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    'ये देश की सुरक्षा का मामला, सड़क पर चर्चा के लिए नहीं...', पेगासस जांच रिपोर्ट नहीं होगी सार्वजनिक; SC का बड़ा फैसला

    सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले में तकनीकी पैनल की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी किसी भी रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया जाएगा। पैनल की रिपोर्ट सड़कों पर चर्चा का दस्तावेज नहीं है।

    By Jagran News Edited By: Mahen Khanna Updated: Tue, 29 Apr 2025 12:47 PM (IST)
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    पेगासस जासूसी केस में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पेगासस जासूसी मामले की सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी की। कहा-स्पाइवेयर होना गलत बात नहीं है। यदि देश आतंकियों के खिलाफ जासूसी साफ्टवेयर का इस्तेमाल करता है तो इसमें गलत क्या है? हां, यदि यह किसी व्यक्ति के खिलाफ इसका प्रयोग किया गया है और उसकी निजता का उल्लंघन हुआ है तो उस पर विचार किया जाएगा।

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    पैनल की रिपोर्ट सड़कों पर चर्चा का दस्तावेज नहीं

    इसके साथ ही कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करने से इन्कार कर दिया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता को प्रभावित करने वाली कोई भी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी। इसे सड़कों पर चर्चा का दस्तावेज नहीं बनाया जा सकता। ये टिप्पणियां जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने पेगासस स्पाइवेयर के जरिए सरकार द्वारा सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों आदि की जासूसी करने के आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कीं।

    व्यक्तियों के साथ रिपोर्ट साझा करने पर क्या कहा?

    एक याचिकाकर्ता के वकील दिनेश द्विवेदी की याचिका पर कोर्ट ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम देश की सुरक्षा और संप्रभुता से कोई समझौता नहीं कर सकते। तभी केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आतंकवादी निजता के अधिकार का दावा नहीं कर सकते। कोर्ट ने मौजूदा स्थिति में सतर्क रहने का संकेत देते हुए कहा कि वर्तमान में हम जिस तरह की स्थिति का सामना कर रहे हैं, हमें सावधान रहना है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को कोई आशंका है तो उसे देखा जाएगा।

    एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पक्षकारों को देने की मांग की। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट का कुछ भाग हटाकर ही ये पक्षकारों को दी जाए। वकील श्याम दीवान ने भी रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि सरकार ने अपने नागरिकों के खिलाफ स्पाइवेयर का उपयोग किया है, जोकि एक गंभीर स्थिति है। लेकिन रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से मना करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता को प्रभावित करने वाली किसी रिपोर्ट को नहीं छुआ जाएगा। हालांकि, जो व्यक्ति जानना चाहते हैं कि क्या उन्हें इसमें शामिल किया गया है, उन्हें सूचित किया जा सकता है।

    सिब्बल की दलील पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?

    कोर्ट ने कहा कि वह देखेगा कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट किस हद तक साझा की जा सकती है। सुनवाई की शुरुआत में कपिल सिब्बल ने इस संबंध में अमेरिका की एक अदालत के फैसले का हवाला दिया। साथ ही कहा कि वाट्सअप ने भी है¨कग की बात कही है। उस समय हैं¨कग होने के कोई सुबूत नहीं थे लेकिन अब कोर्ट के और वाट्सअप के साक्ष्य हैं। कोर्ट ने सिब्बल को दस्तावेज दाखिल करने की इजाजत देते हुए मामले की सुनवाई 30 जुलाई तक स्थगित कर दी।

    2021 में बनाया गया था टेक्निकल पैनल 

    बता दें कि याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने 22 अप्रैल को ये मामला सर्वोच्च न्यायालय के सामने उठाया था। उन्होंने कहा था कि 2021 में बनाए गए टेक्निकल पैनल की रिपोर्ट सभी को देने का निर्देश दिया गया था, लेकिन अभी तक से साझा नहीं की गई।

    उन्होंने सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के निर्देश देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की थी। 

    क्या है मामला?

    दरअसल, 2019 में एक रिपोर्ट सामने आई, जिसमें दावा किया गया था कि भारत सरकार ने नेता, मंत्री, पत्रकार समेत करीब 300 लोगों की जासूसी के लिए पेगासस का इस्तेमाल किया। अगस्त 2021 में यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।