Pegasus Case: सुप्रीम कोर्ट ने जांच रिपोर्ट सौंपने की समय-सीमा बढ़ाई, चार हफ्तों में रिपोर्ट पेश करने का आदेश
Pegasus Case सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जांच रिपोर्ट पर्यवेक्षी न्यायाधीश को सौंपने के लिए समय बढ़ा दिया है। दूसरी ओर टेक्निकल कमिटी अब तक इस मामले में 29 मोबाइलों की जांच कर चुकी है और कई लोगों के बयान भी दर्ज किए गए हैं।
नई दिल्ली, एजेंसी। Pegasus Case: पेगासस मामले का सच सामने आने में अभी कुछ देर और लग सकती है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को इजरायली स्पाइवेयर पेगासस जांच मामले में रिपोर्ट सौंपने की अवधि को बढ़ा दिया है। दरअसल कोर्ट द्वारा नियुक्त टेक्निकल व सुपरवाइजर कमिटी को मामले में रिपोर्ट सौंपनी है। कोर्ट ने कहा कि 29 संक्रमित मोबाइल फोनों की स्पाइवेयर के लिए जांच की जा रही है और यह प्रक्रिया चार सप्ताह में पूरी हो जानी चाहिए।
स्पाइवेयर जांच की रिपोर्ट के लिए मांगा था समय
बता दें कि कमिटी की ओर से पेगासस जांच पर रिपोर्ट जमा करने के लिए और समय की मांग की गई थी। इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पेगासस जांच रिपोर्ट पर्यवेक्षी न्यायाधीश को सौंपने के लिए समय बढ़ा दिया । कोर्ट ने इसके साथ यह आदेश भी दिया कि जांच को चार सप्ताह में खत्म कर रिपोर्ट जल्द पेश होनी चाहिए।
कोर्ट का कहना है कि पर्यवेक्षी जज टेक्निकल कमिटी की रिपोर्ट का अध्ययन करेंगे और जून के अंत तक कोर्ट को अपनी राय देंगे।
कई लोगों के बयान किए गए हैं दर्ज- CJI
चीफ जस्टिस एनवी रमना (CJI N V Ramana) की अध्यक्षता वाली बेंच ने बताया कि टेक्निकल कमिटी स्पाइवेयर के लिए मोबाइलों की जांच कर रही है और कुछ पत्रकारों समेत कई लोगों के बयान भी रिकार्ड किए हैं। बेंच ने कहा कि ‘प्रभावित उपकरणों’ की जांच के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को भी अंतिम रूप दिया जाएगा। बेंच ने कहा कि तकनीकी समिति की जांच मई के अंत तक पूरी की जा सकती है और फिर पर्ययवेक्षी जज की ओर से बेंच के विचार के लिए रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
CJI ने कहा, 'टेक्निकल कमिटी द्वारा प्रक्रिया चार हफ्ते में पूरी कर पर्यवेक्षी न्यायाधीश को सूचित किया जाना चाहिए। इसके बाद पर्यवेक्षी न्यायाधीश अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। मामले को जुलाई में सूचीबद्ध करें।' शीर्ष अदालत ने अक्टूबर 2021 में इजरायली स्पाइवेयर के कथित उपयोग की जांच के आदेश दिए थे। एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने दावा किया था कि पेगासस स्पाइवेयर के जरिये कथित निगरानी के संभावित लक्ष्यों की सूची में 300 से अधिक वेरिफाइड भारतीय मोबाइल फोन नंबर शामिल थे।