फिजियोथेरेपिस्ट अपने नाम के आगे 'डॉक्टर' नहीं लगा सकते, केवल पंजीकृत चिकित्सक ही करें इस उपाधि का इस्तेमाल
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) ने एक दिशा-निर्देश जारी कर कहा है कि फिजियोथेरेपिस्ट को अपने नाम के आगे डॉक्टर शब्द लिखने का अधिकार नहीं है। केवल पंजीकृत चिकित्सक ही इस उपाधि का इस्तेमाल कर सकते हैं। डॉ. शर्मा ने अपने पत्र में चिंता के बिंदुओं को रेखांकित करते हुए कहा कि फिजियोथेरेपिस्ट को मेडिकल डॉक्टर के रूप में प्रशिक्षित नहीं किया जाता है।

पीटीआई, नई दिल्ली। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) ने एक दिशा-निर्देश जारी कर कहा है कि फिजियोथेरेपिस्ट को अपने नाम के आगे 'डॉक्टर' शब्द लिखने का अधिकार नहीं है। केवल पंजीकृत चिकित्सक ही इस उपाधि का इस्तेमाल कर सकते हैं।
केवल पंजीकृत चिकित्सक ही कर सकते हैं इस उपाधि का इस्तेमाल
भारतीय चिकित्सा संघ (आइएमए) के अध्यक्ष डॉ. दिलीप भानुशाली को लिखे पत्र में डीजीएचएस डॉ. सुनीता शर्मा ने कहा कि निदेशालय को फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा अपने नाम के आगे 'डॉक्टर' लगाए जाने के सिलसिले में भारतीय भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास संघ (आइएपीएमआर) सहित विभिन्न संगठनों से कई ज्ञापन और आपत्तियां हासिल हुई हैं।
फिजियोथेरेपिस्ट को मेडिकल डॉक्टर के रूप में नहीं किया जाता है प्रशिक्षित
डॉ. शर्मा ने अपने पत्र में चिंता के बिंदुओं को रेखांकित करते हुए कहा कि फिजियोथेरेपिस्ट को मेडिकल डॉक्टर के रूप में प्रशिक्षित नहीं किया जाता है। इसलिए उन्हें अपने नाम के आगे 'डॉक्टर' उपाधि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे मरीज और आम जनता गुमराह हो सकती है। इससे नीम-हकीमों को बढ़ावा मिल सकता है।
उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपिस्ट को प्राथमिक चिकित्सा करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्हें केवल रेफर किए गए मरीजों का ही इलाज करना चाहिए, क्योंकि उन्हें चिकित्सीय स्थितियों का निदान करने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया जाता है। इनमें से कुछ स्थितियां अनुचित फिजियोथेरेपी से और भी बिगड़ सकती हैं।
फिजियोथेरेपिस्ट अपने नाम के आगे न लिखें डॉक्टर
डॉ. शर्मा ने कुछ अहम फैसलों का भी हवाला दिया, जिनमें पटना हाई कोर्ट का 2003 का आदेश भी शामिल है, जिसमें कहा गया था कि जब तक फिजियोथेरेपिस्ट राज्य चिकित्सा रजिस्टर में दर्ज नहीं हो जाते, वे आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अभ्यास नहीं कर सकते या अपने नाम के आगे 'डाक्टर' शब्द नहीं लगा सकते।
तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल की ओर से 2016 में जारी परामर्श में भी फिजियोथेरेपिस्ट को अपने नाम के आगे 'डॉक्टर' शब्द का इस्तेमाल करने के खिलाफ चेतावनी दी गई है और उन्हें 'पैरामेडिक' या 'टेक्नीशियन' बताया गया है।
फिजियोथेरेपिस्टों को डॉक्टर के रूप में मान्यता नहीं
2020 में बेंगलुरु की एक अदालत ने फिजियोथेरेपिस्टों को ''डॉक्टर'' का उपयोग करने से प्रतिबंधित किया और जोर दिया कि उन्हें चिकित्सक की निगरानी में काम करना चाहिए।
मद्रास हाई कोर्ट ने 2022 में फिजियोथेरेपिस्टों द्वारा ''डॉक्टर'' शब्द के उपयोग पर प्रतिबंध बरकरार रखा और कहा कि उन्हें आइएमसी अधिनियम के तहत ''डॉक्टर'' के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है।
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