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    'ऑनलाइन मनी गेम्स के आदी हुए लोग, गंवाते हैं मेहनत की कमाई', आइटी मंत्री वैष्णव बोले- हमें युवाओं की चिंता

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 02:00 AM (IST)

    राज्यसभा में प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 विधेयक केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं आइटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रस्तुत किया। उपसभापति ने चर्चा के लिए विपक्षी सदस्यों से अनुरोध भी किया लेकिन उनका शोर बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर था। पीठ की सहमति से वैष्णव ने विधेयक के संबंध में अपना उत्तर सदन में रखा।

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    'ऑनलाइन मनी गेम्स के आदी हुए लोग, गंवाते हैं मेहनत की कमाई', आइटी मंत्री वैष्णव (फाइल फोटो)

     जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। युवा पीढ़ी को ऑनलाइन मनी गेमिंग की लत से बचाने के लिए लाया गया प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 गुरुवार को संसद से पारित हो गया।

    कई लोग तो आत्महत्या तक करने को मजबूर हो गए

    इस दौरान सरकार ने कहा कि देश में लगभग 45 करोड़ लोग ऑनलाइन गेमिंग के लती हैं। इसमें वे अपनी मेहनत की कमाई गंवा देते हैं। मध्यम वर्ग अब तक लगभग 20,000 करोड़ रुपये इसमें गंवा चुका है। कई लोग तो आत्महत्या तक करने को मजबूर हो गए।

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    अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में पेश किया विधेयक

    राज्यसभा में यह विधेयक केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं आइटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रस्तुत किया। उपसभापति ने चर्चा के लिए विपक्षी सदस्यों से अनुरोध भी किया, लेकिन उनका शोर बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर था।

    ऐसे में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने पीठ से अनुरोध किया कि हंगामे के बीच चर्चा नहीं हो सकती, इसलिए विधेयक पास कराने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाए। पीठ की सहमति से वैष्णव ने विधेयक के संबंध में अपना उत्तर सदन में रखा।

    उन्होंने ऑनलाइन गेमिंग की लत को ड्रग्स की तरह खतरनाक बताया। वैष्णव ने मीडिया में प्रकाशित आत्महत्या के कई मामलों का हवाला दिया, जिसमें एक युवक द्वारा ऑनलाइन गेम में अपनी मां के कैंसर के इलाज के पैसे गंवाने और आत्महत्या करने का मामला भी शामिल है।

    मनी लांड्रिंग और आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगेगी

    ऑनलाइन गेम में खर्च किए गए धन से मनी लांड्रिंग और आतंकी गतिविधियों को भी सहायता मिलती है। उन्होंने कहा कि समाज में समय-समय पर कई कुरीतियां आती हैं। ऐसी परिस्थितियों में सरकार और संसद की जिम्मेदारी है कि इन कुरीतियों पर कठोर कार्रवाई करें।

    ऑनलाइन मनी गेम्स के पीछे कई ताकतवर लोग

    उन्होंने आशंका जताई कि ऑनलाइन मनी गेम्स के पीछे कई ताकतवर लोग हैं जो कोर्ट भी जाएंगे और मीडिया व इंटरनेट मीडिया पर कैंपेन भी चलाएंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष अगर आज काम करता, चर्चा में भाग लेता तो समझ में आता कि वह भी मध्यम वर्ग व युवाओं के हित की बात करते हैं। वे केवल अपनी राजनीतिक उद्देश्य के लिए काम करते हैं।

    ऑनलाइन गेमिंग के तीन में से दो सेगमेंट को देंगे बढ़ावा

    वैष्णव ने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग महत्वपूर्ण विषय है जो डिजिटल दुनिया में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरा है। इसके तीन सेगमेंट हैं। पहला ई-स्पो‌र्ट्स है जिसमें टीम बनाकर खेलते हैं, मंथन होता है और हमारे खिलाडि़यों ने पदक भी जीते हैं। इस विधेयक में उसे प्रोत्साहित किया जाएगा।

    दूसरा सेगमेंट ऑनलाइन सोशल गेम्स हैं। जैसे सोलिटेयर, सुडोकू, शतरंज आदि; उन्हें भी बढ़ावा दिया जाएगा। तीसरा सेगमेंट ऑनलाइन मनी गेम्स हैं जो समाज के लिए चिंता का विषय है। इसकी एल्गोरिदम कभी-कभी ऐसी होती है कि यह जानना मुश्किल होता है कि आप किसके साथ खेल रहे हैं। इनकी एल्गोरिदम अस्पष्ट हैं।

    डब्ल्यूएचओ ने ऑनलाइन मनी गेमिंग को बताया है विकार

    वैष्णव ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ऑनलाइन मनी गेमिंग को विकार घोषित किया है। उन्होंने कहा, ''रोगों के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण आइसीडी-11 ने इसे गेमिंग विकार घोषित किया है। ऑनलाइन मनी गेमिंग सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया है। इसके कारण लोग मनोवैज्ञानिक विकारों और जुनूनी व हिंसक व्यवहार के शिकार हो रहे हैं।''

    विधेयक की खास बातें

    • ऑनलाइन मनी गेमिंग का संचालन करने पर तीन वर्ष तक कैद या एक करोड़ तक जुर्माना या दोनों भुगतने होंगे।
    • विज्ञापन करने वालों के लिए भी दो वर्ष तक की कैद या 50 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान।
    • मनी गेमिंग से संबंधित लेन-देन के लिए तीन वर्ष तक कैद और/या एक करोड़ रुपये तक जुर्माने का प्रावधान।
    • बार-बार अपराध पर सजा बढ़ सकती है। तीन से पांच वर्ष की कैद और दो करोड़ रुपये तक का होगा जुर्माना।
    • अधिकारियों को कुछ मामलों में बिना वारंट के प्रवेश करने, तलाशी लेने और गिरफ्तार करने का होगा अधिकार।
    • खेलने वालों को विधेयक में पीड़ित माना गया है ताकि उनका किसी तरह का उत्पीड़न नहीं किया जा सके।