Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'हाईकोर्ट के जजों के परफार्मेंस का आकलन होना चाहिए', इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Wed, 14 May 2025 02:30 AM (IST)

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ कई शिकायतें मिल रही हैं और यह उनके कार्य के मुकाबले उन पर होने वाले खर्च का आकलन करने का सही समय है। हाईकोर्ट के जजों द्वारा अनावश्यक और बहुत अधिक बार ब्रेक लेने के मुद्दे का मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में उल्लेख किया गया।

    Hero Image
    हाईकोर्ट के जजों के परफार्मेंस का आकलन होना चाहिए- सुप्रीम कोर्ट (सांकेतिक तस्वीर)

     पीटीआई, नई दिल्ली। हाईकोर्ट के जजों द्वारा ''अनावश्यक'' और बहुत अधिक बार ब्रेक लेने के मुद्दे का मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में उल्लेख किया गया। इससे नाराज होकर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि उनके परफार्मेंस का आकलन किया जाना चाहिए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ कई शिकायतें मिल रही हैं

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को हाईकोर्ट के जजों के खिलाफ कई शिकायतें मिल रही हैं और यह उनके कार्य के मुकाबले उन पर होने वाले खर्च का आकलन करने का सही समय है।

    कुछ जज ऐसे हैं जो बहुत मेहनत करते हैं

    जस्टिस कांत ने कहा, ''कुछ जज ऐसे हैं जो बहुत मेहनत करते हैं, लेकिन साथ ही ऐसे जज भी हैं जो अनावश्यक रूप से काफी ब्रेक लेते हैं; फिर लंच ब्रेक भी..हम हाईकोर्ट के जजों के बारे में बहुत सारी शिकायतें सुन रहे हैं। यह एक बड़ा मुद्दा है जिस पर गौर करने की जरूरत है। हाईकोर्ट के जजों का परफार्मेंस कैसा है? हम कितना खर्च कर रहे हैं और उसका आउटपुट क्या है? अब समय आ गया है कि हम उनके परफार्मेंस का आकलन करें।''

    जज की यह टिप्पणी उन चार व्यक्तियों की याचिका पर आई, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर यह दावा किया था कि झारखंड हाईकोर्ट ने वर्ष 2022 में दोषसिद्धि और आजीवन कारावास के खिलाफ अपील पर अपना आदेश सुरक्षित रखा, लेकिन फैसला नहीं सुनाया गया।

    उन चार लोगों की ओर से पेश वकील फौजिया शकील ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दबाव के बाद हाईकोर्ट ने पांच और छह मई को उनके मामलों में फैसला सुनाया।

    इस मामले पर उठे सवाल

    इसमें चार में से तीन को बरी कर दिया गया, जबकि शेष के मामले में विभाजित फैसला आया और मामला हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भेज दिया गया, जहां उसे भी जमानत दे दी गई। शकील ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट की वजह से ही है कि वे चारों ''ताजी हवा में सांस ले रहे हैं''। अगर हाईकोर्ट ने समय पर फैसला सुनाया होता तो वे तीन साल पहले ही जेल से बाहर आ गए होते।