जानें आखिर कैसे एक गलती की बदौलत चली गई सात करोड़ लोगों की जान
एक गलती कितना कहर ढा सकती है इसका अंदाजा एक घटना से लगाया जा सकता है, जिसकी बदौलत कुछ सौ हजार या लाख नहीं बल्कि करोड़ों लोग मौत के मुंह में समा गए।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। विश्व इतिहास में अमेरिका की दादागिरी जगजाहिर है। लेकिन एक समय था जब विश्व में दादागिरी दिखाने वाले इसी अमेरिका को जापान ने दहला दिया था। जापान के लड़ाकू विमानों ने एक घंटे के दौरान ही अमेरिका के आसमान को काले धुंऐ से भर दिया था। अमेरिका अचानक हुए इस हमले के लिए न तो तैयार था और न ही वह इसकी कल्पना ही कर सकता था। इतना ही नहीं यह हमला अमेरिका के लिए बेहद चौंकाने वाला इसलिए भी क्योंकि हमले से ठीक एक दिन पहले ही वाशिंगटन में जापानी प्रतिनिधियों की अमरीकी विदेश मंत्री कॉर्डेल हल के साथ जापान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को समाप्त करने को लेकर सुलह की बातचीत चल रही थी।
एक गलती और चली गई करोड़ों की जान
इस हमले के बाद द्वितीय विश्व युद्ध ने एक नया मोड़ ले लिया था। 1 सितंबर, 1939 से 2 सितंबर, 1945 तक चलने वाला इस युद्ध में जापान की एक गलती की बदौलत करीब सात करोड़ लोगों की जान चली गई थी। इस युद्ध में 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाएं शामिल हुई थीं। पूरा विश्व इस दौरान मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र के बीच बंटकर रह गया था। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग 10 करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज्यादा घातक युद्ध साबित हुआ।
हमले के पीछे थी जापान की नाराजगी
दरअसल इस हमले के पीछे जापान की वह नाराजगी थी जिसमें अमेरिकी प्रतिबंध और चीन को दी गई मित्र सेनाओं की मदद शामिल थी। इनसे नाराज होकर ही जापान ने अमेरिका खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी। इसके बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलीन रूजवेल्ट ने भी जापान के खिलाफ लड़ाई की घोषणा कर दी थी।
जापान को चुकानी पड़ी बड़ी कीमत
अमेरिका के नेवल बेस पर हुए इस हमले ने अमेरिका को हिला कर रख दिया था। पर्ल हार्बर के इस हमले का अंत चार वर्ष बाद हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले के साथ हुआ था। पर्ल हार्बर पर किए गए हमले की जापान को बड़ी भारी कीमत चुकानी पड़ी थी, जिससे वह आजतक भी पार नहीं पा सका है। पर्ल हार्बर को तो अमेरिका ने हमले के एक वर्ष बाद ही फिर से तैयार कर लिया गया। एक वर्ष बाद ही यह बंदरगाह अमेरिका के प्रशांत महासगरीय बेड़े का हैडक्वार्टर बन गया। लेकिन जापान को अपने दोनों शहर बसाने में वर्षों लग गए।
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पर्ल हार्बर की बदौलत द्वितीय विश्व युद्ध में कूदा था यूएस
जापानी नौसेना द्वारा 8 दिसंबर 1941 को अमेरिका के नौसैनिक बेस पर्ल हार्बर पर हुए इस हमले की बदौलत ही अमेरिका को द्वितीय विश्वयुद्ध में कूदना पड़ा था। इस हमले से अमेरिका का संपूर्ण बेड़ा, फोर्ड द्वीप स्थित नौसैनिक वायुकेंद्र और एक बंदरगाह बुरी तरह नष्ट हो गया था। इस हमले में अमेरिका के बेड़े के नौ जहाज डूब गए और 21 जहाज बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए। 21 में से तीन पूरी तरह से बेकार हो चुके थे। मरने वालों की कुल संख्या 2,350 थी, जिसमें 68 नागरिक शामिल थे और 1178 घायल हुए. पर्ल हार्बर में मरने वाले सैन्य कर्मियों में, 1,177 एरिजोना से थे। इस हमले में जापान के 350 विमानों में से 29 नष्ट हो गए थे।
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सूचना होने पर भी विफल रहा था यूएस
जापानी नौसेना के विमान और छोटी पनडुब्बियों ने अमेरिका पर एक हमला शुरू किया। अमेरिकियों ने पहेल ही जापान के कोड को समझ लिया था और इस हमले के होने के पहले ही वे एक सुनियोजित हमले के बारे में जानते थे। बहरहाल, पकड़े गए संदेश को समझने में कठिनाई के कारण, हमला होने से पहले अमेरिकी, जापान द्वारा टार्गेट स्थानों को पहचान पाने में विफल रहे थे।
अमेरिका ने शुरू किए ताबड़तोड़ हमले
पर्ल हार्बर के हमले से दहले अमेरिका ने इसके बाद फिलीपींस, ब्रिटेन द्वारा अधिकार किए गये मलाया, सिंगापुर तथा हांग कांग पर ताबड़तोड़ हमले किए थे। यह हमला दरअसल जापान का ध्यान भटकाने के लिए ही किए गए थे। जिस वक्त अमेरिका ने इस देशों को निशाना बनाया था उस वक्त जापान दक्षिण पूर्वी एशिया में यूके, नीदरलैण्ड्स तथा यूएस के अधिकृत क्षेत्रों पर सैनिक कार्यवाही करने की योजना बना रहा था।
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पर्ल हार्बर से लेकर द्वितीय विश्व युद्ध
- 7 दिसंर को 06:05 बजे, छह जापानी ने 183 विमानों के साथ पहला हमला किया।
- 6:55 पर हमला कर छोटी अमेरिकी पनडुब्बी को डूबा दिया दिया।
- 07:51 पर अमेरिकी जहाजों और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया।
- पहली खेप ने फोर्ड द्वीप के सैन्य हवाई अड्डों पर हमला किया।
- 08:30 पर, 170 जापानी विमानों की दूसरी खेप ने, जिसमें ज्यादातर टारपीडो हमलावर थे, पर्ल हार्बर में लंगर में लगे बेड़े पर हमला किया।
- द्वितीय विश्व युद्ध 6 सालों तक लड़ा गया।
- द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत 1 सितंबर 1939 ई. में हुई।
- इस युद्ध का अंत 2 सितंबर 1945 ई. में हुआ।
- द्वितीय विश्वयुद्ध में 61 देशों ने हिस्सा लिया।
- युद्ध का तात्कालिक कारण जर्मनी का पोलैंड पर आक्रमण था।
- द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मन जनरल रोम्मेले का का नाम डेजर्ट फॉक्स रखा गया।
- म्यूनिख पैक्ट सितंबर 1938 ई. में संपन्न हुआ।
- जर्मनी ने वर्साय की संधि का उल्लंघन किया था।
- जर्मनी ने वर्साय की संधि 1935 ई. में तोड़ी।
- स्पेन में गृहयुद्ध 1936 ई. में शुरू हुआ।
- संयुक्त रूप से इटली और जर्मनी का पहला शिकार स्पेरन बना।
- सोवियत संघ पर जर्मनी के आक्रमण करने की योजना को बारबोसा योजना कहा गया।
- जर्मनी की ओर से द्वितीय विश्वयुद्ध में इटली ने 10 जून 1940 ई. को प्रवेश किया।
- अमेरिका द्वितीय विश्वयुद्ध में 8 सितंबर 1941 ई. में शामिल हुआ।
- द्वितीय विश्वयुद्ध के समय अमेरिका का राष्ट्रपति फैंकलिन डी रुजवेल्टई था।
- इस समय इंगलैंड का प्रधानमंत्री विंस्टरन चर्चिल था।
- वर्साय संधि को आरोपित संधि के नाम से जाना जाता है।
- द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी की पराजय का श्रेय रूस को जाता है।
- अमेरिका ने जापान पर एटम बम का इस्तेमाल 6 अगस्तर 1945 ई. में किया।
- जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर एटम बम गिराया गया।
- द्वितीय विश्व युद्ध में मित्रराष्ट्रों के द्वारा पराजित होने वाला अंतिम देश जापान था।
- अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में द्वितीय विश्व युद्ध का सबसे बड़ा योगदान संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना है।