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    15 अगस्त के बाद केंद्र-असम सरकार और उल्फा समर्थक वार्ता गुट के बीच शांति वार्ता, मनमोहन सरकार ने की थी शुरुआत

    By Jagran NewsEdited By: Abhinav Atrey
    Updated: Thu, 10 Aug 2023 01:55 PM (IST)

    अनूप चेतिया ने मीडिया से बात करते हुए यह उम्मीद जताई कि शांति वार्ता 2024 से पहले संपन्न हो जाएगी। उन्होंने कहा हमें आम चुनाव से पहले भारत सरकार के साथ एक समाधान पर पहुंचने की उम्मीद है। हमें यह महसूस होता है कि अगर सरकार हस्ताक्षर करती है उल्फा समर्थक वार्ता गुट के साथ समझौते से असम की समस्या सुलझ जाएगी।

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    भारत और असम सरकार के प्रतिनिधियों के साथ होगी चर्चा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    शिलांग, एजेंसी। केंद्र सरकार, असम और उल्फा समर्थक वार्ता गुट के बीच शांति वार्ता 15 अगस्त के बाद होगी। संगठन के नेता अनूप चेतिया ने बुधवार (9 अगस्त) को कहा है कि केंद्र, असम सरकार और उल्फा वार्ता समर्थक गुट के बीच शांति वार्ता स्वतंत्रता दिवस के बाद राजधानी दिल्ली में होगी।

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    अनूप चेतिया ने मीडिया से बात करते हुए यह उम्मीद जताई कि शांति वार्ता 2024 लोकसभा चुनाव से पहले संपन्न हो जाएगी। उन्होंने कहा, "हमें आम चुनाव से पहले भारत सरकार के साथ एक समाधान पर पहुंचने की उम्मीद है। हमें यह महसूस होता है कि अगर सरकार हस्ताक्षर करती है उल्फा समर्थक वार्ता गुट के साथ समझौते से असम की समस्या सुलझ जाएगी।"

    2011 में केंद्र के साथ बातचीत शुरू हुई

    बातचीत करने की समर्थक उल्फा गुट ने साल 2011 में केंद्र के साथ बातचीत शुरू कर दी थी, लेकिन अंतिम समाधान अभी तक नहीं निकला सका है। गुट ने आरोप लगाया है कि नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ज्यादा प्रगति नहीं हुई है, हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के शासनकाल के दौरान बातचीत अंतिम चरण में पहुंच गई थी।

    भारत और असम सरकार के प्रतिनिधियों के साथ होगी चर्चा

    अनूप चेतिया ने आगे कहा, "स्वतंत्रता दिवस समारोह के बाद हमारी चर्चा दिल्ली में भारत सरकार और असम सरकार के प्रतिनिधियों के साथ होगी।" चेतिया नॉर्थ ईस्ट इंडिजिनस पीपुल्स फोरम के संयोजक हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वार्ता समर्थक गुट उल्फा-आई प्रमुख परेश बरुआ से शांति प्रक्रिया में शामिल होने की अपील करेगा? इसपर चेतिया ने कहा, "हमने उनसे संपर्क किया है… यह भारत सरकार पर निर्भर करता है, अगर वह उनसे और समूह से बात करने में रुचि रखती है।" उन्होंने कहा कि दोनों के बीच बातचीत की कमी है, उल्फा (आई) की मांगें पहले जैसी ही हैं और भारत सरकार उन्हें स्वीकार नहीं कर सकती है।

    बरुआ बांग्लादेश में नहीं हैं

    हालांकि, चेतिया ने कहा, जैसा कि आम धारणा है बरुआ बांग्लादेश में नहीं हैं। वह कहां हैं, हमें कुछ नहीं पता। लेकिन हमारी बातचीत जारी है। उन्होंने कहा कि अगर अन्य समूह बातचीत की मेज पर आते हैं तो यह असम और उसके लोगों के लिए अच्छा होगा। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बरुआ को 1980 के दशक में उनके जाने के बाद से हुए बदलावों को देखने के लिए राज्य में आने और एक सप्ताह बिताने के लिए आमंत्रित किया था।

    परेश बरुआ को सीएम सरमा की पेशकश में उनकी यात्रा के दौरान सुरक्षित मार्ग देने का आश्वासन दिया गया था। मुख्यमंत्री ने यह भी उम्मीद जताई थी कि उल्फा (आई) नेता शांतिपूर्ण चर्चा में शामिल होने के उनके निमंत्रण को स्वीकार करेंगे।