'संसद ने बनाए हैं सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने वाले कानून', ओम बिरला बोले- 'संविधान में सभी नागरिकों को समान मानने की भावना'
लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि हमारी संसद ने हाल के वर्षों में कई सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने वाले कानून बनाए। ओम बिरला ने उज्बेकिस्तान के ताशकंद में अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) की 150वीं बैठक में सामाजिक विकास और न्याय के लिए संसदीय प्रयास विषय पर अपना संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को समान मानने की भावना है।
पीटीआई, नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रविवार को कहा कि संसद ने हाल के वर्षों में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने वाले कई कानून बनाए हैं। भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को समान मानने, उन्हें समान अवसर देने और वंचित और पिछड़े वर्गों को प्रगति की मुख्यधारा में शामिल करने की भावना है।
उज्बेकिस्तान के ताशकंद में अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) की 150वीं बैठक में सामाजिक विकास और न्याय के लिए संसदीय प्रयास विषय पर अपने संबोधन में बिरला ने ये बातें कहीं।
संसद ने देश के सभी वर्गों के नागरिकों को संरक्षित करने के उपाय किए
बिरला ने कहा कि हमारी संसद ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016; ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिकारों का संरक्षण अधिनियम तथा जैसे कानून तथा लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने वाला कानून बनाकर देश के सभी वर्गों के नागरिकों को संरक्षित करने के उपाय किए हैं। साथ ही असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के कल्याण और सामाजिक सुरक्षा के लिए नए श्रम कानून बनाएं हैं।
विभिन्न संसदीय समितियां कई योजनाओं को लेकर सुझाव देती हैं
उन्होंने कहा कि हमने भारतीय दंड संहिता को भारतीय न्याय संहिता से बदलकर न्याय की प्राथमिकता को स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि संसद की विभिन्न समितियां, जिन्हें अक्सर मिनी संसद कहा जाता है संसद और सरकार के प्रयासों के पूरक के रूप में काम करती हैं। विभिन्न संसदीय समितियां अपने दायरे में आने वाली योजनाओं की निगरानी करती हैं और सुझाव देती हैं।
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