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अचानक डर, घबराहट, सांस में तकलीफ, कहीं ये पैनिक अटैक तो नहीं; ऐसे बचें...

मरीज को ऐसा लगता है कि उसका शरीर कई रोगों से ग्रस्त हो गया है, जबकि सच्चाई इसके विपरीत होती है। अचानक मेरे शरीर में मानो करंट की लहर दौड़ने लगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 03:40 PM (IST)Updated: Tue, 28 Aug 2018 01:04 PM (IST)
अचानक डर, घबराहट, सांस में तकलीफ, कहीं ये पैनिक अटैक तो नहीं; ऐसे बचें...
अचानक डर, घबराहट, सांस में तकलीफ, कहीं ये पैनिक अटैक तो नहीं; ऐसे बचें...

नई दिल्ली [जेएनएन]। पैनिक डिसऑर्डर या पैनिक अटैक ऐसा मनोरोग है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति भयभीत हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप उसके शरीर का सिस्टम भी गड़बड़ा जाता है। मरीज को ऐसा लगता है कि उसका शरीर कई रोगों से ग्रस्त हो गया है, जबकि सच्चाई इसके विपरीत होती है। अचानक मेरे शरीर में मानो करंट की लहर दौड़ने लगी। मेरा दिल जोर-जोर से घबराने लगा। मुझे सांस लेने में तकलीफ महसूस होने लगी। ऐसा लग रहा था, जैसे मैं मर जाऊंगी। मुझे बहुत डर लगता है, जब भी मैं बाहर जाने के बारे में सोचती हूं, मेरे पेट में अजीब-सा दर्द होने लगता है कि कहीं फिर से पैनिक अटैक न आ जाए।’’ यह कहना है एक मरीज का, जो पैनिक डिसऑर्डर से ग्रस्त थीं। जानते हैं, इस मनोरोग के बारे में...

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क्या है पैनिक अटैक
पैनिक अटैक एक ऐसा मनोरोग है, जिसमें किसी बाहरी खतरे के न होने के बावजूद विभिन्न असामान्य शारीरिक लक्षणों (दिल की धड़कन बढ़ने, चक्कर आना आदि) के अलावा रोगी लगातार और आकस्मिक रूप से आतंकित या भयग्रस्त हो जाता है। इसका असर कभी हलका होता है तो कभी यह पैनिक डिसऑर्डर या सोशल फोबिया के रूप में सामने आता है, जो एंग्ज़ायटी डिसऑर्डर का ही एक प्रकार है। इस दौरान रक्त संचार में कमी या तेज़ी आना, सिहरन और शरीर कांपने जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

फोबिया से बचें
गाड़ी चलाते वक्त, शॉपिंग, भीड़-भाड़ वाली जगह पर और सीढ़ियां चढ़ते वक्त आदि स्थानों पर अगर किसी को एक बार पैनिक अटैक पड़ जाए तो पीड़ित व्यक्ति के अंदर डर समा जाता है। फिर वह ऐसी अवस्थाओं का सामना करने से कतराने लगता है। धीरे-धीरे वह फोबिया का शिकार भी हो सकता है। पीड़ित के मन में यह डर समा जाता है कि उसे अगले दौरे का सामना कभी भी करना पड़ सकता है।

यह भय जिसे अग्रिम बेचैनी या खौफ कहते हैं, अधिकतर समय मौजूद रहता है और व्यक्ति के जीवन को गंभीर रूप से तब भी प्रभावित कर सकता है, जब उस पर दौरा नहीं पड़ा हो। इसके साथ-साथ उसके मन में उन स्थितियों को लेकर भयंकर फोबिया (किसी वस्तु से भय) उत्पन्न हो जाता है, जिस कारण से उसे दौरा पड़ा था। बच्चों में पैनिक अटैक होने से उनका स्वास्थ्य गिरने लगता है। वे स्कूल जाने से कतराने लगते हैं।

लाइलाज नहीं है यह मर्ज
पैनिक अटैक को नियंत्रित करने के लिए कई इलाज उपलब्ध हैं। जैसे दवाइयां और साइकोथेरेपी आदि। इलाज के जरिए पैनिक अटैक से पीड़ित मरीजों को 70 से 90 प्रतिशत राहत मिल सकती है। पैनिक अटैक की अवधि दस मिनट या इससे अधिक तक हो सकती है और इसके लक्षण हार्ट अटैक की तरह प्रतीत हो सकते हैं। अगर किसी को एक बार अटैक पड़ता है, तो उसे दूसरा अटैक पड़ने की भी आशंका बढ़ जाती है। अच्छी बात यह है कि उपर्युक्त लक्षण लगभग एक घंटे के भीतर सामान्य हो जाते हैं।

बचाव के लिए ऐसे अपनाएं नुस्खे
पैनिक अटैक के दौरान आपके शरीर अधिक ऑक्‍सीजन और जल्‍दी-जल्‍दी सांस लेने की कोशिश करता है। यह यकीनन बहुत ही अप्रिय स्थिति है। लेकिन घबराइए नहीं, क्‍योंकि कई घरेलू उपचार की मदद से प्रभावी ढंग से पैनिक अर्टक के लक्षणों से राहत पाई जा सकती हैं।

बादाम
बादाम में पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों और मिनरल प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं, जो नर्वस सिस्‍टम के कामकाज में सुधार करने के साथ आपके मस्तिष्‍क को स्‍वस्‍थ रखने में मदद करते हैं।

ग्रीन टी
ग्रीन टी में एंटीऑक्‍सीडेंट और पॉलीफिनॉल मस्तिष्‍क को तनाव कम करने और मोनोमाइन ऑक्सीडेज की गतिविधि को कम कर मस्तिष्क की कोशिकाओं और ऊतकों के स्वास्थ्य में मदद करता है।

संतरे
विटामिन से भरपूर होने के कारण रक्‍तचाप को बनाये रखने के साथ पैनिक अटैक को कम करने में मदद करता है। संतरा पैनिक अटैक के दौरान न्‍यूरॉन्‍स को शांत करने में मदद करता है।

कॉगनिटिव-बिहेवियरल थेरेपी
इस थेरेपी के इस्तेमाल से और दवाओं के सेवन से पैनिक अटैक का इलाज किया जा सकता है। इलाज की विधि का चयन व्यक्तिगत जरूरतों और प्राथमिकताओं के मुताबिक किया जा सकता है। कोई भी इलाज जिससे 6 से 8 हफ्ते के बीच प्रभाव न पड़े, उस पर फिर से विचार किया जाना चाहिए। कई दवाइयां इस समस्या के इलाज में कारगर हैं। दवाओं के साथ साइकोथेरेपी देने से जल्दी राहत मिलती है। पैनिक अटैक के मरीजों को शराब और कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए। उन्हें मादक पदार्थों के सेवन से परहेज करना चाहिए।

[साइको-सॉल्यूशन, डॉ. गौरव गुप्ता
वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ नई दिल्ली] 


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