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पाकिस्‍तान के हाथों से फिसल रहा है कश्‍मीर का मुद्दा, यूएई का साथ है भारत की बड़ी जीत- अब्‍दुल बासित

कश्‍मीर का राग अलापने वाले पाकिस्‍तान के हाथों से अब ये मुद्दा फिसल रहा है। ये कहना है कि पाकिस्‍तान के पूर्व राजनयिक अब्‍दुल बासित का। उन्‍होंने जम्‍मू कश्‍मीर में निवेश के लिए यूएई के साथ हुए एमओयू को भारत की बड़ी जीत बताया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 02:02 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 02:23 PM (IST)
पाकिस्‍तान के हाथों से फिसल रहा है कश्‍मीर का मुद्दा, यूएई का साथ है भारत की बड़ी जीत- अब्‍दुल बासित
पाकिस्‍तान के पूर्व राजनयिक है अब्‍दुल बासित

नई दिल्‍ली (आईएएनएस)। भारत और यूएई में निवेश के समझौते के बाद पाकिस्‍तान की चिंता बढ़ गई है। यही वजह है कि इस मुद्दे पर पाकिस्‍तान के पूर्व राजनयिक अब्‍दुल बासित ने इसको भारत की बड़ी जीत बताया है। उनके इस बयान से पाकिस्‍तान की परेशानी का अंदाजा साफतौर पर लगाया जा सकता है। बासित ने यहां तक कहा है कि इस एमओयू के साइन होने के बाद ये बात साफ होने लगी है कि अब कश्‍मीर का मुद्दा पाकिस्‍तान के हाथों से निकलता जा रहा है। पाकिस्‍तान केवल अंधेरे में कुछ तलाशने की कोशिश कर रहा है।

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उन्‍होंने ये भी कि वो मानते हैं कि देश में अब कश्‍मीर नीति नहीं है। हालांकि उन्‍होंने इसको दुखद बताया है। उन्‍होंने कश्‍मीर मुद्दे के फिसलने को मौजूदा इमरान सरकार की कमजोरी बताया है। उन्‍होंने ये भी कहा कि नवाज शरीफ सरकार में भी कश्‍मीर के मुद्दे को कमजोर ही किया। बासित के मुताबिक यूएई और भारत के बीच हुए इस सहयोग के बाद निश्‍चित तौर पर ये भारत की बड़ी जीत है। उनके मुताबिक इस्‍लामिक सहयोग संगठन ने हमेशा ही इस मसले को प्राथमिकता दी है।

गौरतलब है कि अब्‍दुल बासित पाकिस्‍तान के भारत में राजदूत रह चुके हैं। पाकिस्‍तान के राजनयिक के मुताबिक यूएई की इस्‍लामिक सहयोग संगठन में काफी अहम भूमिका है। इस नाते भी ये करार काफी अहमियत रखता है। इस बात ने पाकिस्‍तान को और अधिक दुखी किया है। आपको बता दें कि इस्‍लामिक सहयोग संगठन विश्‍व के करीब 56 इस्‍लामिक देशों का एक अहम संगठन है।

अपने यूट्यूब व्‍लाग पर उन्‍होंने कहा है कि हालांकि अब तक दोनों देशों के बीच हुए एमओयू का ब्‍यौरा पता नहीं चला है। उन्‍होंने कहा है कि कोई ये नहीं जानता है कि यूएई का निवेश भारत के हिस्‍से वाले कश्‍मीर में होगा या नहीं, इमरान खान की विदेश नीति की जमकर आलोचना की है। उन्‍होंने सीधेतौर पर कहा कि इस समझौते का अर्थ यही है कि पाकिस्‍तान के हाथों से ये मुद्दा अब फिसल रहा है।

बासित ने कहा है कि इसके समाधान के लिए कोशिश की जानी चाहिए। लेकिन क्‍या ये स्‍वीकार्य है कि सबकुछ एक तरफा हो और भारत को जमीन सौंप दी जाए। अब ये हाल हो गया है कि एक मुस्लिम देश भारत में निवेश के लिए एमओयू साइन कर रहा है। बासित ने ये भी कहा कि आने वाले दिनों में ये भी हो सकता है कि ईरान और यूएई जम्‍मू कश्‍मीर में अपने काउंसलेट खोल दें। उन्‍होंने कहा कि हाल के कुछ समय में पाकिस्‍तान को कश्‍मीर के मुद्दे पर मुंह की खानी पड़ी है। इस मुद्दे पर वो पूरी तरह से अलग-थलग पड़ चुका है। इसका सबूत है वहां मौजूद अंतरराष्‍ट्रीय हवाई अड्डा जो 14 फरवरी 2009 को शुरू हो गया था। इसी माह में यहां से एयर इंडिया एक्‍सप्रेस ने दुबई के लिए साप्‍ताहिक उड़ान तक शुरू कर दी थी।


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