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    फार्मा कंपनियां खुद तय करती हैं दवा की गुणवत्ता, बाजार में भेजे जाने से पहले सरकारी लैब में नहीं होती जांच

    By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh Rajput
    Updated: Wed, 24 May 2023 10:57 PM (IST)

    ड्रग कंट्रोलर बाजार में बिकने वाली दवा के सैंपल की औचक जांच करते हैं और खराब पाए जाने पर कार्रवाई भी करते हैं। लेकिन अब यह सवाल उठने लगा है कि घरेलू बाजार में भी उपभोक्ताओं तक दवा पहुंचने से पहले उसकी जांच सरकारी लैब में क्यों नहीं होती।

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    निर्यात होने वाले कफ सीरप की जांच सरकारी लैब में अनिवार्य होगी

    नई दिल्ली, राजीव कुमार। एक जून से कफ सीरप निर्यात करने से पहले दवा निर्माताओं को इसकी जांच सरकार के लैब में अनिवार्य रूप से करानी होगी। हालांकि, घरेलू बाजार के लिए फिलहाल यह नियम लागू नहीं होता है।

    सरकार क्यों लाई ऐसा नियम?

    सरकार ऐसा नियम इसलिए लेकर आई है, क्योंकि कई देशों में भारतीय कफ सीरप पीने से बच्चे बीमार पड़ गए और भारतीय दवा की गुणवत्ता पर सवाल खड़े होने लगे थे। हो सकता है आने वाले समय में निर्यात होने वाली अन्य दवा के लिए भी यह नियम लागू हो जाए। विदेश व्यापार महानिदेशक संतोष कुमार सारंगी ने गत मंगलवार को ऐसे संकेत दिए थे। फिलहाल घरेलू बाजार में बिकने वाली दवा की गुणवत्ता को दवा निर्माता ही सत्यापित करते हैं।

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    अब उठने लगे हैं कई सवाल

    ड्रग कंट्रोलर बाजार में बिकने वाली दवा के सैंपल की औचक जांच करते हैं और खराब पाए जाने पर कार्रवाई भी करते हैं। लेकिन, अब यह सवाल उठने लगा है कि घरेलू बाजार में भी उपभोक्ताओं तक दवा पहुंचने से पहले उसकी जांच सरकारी लैब में क्यों नहीं हो सकती है। हाल ही में हिमाचल प्रदेश के बद्दी में दवा के पाउडर से गोली बनाने में इस्तेमाल होने वाले दो साल्ट की गुणवत्ता खराब पाई गई थी।

    बद्दी के दवा निर्माताओं के मुताबिक, साल्ट बेचने वाली एक कंपनी ने उस साल्ट पर उसकी एक्सपायरी चार साल बाद दिखा रखी थी, जबकि वह अधिकतम डेढ़ साल ही काम कर सकता था। ऐसे में उस साल्ट के इस्तेमाल से बनी गोली टेस्ट में पास तो हो जा रही थी, लेकिन सात-आठ महीने के बाद वह गोली घुलनशील नहीं रह जाती थी, जिससे उस साल्ट के इस्तेमाल से बनी दवा पर सवाल उठ सकते हैं।

    साल्ट बेचने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही नियम तय हों :सतीश सिंघल

    हिमाचल ड्रग्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के चेयरमैन सतीश सिंघल ने कहा कि सरकार को चाहिए कि इस प्रकार के साल्ट बेचने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही नियम तय हों। क्या है घरेलू बाजार में नियमइंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक अशोक कुमार मदान ने बताया कि अभी दवा बनाने वाले मैन्युफैक्चरर्स दवा बनाने के बाद खुद ही उसे सत्यापित कर बाजार में भेज देते हैं।

    साथ ही दवा के सैंपल अपने पास रखते हैं, ताकि अगर दवा की गुणवत्ता पर सवाल उठे तो उसकी जांच हो सके। दवा बनाने के लिए जो केमिकल फार्मूला तैयार होता है, उसे ड्रग कंट्रोलर से पास कराना होता है। लेकिन, ड्रग निर्माताओं की दवा को बाजार में भेजे जाने से पहले सरकारी लैब में जांचने का चलन नहीं है।

    सिंघल ने बताया कि बाजार में भेजी जाने वाली दवा को बनाने वाले को फार्मूलेटर कहा जाता है और उनकी लैब भी दवा की गुणवत्ता की जांच करने में सक्षम होती हैं। इसलिए इस प्रकार के चलन में कोई परेशानी नहीं है।