पहलगाम आतंकी हमला: कहां हैं तीनों आतंकी? इन दो जगह छिपे होने की आशंका; क्या कहती है रिपोर्ट
पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की जांच में एनआइए को बड़ी सफलता मिली है। जांच एजेंसी ने आतंकियों को शरण देने वाले दो ओवरग्राउंड वर्कर्स को गिरफ्तार कर लिया है। पहलगाम हमले के दो महीने बाद भी हमला करने वाले तीनों आतंकी कहां हैं, इस बारे में सुरक्षा एजेंसियों के दो तरह के आकलन हैं।

पहलगाम हमले में 26 पर्यटकों को आतंकियों ने उतार था मौत के घाट। (फाइल फोटो)
नीलू रंजन, जागरण नई दिल्ली। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की जांच में एनआइए को बड़ी सफलता मिली है। जांच एजेंसी ने आतंकियों को शरण देने वाले दो ओवरग्राउंड वर्कर्स को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि हमला करने वाले तीनों आतंकी पाकिस्तानी थे और लश्कर ए तैयबा से संबंधित हैं।
एनआइए की जांच से पाकिस्तान के इस दावे की पोल खुल गई है कि इसमें उसका कोई हाथ नहीं था। जांच में मिले सुबूतों से पाकिस्तान को फिर से एफएटीएफ की निगरानी सूची में डालने के भारत के प्रयासों को बल मिलेगा।
पहलगाम के ही रहने वाले हैं दोनों
एनआइए के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, आतंकियों की मदद करने वाले दोनों आरोपित परवेज अहमद जोथार और बशीर अहमद जोथार पहलगाम के ही रहने वाले हैं। हमले के पहले तीनों आतंकियों को इन दोनों ने हिल पार्क में पर्यटन सीजन के लिए बनाई गई अपनी झोपड़ी में जगह दी थी। इन्होंने तीनों आतंकियों की पहचान भी बता दी है। वैसे एनआइए अभी तक उनकी पहचान के बारे में खुलकर नहीं बोल रही है।
अहम मोड़ पर पहुंची है जांच
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जांच अहम मोड़ पर है और अभी पहली सफलता मिली है। समय आने पर और आतंकियों एवं उनकी मदद करने वालों की गिरफ्तारी हो सकती है।
ध्यान देने की बात है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भी पहलगाम हमले के बाद इसमें शामिल तीन आतंकियों का स्केच जारी करके उनकी जानकारी देने के लिए 20-20 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की थी। उनमें आदिल हुसैन ठोकर, अली भाई उर्फ तल्हा भाई और हासिम मूसा उर्फ सुलेमान का नाम शामिल था। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भी इन तीनों आतंकियों के लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े होने का दावा किया था। अब एनआइए की जांच में इसकी पुष्टि हो गई है।
कहां हैं तीनों आतंकी, दो तरह के हैं आकलन
पहलगाम हमले के दो महीने बाद भी हमला करने वाले तीनों आतंकी कहां हैं, इस बारे में सुरक्षा एजेंसियों के दो तरह के आकलन हैं। पहले आकलन के अनुसार, पहलगाम हमला करने वाले आतंकियों से 22 मई को किश्तवाड़ के घने जंगलों में सुरक्षा बलों की मुठभेड़ हुई थी, जिसमें सेना का एक जवान बलिदान हो गया था।
बाद में तीनों आतंकी डोडा-किश्तवाड़-रामबन रूट से होते हुए पाकिस्तान चले गए। दूसरा आकलन तीनों आतंकियों के त्राल की पहाड़ियों में कहीं छिपे होने का है, जहां से वे न तो स्थानीय नेटवर्क से और न ही पाकिस्तान स्थित अपने हैंडलर्स से संपर्क कर रहे हैं।
इसी कारण उनकी उपस्थिति के बारे में जानकारी नहीं मिल पा रही है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दूसरे आकलन से सहमति जताते हुए कहा कि पहलगाम हमले के बाद नियंत्रण रेखा पर चौकसी को देखते हुए आतंकियों का लौट पाना संभव नहीं है।
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