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Nag Panchami 2020: नगमत पूजा में सांप की तरह रेंगते हैं लोग, गांव में सौ साल से सर्प दंश से नहीं हुई कोई मौत

Nag Panchami 2020 यह नजारा कोरबा जिले के गिधौरी गांव का है। नागपंचमी के दिन नगमत पूजा की परंपरा यहां पिछले 100 साल से भी अधिक समय से चली आ रही।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 06:27 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 06:34 PM (IST)
Nag Panchami 2020: नगमत पूजा में सांप की तरह रेंगते हैं लोग, गांव में सौ साल से सर्प दंश से नहीं हुई कोई मौत

कोरबा, जेएनएन। बैगा ने जैसे ही नाग देवता की पूजा की, वैसे ही मांदर, ढोल व झांझ की आवाजें गूंज उठी। पूजा स्थल में बैठे श्रद्धालुओं के बीच से ही एक-एक कर चार लोग अचानक ऐसे उठे जैसे कोई नाग फूंफकारता हो। नाग देवता सवार होने के कारण वे जमीन पर सांप की तरह रेंगने लगे। करीब 15 मिनट तक सर्प जैसी हरकतें करने वाले गांववाले उस वक्त शांत हुए, जब बैगा ने मंत्र फूंका।

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यह नजारा कोरबा जिले के गिधौरी गांव का है। नागपंचमी के दिन नगमत पूजा की परंपरा यहां पिछले 100 साल से भी अधिक समय से चली आ रही। इसका निर्वहन आज भी गांव में किया जाता है। शनिवार को शाम चार बजे गांव के चौराहे पर बैगा रामनारायण कंवर ने पूजा शुरू की। ग्रामीण जवाहर अहिराज की तरह, पंचराम अजगर, गोविंद राम ने डोमी, होरिनदास करैत व परमेश्वर प्रसाद काले नाग की तरह हरकतें करने लगे। सर्प बने ग्रामीणों के साथ परिक्रमा करने के बाद बैगा ने एक-एक कर सभी को दूध-लाई का भोग कराया। इस मौके पर न केवल पूरा गांव, बल्कि आसपास के लोग भी पहुंचे। इस दिन खेतों में कृषि कार्य बंद रहता है। अच्छी फसल की कामना के लिए किए जाने वाली इस पूजा के पीछे सर्पदंश से जुड़ी किवदंती भी है। कहा जाता है कि इस गांव में आज तक कभी सर्प या विषैले जंतू के काटने से किसी ग्रामीण की मौत नहीं हुई।

बैगा खींच लेता है सांप का जहर

गांव के बुजुर्ग बुधवार सिंह (70) का कहना है कि यह परंपरा उसके पूर्वजों के जमाने से चली आ रही। गांव में गाहे-बगाहे सर्पदंश की घटनाएं तो हुई पर अब तक किसी भी ग्रामीण की इसकी वजह से मौत नहीं हुई है। इसका कारण नाग देवता की विशेष तौर पर की जाने वाली पूजा-अर्चना को माना जाता है। यहां के ग्रामीण सांप के डंसने से अस्पताल नहीं, बल्कि बैगा के पास जाते हैं और वह मंत्र की शक्ति से शरीर का जहर खींच लेता है।

महज संयोग है कि जहरीले सर्प ने नहीं डंसा

डॉ. राकेश लकड़ा (एमडी, मेडिसिन) का कहना है कि जहरीले सर्प के डंसने पर जीवनरक्षक एंटी स्नेक वेनम दिया जाता है। हीमोटॉक्सिक स्नेक बाइट में छह से सात घंटे बाद भी चिकित्सा मिलने से जान बचाई जा सकती है। न्यूरोटॉक्सिक स्नेक बाइट में एक घंटे की देरी भी जानलेवा साबित हो सकती है। गिधौरी में सर्पदंश से अब तक मौत न होने की घटना महज संयोग हो सकती है। यह भी संभव है कि अब तक जहरीले सांप के डंसने की घटना सामने न आई हो।


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