इन दिनों पूरे शबाब पर है भारत का सबसे चौड़ा चित्रकोट जलप्रपात, तस्वीरों में देखें खूबसूरत नजारा
भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात (water fall) बारिश के बाद बेहद ही खूबसूरत लग रहा है। इसे भारत के नियाग्रा जलप्रपात के नाम से भी जाना जाता है।
हेमंत कश्यप, जगदलपुर। चित्रकोट, भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात (Waterfall) जहां इन दिनों प्रति सेकंड 23 हजार क्यूबिक मीटर पानी 98 फीट गहरी खाई में गिर रहा है। विशाल जलराशि से उत्पन्न् गर्जना आगंतुक को आनंद और आतंक दोनों से रू-ब-रू कराने में सक्षम है। भारत का नियाग्रा के नाम से चर्चित इस जलप्रपात का सौंदर्य निहारने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभादेवी सिंह पाटिल आदि हस्तियां आ चुकी हैं। देश के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी इसका सौंदर्य निहारने 25 जुलाई को यहां पहुंच रहे हैं। उनके स्वागत के लिए बस्तर के लोक नर्तक उत्साहित हैं।
भौगोलिक स्थिति
दंडकारण्य के पठार की प्राणदायिनी कहलाने वाली इंद्रावती नदी का उद्यम ओडिशा के कालाहांडी जिले के रामपुर थुमाल में है। यह नदी ओडिशा में 174 और बस्तर में 233 किमी लंबे क्षेत्र में प्रवाहित होते हुए महाराष्ट्र व तेलंगाना की सरहद पर भद्रकाली बीजापुर में गोदावरी नदी में समाहित हो जाती है। चित्रकोट की घाटी में यह नदी विशाल जलप्रपात का रूप लेती है। चित्रकोट जलप्रपात की चौड़ाई 980 फीट तथा ऊंचाई 98 फीट है। यह भारत के छह भौगोलिक विरासतों वाले जलप्रपातों में एक है। रायपुर से इसकी दूरी 340 किमी तथा जगदलपुर से मात्र 40 किमी है।
गरजता प्रपात
केन्द्रीय जल आयोग कायरलय से मिली जानकारी के अनुसार इंद्रावती नदी चित्रकोट की घाटी में 15 मीटर प्रति सेकंड की गति से प्रवाहित होती है और इसकी विशाल जलराशि 23 हजार क्यूबिक मीटर प्रति संकंड के हिसाब से घाटी में गिरती है। बताया गया कि इंद्रावती का गोदावरी में वार्षिक जलप्रवाह लगभग 290 टीएमसी है। चित्रकोट जलप्रपात का सौंदर्य हर मौसम में भिन्न् होता है। चांदनी रात में 98 फीट गहरी घाटी में गिरती जलराशि को देखना अद्भूत है। अब तो इसे किसी भी मौसम में रात को निहारा जा सकता है, चूंकि छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल ने यहां फ्लड लाइट की व्यवस्था कर दी है।
यादगार नौकायन
चित्रकोट वाटर फॉल के ठीक नीचे करीब 800 फीट लंबा और 500 फीट चौड़ा विशाल जलकुंड है। यहां नौकायन अपने आप में विशेष अनुभव रखता है। करीब 100 फीट की ऊंचाई से गिरती विशाल जलराशि के नीचे हिलती-डुलती नाव में जाना और जलकणों को अपने चेहरे पर महसूस करना, हर सैलानियों को रोमांचित करता है। यहां नौकायन हर सैलानी के मस्तिष्क में चित्रकोट की अमिट यादें छोड़ जाता है।
बस्तर के पर्यावरण प्रेमी चाहते हैं किचित्रकोट के साथ संपूर्ण बस्तर को ए ट्राइबल प्लेनेट या इको एथनिक टूरिज्म के रूप में ढाला जाए। साहित्यकार की नजर में चित्रकोट बस्तर लोककला और संस्कृति के मर्मज्ञ रहे स्व.साहित्यकार लाला जगदलपुरी ने लिखा है किबस्तर, जहां खंडहर बोलते है और इतिहास सुनता है। चित्रकोट में आंनद और आतंक का समन्वय है। यह क्रांतिकारी, मृत्यु- मुखी जल सौंदर्य का अजीब आकर्षण है। इसकी ओजस्विनी धाराओं में गर्जना है, ललकार और चुनौती है। इसकी साहसिक तरंगों में बिजली दाैडती है। वहीं इसके बहाव से इंद्रधनुष की टंकार गूंजती है। चित्रकोट की जल-माधुरी देख लेने पर कल्पना की एक विषकन्या सामने खड़ी हो जाती है और उत्साहित मन अचानक सिहर उठता है। मन प्रकृति के उस सौंर्दर्य को आत्मसात नहीं कर पाता और वह अलगाव का अनुभव करता है फिर भी इसे देखे बिना किसी भी आंगतुक की यात्रा अपूर्ण रह जाती है।
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