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जाधव मामले पर ICJ का आदेश मानने से इन्कार नहीं कर सकता पाकिस्तान

कुलभूषण जाधव मामले पर पाकिस्तान के पास अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट आफ जस्टिस के आदेश मानने के लिए नानुकुर करने की ज्यादा गुंजाइश नहीं है।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Fri, 19 May 2017 01:26 AM (IST)Updated: Fri, 19 May 2017 09:57 AM (IST)
जाधव मामले पर ICJ का आदेश मानने से इन्कार नहीं कर सकता पाकिस्तान
जाधव मामले पर ICJ का आदेश मानने से इन्कार नहीं कर सकता पाकिस्तान

माला दीक्षित, नई दिल्ली। कुलभूषण जाधव को लेकर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के फैसले के बाद यह सवाल सबसे बड़ा है कि यह कितना बाध्यकारी है? पाकिस्तान का रुख आशंका बढ़ाता है। लेकिन अगर कानूनी स्थिति देखी जाए तो पाकिस्तान के पास नानुकुर की ज्यादा गुंजाइश नहीं है। वो आदेश मानने से इन्कार नहीं कर सकता।

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अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट आफ जस्टिस (आइसीजे) के आदेश की बाध्यता परखने के लिए आइसीजे चार्टर और अंतरयूएन चार्टर के प्रावधानों पर निगाह डालनी होगी। आइसीजे चार्टर का आर्टिकल 59 कहता है कि इस अदालत का फैसला पक्षकारों पर बाध्यकारी होगा। यानी आइसीजे के समक्ष भारत और पाकिस्तान दोनों पक्षकार है ऐसे में उसका अंतरिम आदेश दोनों देशों पर बाध्यकारी है। यूएन चार्टर का अनुच्छेद 94 कहता है कि यूनाइटेड नेशन्स के सभी सदस्य आइसीजे के आदेश का पालन करेंगे जो कि उसके समक्ष उस मामले में पक्षकार होंगे।

यूएन चार्टर पर हस्ताक्षर करते ही ये प्रावधान हस्ताक्षरकर्ता देश पर लागू हो जाता है। भारत और पाकिस्तान दोनों यूएन के सदस्य हैं। अनुच्छेद 94 ये भी कहता है कि अगर कोई पक्षकार आइसीजे का फैसला नहीं मानता है तो दूसरा पक्षकार फैसला लागू कराने के लिए सिक्योरिटी काउंसिल के पास जा सकता है। सिक्योरिटी काउंसिल को अगर जरूरी लगता है तो वह आइसीजे के आदेश को लागू कराने के लिए कोई भी कार्रवाई कर सकती है।

इसके अलावा यूएन चार्टर का आर्टिकल 25 कहता है कि यूनाइटेड नेशन्स के सभी सदस्य सिक्योरिटी काउंसिल के फैसले को स्वीकार करेंगे और उसे अमल में लाएंगे। सिक्योरिटी काउंसिल के फैसले की बाध्यता के बारे में बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील ज्ञानंत सिंह उदाहरण देते है कि ईराक के साथ भारत के अच्छे संबंध होने के बावजूद ईराक युद्ध के दौरान भारत ने अमरीकी फाइटर जेट को ईंधन देना स्वीकार किया था। ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि भारत यूनाइटेड नेशन का सदस्य है और इसलिए सिक्योरिटी काउंसिल के फैसले में सहयोग करना उसका दायित्व था। इस मामले में भी सिक्योरिटी काउंसिल आदेश न मानने पर पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगा सकती है या सैन्य कार्रवाई भी कर सकती है।

पाकिस्तान के आदेश में नानुकुर करने पर अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी कहते हैं कि फैसला दोनों देशों पर बाध्यकारी है। पाकिस्तान के आदेश न मानने की अभी कोई आशंका नहीं है। वैसे भी ये अभी अंतरिम आदेश है। मामले की मेरिट पर अभी विचार होना है जिसमें पाकिस्तान की ओर से उठाई गई आपत्तियों पर भी विचार होगा। जब उनसे पूछा गया कि अगर पाकिस्तान ने फैसला नहीं माना तो क्या भारत सिक्योरिटी काउंसिल जाएगा।

इस पर रोहतगी कहते हैं कि अभी ऐसी कोई स्थिति नहीं है लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो सारे उपाय किये जाएंगे। जबकि ज्ञानंत का कहना है कि पाकिस्तान का आदेश न मानना उसके लिए परेशानी का सबब हो सकता है क्योंकि आइसीजे चार्टर का आर्टिकल 50 कहता है कि अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट सुनवाई के दौरान किसी भी वक्त किसी भी व्यक्ति या कमीशन अथवा आर्गेनाइजेशन के द्वारा इन्क्वायरी करा सकता है। ये स्थिति पाकिस्तान के लिए असहज हो सकती है।

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