कशन स्टार्टर) करार देते हुए कहा है कि यह न सिर्फ न केवल प्लास्टिक और उसे नियंत्रित करने संबंधित चुनौतियों से गहराई से जुड़े ‘डीएनए’ कोडिंग और उसे जानने के लिए अनुक्रम-परिभाषित पालिमर का उपयोग करने की संभावना पर, बल्कि इसके आधार पर निदानात्मक विमर्श को भी आगे बढ़ाया जा सकता है।

बार्नर-कौवलिक ने बताया कि आमतौर पर शोध का एक फोकस प्वाइंट होता है, लेकिन कभी-कभी उसकी व्यापकता की भी जरूरत महसूस होती है। इसलिए जरूरी है कि सामाजिक और प्राकृतिक विज्ञान एक साथ मिलकर मौजूदा स्थिति से बाहर निकलने का मार्ग खोजे।

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