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    पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका, एफएटीएफ ने माना आतंकियों के खिलाफ नहीं हुई ठोस कार्रवाई

    By ShashankpEdited By:
    Updated: Sun, 16 Jun 2019 02:42 PM (IST)

    फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ( FATF) आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था है जिसने इससे पहले भी पाकिस्तान को आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार् ...और पढ़ें

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    पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका, एफएटीएफ ने माना आतंकियों के खिलाफ नहीं हुई ठोस कार्रवाई

    नई दिल्ली, पीटीआइ। पाकिस्तान एकबार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ( FATF)के निशाने पर आ गया है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ( FATF) द्वारा दिए गए 27 में से 25 कार्रवाई बिंदुओं पर पाकिस्तान फेल हो गया है। ये सभी कार्रवाई बिंदु, पाकिस्तान को लश्कर और आतंकी संगठन जैसे जमात-उद-दावा(JuD)और फलाह-ए-इन्सानियत फाउंडेशन जैसे आतंकी समूहों को फंडिंग की जांच करने के लिए दिए गए थे। पाकिस्तान इनमें से 27 में से 25 कार्रवाई बिंदुओं को पूरा तक नहीं कर पाया है।

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    फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ( FATF) की इस कार्रवाई ने पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। क्योंकि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ( FATF) की इस कार्रवाई के बाद अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक(World Bank) और यूरोपीय संघ(EU) जैसे संस्थान पाकिस्तान को डाउनग्रेड करेंगे, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति और खराब होने की संभावना है।

    पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ( FATF) ने पाकिस्तान को यह बताने के लिए कहा है कि क्या उसने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इन्सानियत फाउंडेशन जैसे आतंकी संगठनों द्वारा संचालित स्कूलों, मदरसों, क्लीनिकों और एम्बुलेंसों के लिए आवंटित सात मिलियन अमरीकी डालर में कोई जांच शुरू की है ? 

    'ग्रे' सूची में है पाकिस्तान
    जून 2018 में, पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ( FATF)की 'ग्रे' सूची में रखा गया और 27 बिंदुओं पर पाकिस्तान को कार्ययोजना दी गई। अक्टूबर 2018 में आखिरी प्लेनरी में इस योजना की समीक्षा की गई और इस साल फरवरी में दूसरी बार, जब भारत को पाकिस्तान-आधारित आतंकवादी समूहों के बारे में नई जानकारी प्रस्तुत करने के बाद पाकिस्तान को फिर से 'ग्रे' सूची में डाल दिया गया।एफएटीएफ के पाकिस्तान को 'ग्रे' सूची में जारी रखने का मतलब आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, एडीबी, ईयू द्वारा डाउन ग्रेड करना और मूडीज, एसएंडपी और फिच द्वारा जोखिम रेटिंग में कमी करना है।

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