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भारत के लिए टेंशन! नेपाल यात्रा पर पाक पीएम

पाकिस्तान के पीएम शाहिद खक्कान अब्बासी सोमवार को दो दिवसीय दौरे पर काठमांडू पहुंचे हैं जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया है।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 05 Mar 2018 08:22 PM (IST)Updated: Mon, 05 Mar 2018 10:59 PM (IST)
भारत के लिए टेंशन! नेपाल यात्रा पर पाक पीएम
भारत के लिए टेंशन! नेपाल यात्रा पर पाक पीएम

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। नेपाल के नए पीएम केपी ओली को लेकर भारत की आशंका सच साबित होती दिख रही है। पहले चीन के समाचार पत्र में दिए गये साक्षात्कार में भारत के कूटनीतिक हितों के खिलाफ बात करके और उसके बाद पाकिस्तान के पीएम को आधिकारिक दौरा पर बुला कर ओली ने भारतीय कूटनीति के समक्ष बड़ी चुनौती पेश कर दी है। यह संभवत: पहला मौका है जब नेपाल में नई सरकार के गठन के बाद वहां भारतीय पीएम से पहले पाकिस्तान के पीएम का दौरा हो रहा है। पाकिस्तान के पीएम शाहिद खक्कान अब्बासी सोमवार को दो दिवसीय दौरे पर काठमांडू पहुंचे हैं जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया है।

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भारतीय विदेश मंत्रालय ने अब्बासी की नेपाल यात्रा को लेकर आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं दिया है लेकिन भारत उनकी यात्रा पर करीबी नजर रखे हुए है। भारत की असल चिंता इस बात से है कि कहीं आगे चल कर नेपाल चीन और पाकिस्तान की कूटनीतिक चाल का हिस्सा न बन जाए। चीन ने हाल ही में जिस तरह से बेहद छोटे से पड़ोसी मुल्क मालदीव में भारत के लिए बड़ी परेशानी पैदा कर दी है उसे देखते हुए भारत इस बात को लेकर सतर्क रहेगा कि उसके एकदम पड़ोस में एक नई मुसीबत न पैदा हो। ओली जब पहले पीएम बने थे तब भी उन्होंने भारत विरोधी रवैया अख्तियार किया था। अब जबकि वह दोबारा पीएम निर्वाचित हुए हैं तो भारत ने उन्हें मनाने की काफी कोशिश की है लेकिन उनके रवैये में खास बदलाव आता नहीं दिख रहा है। चीन के एक समाचार पत्र को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने साफ तौर पर संकेत दिया कि उनकी नीति चीन से ज्यादा से ज्यादा संपर्क बनाने की होगी। यही नहीं यह बताने में भी ओली ने कोई गुरेज नहीं किया है कि वह नहीं चाहेंगे कि उनका देश भारत पर अपनी हर जरूरत के लिए आश्रित रहे।

घातक है नेपाल में पाक की सक्रियता

पाकिस्तान और नेपाल की इस बार बढ़ती नजदीकियों से भारत को दो तरह की चिंता है। पहली चिंता तो यह है कि कहीं चीन की शह पर नेपाल भी भारत विरोधी रवैया न अख्तियार कर ले जैसा कि हाल ही में कई बार ओली ने संकेत दिए हैं। दूसरी चिंता यह है कि पाकिस्तान नेपाल को अपने एजेंडे के तहत इस्तेमाल करना न शुरु कर दे। दो दशक पहले काठमांडू पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ का एक बड़ा अड्डा बन गया था। वर्ष 1999 में पाक समर्थित आतंकियों ने काठमांडू से नई दिल्ली आने वाली इंडियन एयरलाइंस की एक फ्लाइट का अपहरण कर लिया था। भारतीय जांच एजेंसियों ने बाद में इसका खुलासा किया कि सारी योजना काठमांडू में पाकिस्तानी एजेंटों की मदद से बनाया गया था। बाद में काफी मशक्कत के बाद नेपाल से पाकिस्तानी ढांचे को खत्म किया जा सका था।

सार्क सम्मेलन पर बात संभव

माना जा रहा है कि पाक पीएम काठमांडू यात्रा के दौरान दक्षिणी एशियाई देशों के सहयोग संगठन सार्क की स्थगित बैठक दोबारा बुलाने पर बात करेंगे। यह बैठक वर्ष 2016 में इस्लामाबाद में होनी थी। लेकिन पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के साथ संबंध का आरोप लगाते हुए भारत, बांग्लादेश, अफगानिस्तान ने इस सम्मेलन में हिस्सा लेने से मना कर दिया था। अब पाकिस्तान की कोशिश होगी कि वह नेपाल के साथ मिल कर सम्मेलन को दोबारा आयोजित करने के लिए अन्य देशों पर दबाव बनाये। यही नहीं पूर्व में पाकिस्तान व नेपाल सार्क में चीन को शामिल करने की बात कर चुके हैं। भारत इससे भी सावधान रहेगा।


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