तेल कंपनियों ने किया मजाक: पेट्रोल व डीजल एक पैसा सस्ता, 60 पैसे की कटौती को बताया गलत
सोलह दिनों तक बढ़ोतरी के बाद 17वें दिन तेल कंपनियों ने जनता को 'राहत' देने के नाम पर मजाक किया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में लगातार सोलह दिनों तक बढ़ोतरी के बाद 17वें दिन तेल कंपनियों ने जनता को 'राहत' देने के नाम पर मजाक किया। बुधवार को सुबह सरकारी तेल कंपनियों की तरफ से बताया गया कि पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में 60 पैसे प्रति लीटर की कटौती की गई। इसके पहले कि ग्राहक इस कटौती का अहसास कर पाते, तेल कंपनियों ने सभी पेट्रोल पंपों और मीडिया को एक दूसरी सूचना भेजी कि असलियत में कटौती सिर्फ एक पैसा प्रति लीटर की हुई है।
-कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार से जताया विरोध
-16 दिनों में पेट्रोल 3.81 रुपये तो डीजल 3.38 रुपये हो चुका महंगा
तेल कंपनियों का कहना है कि कीमत की गणना करने वाले स्टाफ की गलती से ऐसी स्थिति पैदा हुई। वैसे कंपनियों की ओर से इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया कि एक पैसा की कमी किस आधार पर की गई। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने तेल कंपनियों के इस रुख पर सरकार से विरोध जताया है। तृणमूल, माकपा और भाकपा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से सुर मिलाते हुए सरकार से तत्काल पेट्रोल-डीजल पर बड़ी राहत देने की मांग की है।
एक पैसा प्रति लीटर की कटौती के बाद दिल्ली में पेट्रोल की खुदरा कीमत 78.42 रुपये और डीजल की कीमत 69.30 रुपये है। पिछले पखवाड़े में पेट्रोल 3.81 रुपये और डीजल 3.38 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ था।तेल कंपनियों का कहना है कि कीमत तय करने के लिए 15 से 29 मई के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल व डीजल की औसत कीमत को आधार बनाया है। गुरुवार यानी 31 मई की कीमत तय करने के लिए एक दिन आगे यानी 16 से 30 मई की कीमत को आधार बनाया जाएगा। इसके अलावा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर का भी असर घरेलू कीमतों पर होता है।
एक रुपये की कटौती से राजस्व में होती है 13 हजार करोड़ की सालाना कमी
दरअसल यह माना जा रहा था और खुद सरकार की ओर से भी संकेत था कि जल्द ही राहत की कोई घोषणा हो सकती है। लेकिन अब माना जा रहा है कि सरकार का आकलन है कि अगले कुछ दिनों के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में अपने आप ही कुछ गिरावट आएगी जिससे खुदरा कीमतें भी कम होंगी। एक कारण राजनीतिक भी माना जा रहा है। सरकार के लिए राजस्व मजबूत रखना जरूरी है। बताते चलें कि पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क में एक रुपये की कटौती करने पर केंद्र सरकार के राजस्व में 13 हजार करोड़ रुपये सालाना की कमी होती है।
केरल में एक रुपये की कटौती, भाजपा शासित राज्यों पर दबाव
केरल सरकार ने एक रुपया प्रति लीटर की राहत देकर भाजपा शासित राज्यों और केंद्र के लिए भी सियासी चुनौती दे दी है। ध्यान रहे कि सबसे ज्यादा टैक्स महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात तमिलनाडु जैसे राज्यों में है। इनमें से तीन राज्य भाजपा शासित हैं। वैसे पिछले दिनों पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने इस बावत आग्रह किया था लेकिन राज्य चुप्पी साधे बैठे हैं।
सोशल मीडिया पर मजाकिया संदेश
पेट्रोल और डीजल की कीमत में पहले 60 पैसे की कटौती के एलान के बाद मात्र एक पैसा कम करने के निर्णय को सोशल मीडिया ने आड़े हाथ लिया। माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर इस मुद्दे पर हैशटैग और मजाकिया संदेशों की बाढ़ आ गई। ट्विटर पर हैशटैग पेट्रोल्ड, हैशटैग फ्यूलऑनफायर, हैशटैग पेट्रोलप्राइस और हैशटैग फ्यूल जैसे कई संदेश ट्रेंड करने लगे। एक यूजर ने पुराने पांच पैसे की फोटो डालकर लिखा, 'पांच लीटर पेट्रोल भराने के बाद मेरी आज की बचत।' एक अन्य यूजर ने लिखा, 'मैं इस बचत को अब म्यूचुअल फंड में निवेश करने जा रहा हूं।'