शीतकालीन सत्र: दो दिनों के गतिरोध के बाद तीसरे दिन बिना हंगामे के चली संसद, सर्वदलीय बैठक का दिखा असर
संसद का शीतकालीन सत्र दो दिन के गतिरोध के बाद तीसरे दिन बिना किसी हंगामे के चला। सर्वदलीय बैठक के सकारात्मक प्रभाव और विपक्षी दलों के सहयोग से सदन में ...और पढ़ें

संसद का शीतकालीन सत्र।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शीतकालीन सत्र के पहले दो दिनों का भारी हंगामा तीसरे दिन आते-आते ठहर गया। मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) पर विपक्ष के जोरदार विरोध और लगातार बाधित कार्यवाही के बाद बुधवार को लोकसभा और राज्यसभा ने ऐसी तस्वीर पेश की, जिसकी उम्मीद थी।
वंदे मातरम् और चुनाव सुधारों पर अगले सप्ताह व्यापक चर्चा कराने पर सहमति बनने से विपक्ष तेवर नरम पड़ा और सदन पटरी पर आ गया। प्रश्नकाल बिना व्यवधान पूरा हुआ और दिनभर की गतिविधियों ने स्पष्ट संकेत दिया कि राजनीतिक विवादों के बीच भी कार्यवाही को सुचारु रखना संभव है बशर्ते पक्ष और विपक्ष दोनों इसकी जरूरत समझें।
लोकसभा में दिखा सर्वदलीय बैठक का असर
लोकसभा की शुरुआत स्वर्गीय सदस्यों के प्रति श्रद्धांजलि से हुई और उसके बाद सीधे प्रश्नकाल आया। यह वह क्षण था जिसने स्पष्ट कर दिया कि मंगलवार स्पीकर ओम बिरला की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक का असर दिखाई दे रहा है। यहां तक कि सदन के भीतर नियमों की अनदेखी कर तस्वीरें खींचने पर औरंगाबाद के सांसद अभय कुमार को स्पीकर ने तत्काल फटकार लगाई और कहा कि आज तो फोटो खींच लिया है, आइंदा ऐसा हुआ तो कार्रवाई करेंगे।
सदन इस दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी केंद्रित रहा। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने फर्जी खबरों और एआई-जनित डीपफेक पर सख्त कानूनों की जरूरत को रेखांकित किया और नए नियम लाए जाने की बात कही।
पंजाब के बाढ़ग्रस्त किसानों के लिए विशेष पैकेज की मांग भी जीरो आवर में जोरदार तरीके से उठी। हालांकि इसके पहले विपक्ष ने सदन के बाहर श्रम संहिताओं और केंद्र-राज्य संबंधों के सवालों पर विरोध प्रदर्शन जारी रखा, किंतु सदन के भीतर रुख संयमित रहा।

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