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    कैडिला ने विश्व की पहली तीन डोज वाली रेबीज वैक्सीन लांच की; गेम चेंजर साबित होगा यह टीका, DCGI से मिल चुकी है मंजूरी

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Sat, 09 Apr 2022 01:21 AM (IST)

    कैडिला फार्मास्युटिकल्स ने रेबीज के खिलाफ दुनिया की पहली तीन डोज वाला टीका विकसित कर लिया है। कैडिला फार्मास्युटिकल्स का कहना है कि यह टीका रेबीज के खिलाफ गेम चेंजर साबित होगा। जानें क्‍या होगी एक डोज की कीमत...

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    कैडिला फार्मास्युटिकल्स ने रेबीज के खिलाफ दुनिया की पहली तीन डोज वाली नई वैक्सीन विकसित की है। (File Photo)

    अहमदाबाद, पीटीआइ। देश की प्रमुख दवा कंपनी कैडिला फार्मास्युटिकल्स ने शुक्रवार को कहा कि उसने रेबीज के खिलाफ दुनिया की पहली तीन डोज वाली नई वैक्सीन विकसित कर ली है। कंपनी ने शुक्रवार को इसे लांच किया। गुजरात समेत 11 राज्यों में जल्द ही यह वैक्सीन मिलने लगेगी। इसकी एक डोज की कीमत 750 रुपये होगी। कंपनी ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि वैक्सीन जी प्रोटीन को मिलाकर वायरस जैसी पार्टिकल तकनीक से तैयार की गई है।  

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    डीसीजीआइ से मिल चुकी है मंजूरी

    इस वैक्‍सीन को 'थरबीस' नाम दिया गया है। इसे विकसित करने में 12 साल लगे हैं। सबसे खास बात यह है कि आठ दिन के भीतर ही इसकी तीनों डोज लगाई जा सकती है। बता दें कि भारत के दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) से इसे मंजूरी भी मिल चुकी है।

    इस वजह से बना रहता है खतरा

    वैक्सीन को लांच करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में कैडिला फार्मास्युटिकल्स के मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी) राजीव मोदी ने कहा कि यह वैक्सीन गेम चेंजर साबित हो सकती है क्योंकि अभी तक रेबीज की जितनी भी वैक्सीन है वो पांच डोज वाली है और उसे 28 दिन में लगाया जाता है। लेकिन ज्यादातर पीडि़त डोज लगाने की अवधि लंबा होने से सभी डोज नहीं लगवा पाते हैं। ऐसे लोगों को रेबीज का खतरा बना रहता है। उन्होंने कहा कि यह वैक्सीन इस समस्या को दूर करेगी।

    रेबीज से देश में हर साल 20 हजार से ज्यादा मौतें

    कंपनी ने कहा है कि दुनियाभर में हर साल लगभग 59,000 लोगों की रेबीज के संक्रमण से मौत होती है, जिसमें से 20,000 मौतें अकेले भारत में होती हैं। कंपनी द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल करीब 1.5 करोड़ लोग जानवरों, खासकर कुत्तों के काटने के शिकार होते हैं। इनमें से मात्र 30 लाख लोग ही रेबीज का टीका लगवाने जाते हैं। इनमें से भी 30 प्रतिशत लोग तीन डोज के बाद वैक्सीन नहीं लगवाते और 40 प्रतिशत आखिरी डोज नहीं लेते। इससे उनमें रेबीज का संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।