आक्रामक रणनीति के जरिए सरकार को घेरने में जुटा विपक्ष, बजट सत्र में नहीं हुआ हंगामा
धन्यवाद प्रस्ताव दोनों सदनों में सरकार और विपक्ष के बीच वार-पलटवार का जरिया बना हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने 10 वर्षों के कामों की फेहरिस्त के साथ कांग्रेस पर जवाबी वार किया और दिल्ली में वोटिंग से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल के यमुना में जहर मिलाने के आरोपों पर पलटवार किया। विपक्ष भी सत्तापक्ष पर वार का कोई मौका नहीं छोड़ रहा।

संजय मिश्र, जागरण, नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र में विपक्ष की बदली रणनीति कार्यवाही के सुचारू संचालन में कारगर साबित होती दिख रही है। अब तक आक्रामक राजनीति के जरिये सरकार को घेरने की कोशिश करते रहे विपक्षी दलों ने इस सत्र में चर्चा में हिस्सा लेते हुए सरकार को घेरने की रणनीति अपनाई है।
इसका सकारात्मक नतीजा यह हुआ है कि बजट सत्र में फिलहाल एक दिन भी राजनीतिक घमासान की नौबत नहीं आई है। संसद बिना विघ्न बाधा के सुचारू रूप से चल रही है जिसमें विपक्ष अपने सवालों-मुद्दों को उठाते हुए सत्तापक्ष पर वार का कोई मौका नहीं छोड़ रहा तो बिना किसी मशक्कत के सरकार भी अपने विधायी कामकाज के एजेंडे को पूरा कर रही है।
दिल्ली चुनाव का नहीं पड़ा असर
बजट सत्र का निर्विघ्न रहना इसलिए भी मायने रखता है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक घमासान चरम पर रहने के बावजूद इसकी छाया संसद पर नहीं पड़ी।
प्रयाग महाकुंभ में हुई भगदड़ से लेकर अमेरिका से प्रत्यर्पित किए जा रहे भारतीयों के मामले समेत राजनीतिक गरमागरमी के कई मुद्दे होते हुए भी विपक्ष ने हंगामा करके सदन को ठप करने की रणनीति से परहेज किया।
संसद में हुआ वार पलटवार
- दोनों सदनों में कार्यस्थगन प्रस्ताव के नोटिसों के जरिये इन सवालों को उठाने की कोशिश की, मगर स्पीकर और सभापति द्वारा इन्हें खारिज किए जाने के बावजूद विपक्ष ने संग्राम के बजाय राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की बहस में अपनी बातें मुखरता से रखने की रणनीति अपनाई।
- धन्यवाद प्रस्ताव दोनों सदनों में सरकार और विपक्ष के बीच वार-पलटवार का जरिया बना। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अर्थव्यवस्था की चुनौतियों, विकसित भारत के दृष्टिकोण, चुनावों की पारदर्शिता से लेकर रोजगार-युवाओं के समक्ष मौजूद चुनौतियों के मुद्दों को चर्चा के दौरान उठाते हुए सरकार को आईना दिखाने की कोशिश की।
- तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने 10 वर्षों के कामों की फेहरिस्त के साथ कांग्रेस पर जवाबी वार किया और दिल्ली में वोटिंग से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल के यमुना में जहर मिलाने के आरोपों पर पलटवार किया।
महाकुंभ का उठाया मुद्दा
विपक्षी सांसदों ने महाकुंभ में भगदड़ से जुड़े ज्वलंत सवालों को उठाने में कोई नरमी नहीं दिखाई। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार पर भगदड़ में मारे गए श्रद्धालुओं का आंकड़ा छिपाने का आरोप लगाते हुए तीखे सवाल उठाने से गुरेज नहीं किया। इसी तरह राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार पर 10 वर्ष में भी कई वादों को पूरा नहीं होने का आरोप लगाते हुए तंज कसा।
नहीं बनी गतिरोध की स्थिति
महाकुंभ भगदड़, वक्फ विधेयक विवाद, मणिपुर, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गारंटी के लिए किसानों के आंदोलन जैसे मसले होते हुए भी संसद में पक्ष-विपक्ष के बीच गतिरोध की स्थिति इस बार नहीं आने की वजह पूछे जाने पर विपक्ष के एक प्रमुख नेता ने कहा कि पिछले कई सत्रों में असहज करने वाले मुद्दों पर सदन में सीधे चर्चा के लिए सरकार राजी नहीं हुई।
इसलिए पहले धन्यवाद प्रस्ताव और अब बजट पर चर्चा के दौरान विपक्षी दलों के सांसद इन सभी प्रमुख मुद्दों को उठाते हुए सरकार को घेरने की पूरी कोशिश करेंगे। इन संकेतों से साफ है कि 13 फरवरी तक चलने वाले बजट सत्र के पहले चरण को विपक्ष बाधित करने के मूड में नहीं, बल्कि चर्चा के मौकों के सहारे अपनी सियासत साधने की कोशिश करेगा।
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