'पाकिस्तान के मददगारों को भी देना होगा जवाब', पाकिस्तान को IMF से 'भीख' मिलने पर विक्रम मिसरी ने दुनिया को दिखाया आईना
भारत की तरफ से जैश-ए-मोहम्मद व लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों को पाकिस्तानी वित्तीय मदद के सबूत दुनिया के सामने रखने के बाद वर्ष 2018 में पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे सूची में डाल दिया गया था। वित्तीय सुधार कार्यक्रम के जरिए पाकिस्तान वर्ष 2022 में ग्रे सूची से बाहर निकल गया और उसके बाद ही उसे आईएमएफ की तरफ से सात अरब डॉलर के वित्तीय पैकेज की मंजूरी दी गई।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यह किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तान आतंकवाद को न सिर्फ बढ़ावा देता है, बल्कि उसका संरक्षण भी करता है। कई देश इस आतंकवाद से जूझ भी रहे हैं। लेकिन व्यक्तिगत स्वार्थसिद्धि इतना हावी है कि कई देश खुलकर तो कुछ अनचाहे अलग अलग तरह से मदद भी कर रहे हैं।
चीन और तुर्किए का पाकिस्तान के साथ सहयोग तो इस युद्ध में भी दिख रहा है। लेकिन जिस तरह एक दिन पहले ही अंतररष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने फिर से पाकिस्तान को 1.3 अरब डॉलर के वित्तीय पैकेज की मंजूरी दी, उसके परिणाम के लिए उन देशों को भी जवाबदेह होना पड़ेगा जिसने सहमति दी। अमेरिका भी आईएमएफ में बड़ा पार्टनर है। भारत ने इसका पुरजोर विरोध किया और पाकिस्तान के इतिहास की याद भी दिलाई।
पाक सेना खर्च करती है फंड
अमेरिका भी इस बात से वाकिफ है कि पाकिस्तान की वास्तविक कमान सेना के हाथ है, जो हमेशा युद्ध जैसी स्थिति बनाकर रखना चाहती है। यह एक आमधारणा है कि पाकिस्तान के पास सेना नहीं है, बल्कि पाकिस्तानी सेना के हाथ में एक देश है। इसीलिए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को पाकिस्तानी राजनीतिक नेतृत्व की बजाय जनरल मुनीर से बात करनी पड़ी।
विदेशी कर्ज को भी पाकिस्तान सेना खर्च करती है और उसमें बड़ी मात्रा में लूट भी होती है। शुक्रवार को आईएमएफ की बैठक में भारत ने साफ कहा कि पाकिस्तान वित्तीय पैकेज का इस्तेमाल सामाजिक व आर्थिक सुधार की जगह आतंकवाद के फंडिंग और अपनी सेना के खर्च पर करता है। बजट का बड़ा हिस्सा इसी में जाता है। पाकिस्तान पर बाहरी कर्ज 130 अरब डॉलर से अधिक का है और वह एक लोन चुकाने के लिए दूसरा लोन ले लेता है।
विक्रम मिसरी ने बता दी सच्चाई
- पाकिस्तान की जर्जर हालत का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि उसके पास सिर्फ 10.3 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा का भंडार है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन सबके बावजूद आईएमएफ की तरफ से पाकिस्तान को वित्तीय मदद देने का मतलब जानबूझकर अपराधी मानसिकता वाले देश को अपराध करने के लिए और पैसा देने जैसा है। केंद्रीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भी कहा है कि जो भी अपने पॉकेट से पैसे दे रहा है, उसे पता होना चाहिए कि पैसा कहां खर्च होने वाला है।
- हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि आईएमएफ वैश्विक संस्था है, जिसका संचालन बोर्ड करता है। भारत अकेला पाकिस्तान के वित्तीय पैकेज का विरोध करके उसकी मदद को नहीं रूकवा सकता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के पूर्व निदेशक पिनाकी चक्रबर्ती के मुताबिक पाकिस्तान को गत शुक्रवार को जो वित्तीय पैकेज दिया गया है वह पहले से मंजूर पैकेज का पार्ट है। इसलिए उसे रोका भी नहीं जा सकता था। भारत को आईएमएफ में विरोध करने की जगह अलग से विकल्प तलाशना होगा।
ग्रे लिस्ट में डलवाने का प्रयास शुरू
वित्त मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक भारत अब फिर से पाकिस्तान को 40 देशों के समूह एफएटीएफ की ग्रे सूची में डलवाने के लिए दुनिया के सामने उसकी आतंकवाद की करतूतों को सबूत के साथ रखेगा। जल्द ही ये प्रयास शुरू हो जाएंगे। एफएटीएफ मुख्य रूप से सभी देशों में होने वाली मनी लांड्रिंग, आतंकवाद फंडिंग जैसी हरकतों पर कड़ी नजर रखता है और उसके हिसाब से देशों को ग्रे व काली सूची में डालता है।
सूत्रों के मुताबिक पहलगाम में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकी हमले के भारत के पास पर्याप्त सबूत है और भारत हर हाल में इन सबूतों के जरिए पाकिस्तान की वित्तीय घेराबंदी करने की कोशिश करेगा। उन देशों को भी इस मुद्दे पर खुलकर सामने आना होगा जो वित्तीय मदद देकर पाकिस्तान का हौसला बढ़ाते हैं।
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