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    Parliament House: मुरैना के चौसठ योगिनी मंदिर और मौजूदा संसद भवन में हैं काफी कुछ समानताएं, जानें खासियत

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Wed, 09 Dec 2020 11:16 PM (IST)

    चौसठ योगिनी मंदिर 101 खंभों पर और संसद भवन 144 मजबूत स्तंभ पर टिका है। दोनों ही गोलाकार संरचना के हैं। चौसठ योगिनी मंदिर में 64 कक्ष हैं संसद भवन में 340 कक्ष। चौसठ योगिनी मंदिर के बीच में एक विशाल कक्ष है जिसमें बड़ा शिव मंदिर है।

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    वर्तमान संसद भवन की डिजाइन मुरैना जिले के मितावली- पड़ावली में बने चौंसठ योगिनी मंदिर से लिया

    हरिओम गौड़, मुरैना। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के नए संसद भवन की आधारशिला रखेंगे। नया संसद भवन 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य पर नए भारत की जरूरतों और आकांक्षाओं के अनुरूप होगा। यह करीब 971 करोड़ रुपये में बनाया जाएगा, जबकि वर्तमान संसद भवन 93 साल पहले महज 83 लाख रुपये में बना था। माना जाता है कि अंग्रेजों ने वर्तमान संसद भवन की डिजाइन मुरैना जिले के छोटे से गांव मितावली- पड़ावली में बने सदियों पुराने चौंसठ योगिनी मंदिर से लिया था।

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    संसद भवन का डिजाइन उस दौर से मशहूर ब्रिटिश वास्तुविद एडविन के लुटियन ने साल 1912-13 में बनाया था। इसका निर्माण ब्रिटेन के ही वास्तुविद सर हर्बर्ट बेकर की निगरानी में 1921 से 1927 के बीच हुआ था। 1927 में इसका उद्घाटन भारत के तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन ने किया था। भवन का निर्माण अंगेजों ने दिल्ली में नई प्रशासनिक राजधानी बनाने के लिए किया था। आजादी के बाद यह संसद भवन बन गया। 13 मई 1952 में इस भवन में पहली राज्यसभा लगी और इसे संसद भवन कहा जाने लगा। 

    संसद भवन और चौसठ योगिनी मदिर में समानता

    चौसठ योगिनी मंदिर 101 खंभों पर और संसद भवन 144 मजबूत स्तंभ पर टिका है। दोनों ही गोलाकार संरचना के हैं। चौसठ योगिनी मंदिर में 64 कक्ष हैं, संसद भवन में 340 कक्ष। जिस तरह चौसठ योगिनी मंदिर के बीच में एक विशाल कक्ष है, जिसमें बड़ा शिव मंदिर है उसी तरह संसद भवन के बीच में विशाल हॉल है। संसद भवन आधा किलोमीटर की परिधि में बना है जिसका कुल व्यास 170.69 मीटर है। 

    1323 ईसवी में बना था चौसठ योगिनी मंदिर

    मुरैना जिले के पड़ावली के पास मितावली गांव में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर का निर्माण एक शिलालेख के अनुसार 1323 ईसवी में कच्छप राजा देवपाल ने करवाया था। इसे इकंतेश्वर या इकोत्तरसो महादेव मंदिर भी कहा जाता है। बताते हैं कि यहां तंत्र-मंत्र की शिक्षा ली जाती थी, इसी मान्यता के कारण इस मंदिर में आज भी कोई इंसान रात नहीं रकता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक घोषिषत किया है। इस मंदिर का नामकरण इसके 64 कमरे और हर कमरे में शिव¨लग होने के कारण हुआ था। 

    पुरातत्व विभाग मुरैना के पुरातत्‍वविद अशोक शर्मा ने कहा कि संसद का डिजाइन चौसठ योगिनी मंदिर जैसा ही है। मंदिर से ही संसद का डिजाइन लिया गया है यह इतिहास में कहीं या फिर संसद में नहीं लिखा गया, लेकिन इस बात से किसी ने इंकार भी नहीं किया। चौसठ योगिनी मंदिर और संसद के गोलाकार डिजाइन से लेकर कई निर्माण एक जैसे हैं।