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Parliament Attack: लोकसभा में फेंका गया स्मोक कैन, दहशत में सांसद, डर यह कि हम जिंदा बचेंगे कि नहीं..

वही तारीख वही दिन और लगभग समय भी वही जब 22 बरस पहले आतंकियों ने संसद पर हमला कर मौत का खेल रचाया था। ‘काले बुधवार’ के उस दुखद दिन को याद कर वीर बलिदानियों को नमन कर सांसद सदन में पहुंचे ही थे कि कार्यवाही के दौरान दो संदिग्ध युवक विजिटर गैलरी से लोकसभा में कूद गए। कोई कुछ समझ नहीं पाया।

By Jagran NewsEdited By: Paras PandeyPublished: Thu, 14 Dec 2023 07:13 AM (IST)Updated: Thu, 14 Dec 2023 07:13 AM (IST)
रंगीन धुएं ने चेहरों को किया स्याह

जितेंद्र शर्मा ,नई दिल्ली। वही तारीख, वही दिन और लगभग समय भी वही, जब 22 बरस पहले आतंकियों ने संसद पर हमला कर मौत का खेल रचाया था। ‘काले बुधवार’ के उस दुखद दिन को याद कर, वीर बलिदानियों को नमन कर सांसद सदन में पहुंचे ही थे कि कार्यवाही के दौरान दो संदिग्ध युवक विजिटर गैलरी से लोकसभा में कूद गए। कोई कुछ समझ नहीं पाया। मेज पर कूद-कूदकर सदन की पीठ की ओर बढ़ता हड़बड़ाता युवक और लोकसभा के अंदर उठना शुरू हुआ रंगीन धुआं।

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फिर क्या, लोकसभा सदस्यों के कानों में गूंजने लगी खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की धमकी, आंखों के सामने थी अफरातफरी, दिमाग में 13 दिसंबर, 2001 की तारीख और माहौल में थी खौफ की आहट। वर्ष 2001 में 13 दिसंबर को ही शीतकालीन सत्र के दौरान जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के पांच आतंकी लगभग 11:30 बजे ही संसद परिसर में सफेद रंग की एम्बेसडर कार से दाखिल हुए थे।

तब करीब सौ सदस्य सदन में उपस्थित थे और बाहर आतंकियों ने एके-47 से अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। वह आतंकी मौत का तांडव ही मचाने आए थे, लेकिन सुरक्षा में तैनात वीर जवानों ने उन्हें सदन में प्रवेश नहीं करने दिया और बाहर ही ढेर कर दिया। इस हमले में जवान और संसद कर्मियों सहित नौ वीर बलिदान हो गए थे। संसद सत्र के दौरान बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से कूदकर अफरातफरी का माहौल पैदा होने के बाद बाहर 

संसद सदस्यों के चेहरों पर चिंता के भाव नजर आए

वर्ष 2001 में हुए आतंकी घटना तो काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गई, जिसे नम आंखों से 22 बरस बाद उसकी बरसी पर बुधवार को सुबह उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित वरिष्ठ नेताओं ने बलिदानियों को श्रद्धांजलि देकर याद किया। मगर, उसके बाद जो हुआ, वह अप्रत्याशित है, सुरक्षा प्रबंधों पर प्रश्न खड़े करने वाला है और सनसनी फैलाने वाला भी है। 13 दिसंबर, 2001 की घटना का जो समय था।

उसी के आसपास दो प्रदर्शनकारी संसद परिसर के बाहर ट्रांसपोर्ट भवन के सामने नारेबाजी करते हुए पकड़े जाते हैं। उसी समय पर लोकसभा में दो संदिग्ध युवक विजिटर गैलरी से सदन में कूदते हैं। सांसदों के भयाक्रांत होने की मुख्य वजह यह है कि उन्हें नहीं पता था कि उन युवकों के पास हथियार है या नहीं। तुरंत ही उनके दिलोदिमाग में खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की वह धमकी भी तैर गई होगी। पन्नू ने वीडियो जारी कर 13 दिसंबर को संसद पर हमले की धमकी दी थी।

काले अध्याय के रूप में दर्ज है वर्ष 2001 की घटना

सांसदों के मन में बैठी दहशत उनकी प्रतिक्रिया में साफ सुनाई दी। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने स्पष्ट कहा कि यह बहुत भयावह अनुभव था। किसी को नहीं मालूम था कि इनका निशाना क्या था और यह लोग ऐसा क्यों कर रहे थे। वहीं, बसपा सांसद मलूक नागर ने मीडिया को बयान दिया, इस घटना में पहला ख्याल आया कि उसकी नीयत खराब है, हम जिंदा बचेंगे कि नहीं। कहीं इसके पास हथियार न हो। वह कुछ करता, उससे पहले सांसद उस पर टूट पड़े।’ 


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