Chandrayaan 2 Payload: पेलोड कर रहा अपना काम, खोज निकाला चंद्रमा की मिट्टी पर मौजूद चार्ज पार्टिकल्स
ISRO Chandrayaan 2 Payload जियोटेल से गुजरने के दौरान चंद्रयान 2 ऑर्बिटर पेलोड ने चार्ज पार्टिकल्स को ढूंढ निकाला।
नई दिल्ली, एएनआइ। ISRO Chandrayaan 2 Payload: चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर पेलोड ने इस बात के सबूत दे दिए हैं कि अंतरिक्ष में वह अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहा है। पेलोड ने चार्ज पार्टिकल्स व इसकी तीव्रता का पता लगा लिया है। इसरो ने इस बात की जानकारी गुरुवार को दी।
ऑर्बिटर का पृथ्वी पर संपर्क बना हुआ है जिसके जरिए नई खोजों की जानकारियां मिल रहीं हैं। हर 29 दिन पर चंद्रमा करीब 6 दिनों के लिए जियोटेल से गुजरता है। चूंकि चंद्रयान 2 चंद्रमा की कक्षा में है इसलिए इसे भी यह मौका हासिल हुआ और इस दौरान इसमें लगे उपकरणों ने जियोटेल के गुणों का अध्ययन किया। बता दें कि पृथ्वी से सैंकड़ों हजारों किमी दूर जियोटेल स्थित है।
इसरो ने बताया, ‘हमारे सोलर सिस्टम में सूर्य से इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन लगातार निकलता है जिसे ‘सोलर विंड’ कहते हैं। सोलर विंड प्लाज्मा में चार्ज पार्टिकल्स होते हैं जो सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में मौजूद होते हैं। इनकी गति सैंकड़ों किमी प्रति सेकेंड होती है। पृथ्वी, चंद्रमा व सोलर सिस्टम के तत्वों के साथ इनका परस्पर तालमेल होता रहता है।’
इसरो ने आगे बताया कि पृथ्वी का वैश्विक चुंबकीय क्षेत्र सोलर विंड प्लाज्मा को बाधित करता है और इस कारण पृथ्वी के चारों ओर चुंबकीय वातावरण उत्पन्न हो जाता है जिसे मैग्नेटोस्फेयर के नाम से जाना जाता है।
ISRO ने ट्वीट कर बताया कि सितंबर माह में जियोटेल से गुजरने के दौरान चंद्रयान 2 ऑर्बिटर पेलोड ने चार्ज पार्टिकल्स को ढूंढ निकाला। साथ इन पार्टिकल्स की तीव्रता का भी पता लगाया है।
चंद्रयान 2 पर CLASS इंस्ट्रूमेंट को चंद्रमा की मिट्टी पर मौजूद तत्वों को खोजने के लिहाज से डिजाइन किया गया।
इसरो ने चंद्रयान 2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भेजा था। इस मिशन में च्रंद्रयान 2 आर्बिटर, लैंडर व रोवर के साथ गया था। लेकिन लैंडर से संपर्क टूट जाने के कारण मिशन अधूरा रह गया हालांकि ऑर्बिटर अपना काम बखूबी कर रहा है। बता दें कि चंद्रमा के इस हिस्से में अभी तक किसी अन्य देश की ओर से कोई मिशन नहीं भेजा गया।
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