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पाक ने छह महीने में 1,248 बार किया संघर्ष विराम का उल्लंघन : रक्षा मंत्री

राजनाथ सिंह ने कहा कि विमानों का अपग्रेडेशन एक नियमित प्रक्रिया है और मिग-29 भी इसके दायरे में आएंगे।

By Nitin AroraEdited By: Published: Mon, 01 Jul 2019 08:03 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2019 08:03 PM (IST)
पाक ने छह महीने में 1,248 बार किया संघर्ष विराम का उल्लंघन : रक्षा मंत्री
पाक ने छह महीने में 1,248 बार किया संघर्ष विराम का उल्लंघन : रक्षा मंत्री

नई दिल्ली, एएनआइ/प्रेट्र। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को राज्यसभा में बताया कि पाकिस्तान ने पिछले छह महीने में 1,248 बार नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय वायुसेना के एएन-32 विमान पूरी तरह उड़ान योग्य हैं। पिछले दिनों अरुणाचल प्रदेश में एक एएन-32 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद से इन पर सवाल उठाए जा रहे थे।

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भाजपा सदस्य विजय पाल सिंह तोमर के सवाल के जवाब में राजनाथ सिंह ने बताया कि पाकिस्तान की ओर से जनवरी में 203, फरवरी में 215, मार्च में 267, अप्रैल में 234, मई में 221 और जून में संघर्ष विराम उल्लंघन की 108 घटनाएं हुईं। इन घटनाओं में सेना के चार जवान शहीद हुए हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा कि जब भी संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएं होती है तो भारतीय सेना उसका उचित जवाब देती है। इसके अलावा हॉटलाइन, फ्लैग मीटिंग और डीजीएमओ वार्ता जैसे स्थापित तंत्र के अलावा कूटनीतिक माध्यमों से भी पाकिस्तान के समक्ष इस मसले को उठाया जाता है।

एक अन्य सवाल के जवाब में राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश में हुई एएन-32 विमान दुर्घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि विमान की उड़ान क्षमता को लेकर कोई समस्या नहीं है। उन्होंने बताया, 'जहां तक विमानों का संबंध है, खासकर एएन-32 का, अब तक 52 विमानों को अपग्रेड किया जा चुका है। लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि जिन विमानों को अपग्रेड नहीं किया गया है वे उड़ान योग्य नहीं हैं। ऐसा मानना सही नहीं होगा।'

राजनाथ ने कहा कि विमानों का अपग्रेडेशन एक नियमित प्रक्रिया है और मिग-29 भी इसके दायरे में आएंगे। रक्षा मंत्री ने कहा कि दुर्घटना के कुछ ही घंटों के भीतर कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए गए थे। लेकिन इसकी रिपोर्ट मिलने के बाद ही दुर्घटना का कारण स्पष्ट हो पाएगा।

उन्होंने बताया, 'औसत दुर्घटना दर 1999 के 1.04 प्रति 10 हजार घंटे से घटकर 2004 में 0.52 हो गई थी। अगले पांच साल में यह और घटकर 0.46 रह गई थी। वर्तमान में औसत दुर्घटना दर 0.33 प्रति 10 हजार घंटे है।'


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