भारत में तेजी से बढ़ रहा Pet Care Market, सबसे ज्यादा कुत्ते पाल रहे लोग, जानें वजह
पालतू पशुओं पर काम करने वाली पेट-कीन संस्था की रिपोर्ट कहती है कि हर भारतीय अपने पालतू पशुओं पर महीने में औसतन 4 हजार रुपये खर्च करते हैं। इनमें भोजन फार्मास्युटिकल खिलौने शामिल हैं। सालाना 13 हजार 8 सौ करोड़ रुपये का बाजार तो सिर्फ सेहत का है।

नई दिल्ली, अरविंद शर्मा। भारत में एक नया मार्केट तेजी से आकार ले रहा है, वह है पालतू पशुओं की देखभाल का। प्रति व्यक्ति औसतन आय और शहरी आबादी में वृद्धि के साथ-साथ पालतू जानवरों का बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है, हर वर्ष लगभग 14 प्रतिशत से भी अधिक की दर से। कोरोना काल में सभी तरह के कारोबार में कमी देखी गई, लेकिन पेट केयर मार्केट की रफ्तार तब भी कम नहीं हुई।
सबसे ज्यादा पालतू कुत्तों की संख्या
देश में सबसे ज्यादा पालतू कुत्तों की संख्या है। दूसरा नंबर बिल्ली फिर खरगोश का है। अगले दस वर्षों में इस मार्केट में और तेजी आने की संभावना है। मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला इसका कारण बताते हैं कि कुत्ते-बिल्लियों के प्रति नई पीढ़ी का लगाव बढ़ रहा है। इसलिए आने वाले वर्षों में पशुचारा (पेट फूड) के साथ ही अन्य जरूरतों का बाजार भी बड़ा आकार लेने वाला है।
अभी 36 हजार करोड़ रुपये का है मार्केट
भारत सरकार के पशुपालन आयुक्त अभिजीत मित्र के मुताबिक, देश में पेट केयर का मार्केट अभी लगभग 36 हजार करोड़ रुपये का हो गया है। अगले दो-तीन वर्षों में इसे दोगुना और दस वर्षों में लगभग आठ गुना हो जाने का अनुमान है। ऐसा इसलिए कि अभी देश में लगभग तीन करोड़ से ज्यादा पालतू कुत्ते हैं। साथ ही इन्हें पालने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। हर वर्ष लगभग छह लाख नए लोग जुड़ जा रहे हैं।
क्यों बढ़ रही पालतू कुत्तों को पालने वाले लोगों की संख्या?
मत्स्य पालन पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, यह संख्या इसलिए बढ़ रही है कि देश में शहरी आबादी में वृद्धि के साथ-साथ संयुक्त परिवार की अवधारणा टूट रही है। फ्लैटों में रहने वाले एकल परिवारों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में कुत्ते-बिल्लियों के प्रति लोगों का दृष्टिकोण बदल रहा है। पालतू पशुओं को भी अब परिवारिक सदस्य के रूप में देखा जाने लगा है।
मीडिल क्लास लोगों की भी बढ़ रही संख्या
कोरोना के दौरान लाकडाउन में जब लोग घरों में कैद होकर एकाकी महसूस करने लगे तो उन्हें कुत्ते-बिल्लयों की जरूरत दिखने लगी। इसी दौर में अधिकतर लोगों ने पशुओं को अपना लिया। ऐसे लोग अधिकतर उच्च वर्ग के हैं, लेकिन धीरे-धीरे मिडिल क्लास के लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। ऐसे लोग अपने पशुओं को खिलाने एवं देखभाल के प्रति अत्यधिक जागरूक हैं। उन्हें सामान की गुणवत्ता भी चाहिए।
हर महीने औसतन चार हजार रुपये खर्च
पालतू पशुओं पर काम करने वाली पेट-कीन संस्था की रिपोर्ट कहती है कि प्रत्येक भारतीय अपने पालतू पशुओं पर महीने में औसतन चार हजार रुपये खर्च करते हैं। इनमें भोजन, फार्मास्युटिकल, खिलौने और अन्य उपकरण शामिल हैं। सालाना 13 हजार आठ सौ करोड़ रुपये का बाजार तो सिर्फ सेहत का है।
फूड मार्केट में सबसे ज्यादा तेजी
सबसे ज्यादा फूड मार्केट में तेजी है। इस क्षेत्र में कई स्टार्टअप भी आने लगे हैं। नवाचार होने लगे हैं। विभिन्न प्रकार के खाद्य सामग्री बनाई जाने लगी है। महानगरों में तो पालतू कुत्तों के लिए रेस्टोरेंट भी खुलने लगे हैं। अब तो पशु स्वास्थ्य बीमा भी जोर पकड़ने लगा है। कोलकाता की गैलीफ स्ट्रीट भारत का सबसे बड़ा और पुराना पेट केयर मार्केट है। इसे बाग बाजार सोखेर हाट के नाम से भी जाना जाता है।
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