विदेश सचिव ने पाक को लिया अाड़े हाथ, कहा- आतंक का कारखाना बंद करो
पड़ोसी मुल्क से आतंक का कारखाना बंद करने को कहा है, क्योंकि अब यह पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन चुका है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। भारत में आतंकवाद का खुला समर्थन करने के लिए विदेश सचिव एस जयशंकर ने पाकिस्तान को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने पड़ोसी मुल्क से आतंक का कारखाना बंद करने को कहा है, क्योंकि अब यह पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन चुका है।
विदेश सचिव मंगलवार को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में 'राजनीतिक परिवर्तन एवं आर्थिक अनिश्चितता' विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में बोल रहे थे। विदेश मंत्रालय 'गेटवे डायलॉग' नामक इस सेमिनार का सह-आयोजक था। जयशंकर का कहना था कि पश्चिमी देश भले ही पाकिस्तान और आतंकवाद की समस्या पर खुलकर न बोल रहे हों, लेकिन चिंतित वे भी हैं। उनके अनुसार, मूल मुद्दा यह है कि पाकिस्तान इस बारे में कोई ठोस कदम उठाना चाहता है या नहीं। विदेश सचिव ने बताया कि पाकिस्तान के बारे में सोचते वक्त सुरक्षा का ही मसला सामने आता है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि लगातार जारी आतंक के साथ नहीं रहा जा सकता है। आतंकवाद पहले सिर्फ भारत के लिए समस्या था, लेकिन अब यह अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बन चुका है।
क्षेत्रीय एकीकरण के दूसरे अवसरों की तलाश
विदेश सचिव ने दक्षेस पर भारत का रुख स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि भारत ने दक्षेस को छोड़ा नहीं है, लेकिन क्षेत्रीय एकीकरण के दूसरे अवसरों की भी तलाश की जा रही है। जयशंकर के मुताबिक, दक्षेस अब अटकता लग रहा है। चीन पर निशाना साधते हुए जयशंकर ने कहा कि मुद्दों को अटकाने से बात नहीं बनती। रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए और प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गलत चित्रण पर भी आगाह किया है। ट्रंप का विश्लेषण नए सिरे से करने की सलाह दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति आव्रजन नीतियों को लेकर विवादों में हैं।
भारत की बढ़ रही भूमिका
दुनिया में भारत की बढ़ती भूमिका की ओर इशारा करते हुए जयशंकर ने कहा कि हम अब बहुध्रुवीय संबंधों की ओर बढ़ रहे हैं। बड़े और महत्वपूर्ण समझे जानेवाले देशों की भूमिका सिमटती जा रही है। ऐसे में जगह खाली हो रही है। भारत को उस जगह का इस्तेमाल अपने लिए करने की जरूरत है।
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आउटसोर्सिग पर अमेरिका से होगी दो टूक बात
नई दिल्ली। आउटसोर्सिग पर अमेरिका के कड़े तेवर देखने के बावजूद भारत इस मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन के समक्ष किसी भी तरह से याचक की मुद्रा में पेश नहीं होगा। बल्कि अमेरिका को साफ शब्दों में यह बताया जाएगा कि भारतीय कंपनियों को अमेरिकी कंपनियां अगर आउटसोर्स करती हैं तो इसका फायदा अमेरिकी कंपनियों को ही ज्यादा होता है। यही नहीं भारत व अमेरिका के बीच भावी रिश्तों को दिशा देने में जिन मुद्दों की अहम भूमिका होगी उनमें आउटसोर्सिग भी एक होगा।
इन बातों के संकेत विदेश सचिव एस जयशंकर ने मंगलवार को मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान दिए।जब से ट्रंप प्रशासन की तरफ से कांग्रेस में यह प्रस्ताव पेश किया गया है कि एच-1बी वीजा लेने वाले पेशेवरों के वेतन में भारी वृद्धि की जाएगी तभी से भारत में बेचैनी है। माना जा रहा है कि अमेरिकी सरकार ने यह प्रस्ताव भारत से वहां जाने वाले एच-1बी वीजा धारक आइटी पेशेवरों को ध्यान में रख कर ही तैयार किया है। अगर कांग्रेस इसे मंजूर कर देती है तो भारतीय आइटी कंपनियों के लिए वहां काम हासिल करना मुश्किल हो जाएगा।
भारतीय आइटी कंपनियों के संगठन नासकॉम ने यहां तक कहा है कि इससे भारतीय कंपनियों की कमर टूट जाएगी।वैसे इस मुद्दे का विदेश मंत्रालय पहले ही संज्ञान ले चुका है और ट्रंप प्रशासन तक अपनी चिंताएं भी जता चुका है। लेकिन इस पर केंद्र सरकार एक समग्र नीति भी बनाने में जुटी है। पिछले दिनों वाणिज्य व उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक में मामले की समीक्षा की गई।
माना जा रहा है कि विदेश सचिव जल्द ही अमेरिका जाएंगे जहां वह ट्रंप प्रशासन के प्रतिनिधियों के सामने भारतीय पक्ष को फिर से रखेंगे। जयशंकर ने आज कहा कि, अमेरिका को यह बताया जाएगा कि भारतीय आइटी कंपनियां अमेरिका के कर आधार को प्रभावित नहीं कर रही हैं बल्कि वे अमेरिका को ही प्रतिस्पर्द्धी बना रही हैं।